पंचवर्षीय योजना
आज़ादी के बाद भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने समाजवादी आर्थिक मॉडल को आगे बढ़ाया। जवाहरलाल नेहरू ने अनेक महत्वपूर्ण आर्थिक निर्णय लिए जिनमें पंचवर्षीय योजना की शुरुआत भी थी।
सन् 1951 में पहली पंचवर्षीय योजना की नींव डाली गई और योजना आयोग का गठन किया।
नेहरू ने 8 दिसंबर, 1951 को संसद में पहली पंचवर्षीय योजना को पेश किया था और उन्होंने उस समय सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का लक्ष्य 2.1 फ़ीसदी निर्धारित किया था। इस परियोजना में कृषि क्षेत्र पर विशेष ज़ोर दिया गया क्योंकि उस दौरान खाद्यान्न की कमी गंभीर चिंता का विषय थी। इसी पंचवर्षीय योजना के दौरान पाँच इस्पात संयंत्रों की नींव रखी गई।
अधिकतर पंचवर्षीय योजनाओं में किसी न किसी क्षेत्र को प्राथमिकता दी गई। दूसरी पंचवर्षीय योजना में उद्योगों को प्राथमिकता दी गई लेकिन तीसरे में फिर कृषि को तरजीह दी गई।
भारत में पंचवर्षीय योजनाएँ (Five Year Plans in India) :
योजना | मॉडल | योजनावधि | उद्देश्य | विकास दर लक्ष्य (प्रतिशत में) | विकास दर वास्तविक प्राप्ति (प्रतिशत में) |
प्रथम | हैरोड-डोमर मॉडल | 1951-56 ई. | कृषि का विकास | 2.1 | 3.6 |
द्वितीय | पी.सी. महालनोबिस मॉडल | 1956-61 ई. | तीव्र औद्योगिकीकरण | 4.5 | 4.27 |
तृतीय (गाडगिल योजना) सर्वाधिक असफल | जे.सैंडी, सुखमय चक्रवर्ती | 1961-66 ई. | आत्मनिर्भर एवं स्वत्: स्फूर्त अर्थव्यवस्था की स्थापना | 5.6 | 2.84 |
वार्षिक योजनाएँ | – | 1966-69 ई. | – | – | – |
चौथी | आशेक रुद्र एवं एलन एस.मान्ने का ओपन कन्सिस्टेंसी मॉडल | 1969-74 ई. | स्थिरता के साथ आर्थिक विकास तथा आत्मनिर्भरता। “गरीबी हटाओ” का नारा दिया गया। | 5.7 | 3.30 |
पांचवीं | डी.पी. धर | 1974-78 ई. | गरीबी की समाप्ति तथा आत्मनिर्भरता की प्राप्ति (1978-80 गाँधीवादी मॉडल पर आधारित रोलिंग प्लान) | 4.4 | 4.8 |
छठी | आगत-निर्गत | 1980-85 ई. | ( नेहरू मॉडल पर अर्थव्यवस्था का विकास) गरीबी की समस्या को दूर करना | 5.2 | 5.66 |
सातवीं | आगत-निर्गत मॉडल का विस्तार | 1985-90 ई. | खाद्यान्नों की वृद्धि, रोजगार के क्षेत्रों में विस्तार, उत्पादन बढ़ाने के प्रयास | 5.0 | 6.01 |
वार्षिक योजनाएँ | – | 1990-92 ई. | – | – | – |
आठवीं | जॉन डब्ल्यू मुलर मॉडल | 1992-97 ई. | मानव संसाधन, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार विकास | 5.6 | 6.5 |
नौवीं | आगत-निर्गत मॉडल | 1997-02 ई. | वृद्धि के साथ सामाजिक न्याय तथा समानता | 6.5 | 5.4 |
दसवीं | व्यापक आगत-निर्गत मॉडल | 2002-07 ई. | रोजगार, ऊर्जा सुधार तथा अवसंरचना का विकास | 7.9 | 7.60 |
ग्यारहवीं | योजना आयोग का पत्र | 2007-12 ई. | तीव्र आर्थिक विकास के साथ प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि तथा विकास को गति प्रदान करना | 9.0 | 7.9 |
बारहवीं | 2012-17 ई. | तीव्र गति से समावेशी विकास | 8.0 | 6.8 |
अन्य महत्वपूर्ण बिंदु :
- पहली पंचवर्षीय योजना : पहली पंचवर्षीय योजना 1 अप्रैल, 1951 से प्रारंभी की गई। यह योजना डोमर संवृद्धि मॉडल पर आधारित थी।
- इस योजना के मुख्य उद्देश्यों में युद्ध एवं विभाजन से उत्पन्न असंतुलन को दूर करता, खाद्यान्न आत्मनिर्भरता प्राप्त करना, स्फीतिकारक प्रवृत्तियों को रोकना था।
