राष्ट्रीय विकास एजेंडा और पंचवर्षीय योजना

प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा सन् 1951 में देश में  आर्थिक विकास को गति देने के लिये पंचवर्षीय योजना शुरू की गई थी। वर्ष 1966-69 के दौरान चली वार्षिक योजनाओं को छोड़कर ये पंचवर्षीय योजनाएँ लगभग नियमित रूप से चलाई गई थी। लेकिन वर्तमान सरकार ने देश के विकास को नई दिशा देने के उद्देश्य से बारहवीं पंचवर्षीय योजना को 31 मार्च, 2017 से समाप्त करने की घोषणा की है। उल्लेखनीय है कि इससे पहले सरकार ने योजना आयोग को समाप्त कर इसके स्थान पर 1 जनवरी, 2015 को ‘नीति आयोग’ की स्थापना की थी। विस्तृत जानकारी: पंचवर्षीय योजना


हाल ही में नीति आयोग ने देश में विकास को संघात्मक ढाँचे के अनुकूल बनाने के लिये ‘राष्ट्रीय विकास एजेंडा’ के माध्यम से दीर्घावधि विकास को साधने का लक्ष्य बनाया है। यह एजेंडा अपने तीन अवयवों – पंद्रह वर्षीय दीर्घावधि विज़न, सात वर्षीय मध्यावधि रणनीति और तीन वर्षीय एक्शन प्लान के माध्यम से विकासात्मक गतिविधियों को अंतिम परिणाम तक पहुँचाने पर बल देता है। विदित हो कि तीन वर्षीय एक्शन प्लान, पंद्रह वर्षीय दीर्घावधि विज़न और सात वर्षीय मध्यावधि रणनीति के हिस्से के रूप में कार्य करेगी और इस तीन वर्षीय एक्शन प्लान के द्वारा ही पूर्व की पंचवर्षीय योजना को प्रतिस्थापित करने का निर्णय लिया गया है।

राष्ट्रीय विकास एजेंडा और पंचवर्षीय योजना का तुलनात्मक अध्ययन (Comparative Study of National Development Agenda and Five Year Plan)

  1. पंचवर्षीय योजना के विपरीत त्रिवर्षीय एक्शन प्लान वित्तीय सामर्थ्य के अभाव में किसी योजना या आवंटन का