- इसी योजना में 1952 में सामुदायिक विकास कार्यक्रम एवं 1953 में राष्ट्रीय प्रसार सेवा को प्रारंभ किया गया था। ध्यातव्य है कि भाखड़ा नांगल, दामोदर घाटी एवं हीराकुंड जैसी बहूद्देशीय परियोजनाएँ इसी योजना की देन थी।
- द्वितीय पंचवर्षीय योजना : यह योजना पी.सी. महालनोबिस मॉडल(Prasanta Chandra Mahalanobis) पर आधारित थी। इस योजना में भारी उद्योगों की स्थापना पर जोर दिया गया था।
- इस योजना के दौरान राउरकेला, भिालाई तथा दुर्गापुर में लौह-इस्पात संयंत्र स्थापित किये गये। चितरंजन लोकोमोटिव एवं सिंदरी उर्वरक कारखाना भी इसी योजना की देन हैं।
- तृतीय पंचवर्षीय योजना : चीन से युद्ध के कारण, यह योजना फेल हो गयी थी। इस योजना की वृद्धि दर का लक्ष्य 5.6% था लेकिन वास्तविक वृद्धि दर 2.8% रही थी।
- योजना अवकाश : इन तीन सालों में कोई भी पंचवर्षीय योजना नहीं बनायीं गयी थी बल्कि हर साल एक वर्षीय योजना बनायीं गयी थी और हर योजना में कृषि और सम्बद्ध क्षेत्रों के साथ-साथ उद्योग क्षेत्र को समान प्राथमिकता दी गई थी।
- योजना अवकाश को बनाने के पीछे का कारण भारत-पाकिस्तान युद्ध और तीसरी पंचवर्षीय योजना की विफलता थी।
- चौथी पंचवर्षीय योजना : इस योजना के दो मुख्य उद्देश्य थे- पहला, स्थिरता के साथ विकास और दूसरा आत्म निर्भरता की स्थिति प्राप्त करना।
- इस योजना के दौरान ही 1971 के चुनावों के दौरान इंदिरा गांधी द्वारा “गरिबी हटाओ” का नारा दिया गया था।
- पांचवीं पंचवर्षीय योजना : इस योजना में कृषि को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई थी, इसके बाद उद्योग और खानों को वरीयता दी गयी थी।
- कुल मिलाकर यह योजना सफल रही थी जिसने 4.4% के लक्ष्य के मुकाबले 4.8% की वृद्धि दर हासिल की थी।
- इस योजना का ड्राफ्ट ‘डी.पी. धर’ द्वारा तैयार किया गया था। नव निर्वाचित मोरारजी देसाई सरकार ने इस योजना को समय से पहले ही 1978 में समाप्त कर दिया था।
- रोलिंग प्लान : जब केंद्र में मोरारजी देसाई सरकार सत्ता में आयी तो उसने पांचवीं पंचवर्षीय योजना को 1978 में ही खत्म कर दिया था और इसके स्थान पर एक “वार्षिक प्लान” बना दिया था जिसे रोलिंग प्लान कहा गया था।
- छठवीं पंचवर्षीय योजना : इस योजना का मूल उद्देश्य गरीबी उन्मूलन और तकनीकी आत्मनिर्भरता प्राप्त करना था।
- छठी पंचवर्षीय योजना ने भारत में आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत की थी। मूल्य नियंत्रण समाप्त हो गए और राशन की दुकानें बंद कर दी गईं थी, जिससे खाद्य कीमतों में वृद्धि हुई थी और देश में महंगाई ने अपने पैर पसारने शुरू कर दिए थे। इस प्रकार इस योजना के समय से नेहरु के समाजवाद का अंत हो गया था।
- इसी योजना के समय से देश में ‘फैमिली प्लानिंग’ की शुरुआत और नाबार्ड बैंक (1982) की स्थापना हुई थी।
- यह योजना बहुत सफल हुई थी। इसका विकास लक्ष्य 5.2% था लेकिन इसने 5.7% की वृद्धि दर हासिल की थी।
- सातवीं पंचवर्षीय योजना : इस योजना के उद्देश्यों में आत्म निर्भर अर्थव्यवस्था की स्थापना और रोजगार के पर्याप्त अवसर पैदा करना शामिल था।
- इस योजना में पहली बार निजी क्षेत्र को सार्वजनिक क्षेत्र की तुलना में अधिक में प्राथमिकता मिली थी। इसका विकास लक्ष्य 5.0% था लेकिन इसने 6.0% वृद्धि दर हासिल की थी।
- वार्षिक योजनाएं : केंद्र में अस्थिर राजनीतिक स्थिति के कारण आठवीं पंचवर्षीय योजना समय पर शुरू नहीं हो सकी, इस कारण 1990-91 और 1991-92 में दो वार्षिक योजनायें बनायीं गयी थीं।
- इसी दौरान 1991 में नई आर्थिक सुधार की घोषणा की गई।
- सरकार ने नघु उद्योंगो के विकास के लिये वर्ष 1990 में सिडवी (SIDBI) की स्थापना की।
- आठवीं पंचवर्षीय योजना : इस योजना में मानव संसाधन विकास जैसे रोजगार, शिक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य के विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई थी।
- इस योजना के दौरान ही नरसिम्हा राव सरकार ने भारत की नयी आर्थिक नीति को मंजूरी दी थी। अर्थात देश में उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण (एलपीजी मॉडल) की शुरुआत हुई थी।
- यह योजना सफल रही थी और इसके विकास का लक्ष्य 5.6% रखा गया था लेकिन इस योजना ने 6.8% की वार्षिक वृद्धि दर हासिल की थी।
- नौवीं पंचवर्षीय योजना : इस योजना का मुख्य फोकस “न्याय और समानता के साथ विकास” पर था।
- इसे भारत की आजादी के 50 वें वर्ष में लॉन्च किया गया था।
- दसवीं पंचवर्षीय योजना : इस योजना का लक्ष्य अगले 10 वर्षों में भारत की प्रति व्यक्ति आय को दोगुना करना था।
- इसका उद्देश्य 2012 तक गरीबी अनुपात को 15% कम करना था।
- ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना : यह योजना सी. रंगराजन द्वारा तैयार की गयी थी. इसकी मुख्य थीम “तेज़ और अधिक समावेशी विकास” थी।
- बारहवीं पंचवर्षीय योजना : यह योजना सी. रंगराजन द्वारा तैयार की गयी थी। इसकी मुख्य थीम “तेज़, अधिक समावेशी और सतत विकास” थी।
- गैर कृषि क्षेत्र में 50 मिलियन नए काम के अवसर पैदा करना। 0-3 साल के बच्चों के बीच कुपोषण को कम करना। वर्ष 2017 तक सभी गांवों को बिजली उपलब्ध कराना। ग्रामीण आबादी के 50% जनसँख्या को उचित पेयजल की सुविधा उपलब्ध कराना। हर साल 1 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में पेड़ लगाकर हरियाली फैलाना। देश के 90% परिवारों को बैंकिंग सेवाओं से जोड़ना आदि इस योजना के उदेश्ये थे।
- भारत में वर्तमान मोदी सरकार ने पंचवर्षीय योजनाओं वर्ष 2017 से बनाना बंद कर दिया है। इस प्रकार सोवियत रूस की नकल पर बनायीं जा रहीं पंचवर्षीय योजनाओं के माध्यम से देश की आर्थिक नियोजन प्रणाली को बंद कर दिया गया है और 12वीं पंचवर्षीय योजना भारत की अंतिम पंचवर्षीय योजना कही जाएगी।
- सारांश के तौर यह कहा जा सकता है कि भले ही सरकार ने इन योजनाओं को बनाना बंद कर दिया हो लेकिन भारत के आर्थिक विकास में इन पंचवर्षीय योजनाओं का अतुलनीय योगदान है। इन योजनाओं के माध्यम से ही भारत ने सीखा है कि कम संसाधनों की मदद से कैसे देश को विकास के रास्ते पर लाया जा सकता है।
वर्तमान में पंचवर्षीय योजना बनाने वाले “योजना आयोग” के स्थान पर “नीति आयोग” का गठन ( 1 जनवरी, 2015) किया गया है। इसके प्रथम उपाध्यक्ष ‘श्री अरविन्द पनगड़िया’। वर्तमान में (2019) इसके उपाध्यक्ष ‘राजीव कुमार’ हैं। राष्ट्रीय विकास एजेंडा और पंचवर्षीय योजना का तुलनात्मक अध्ययन
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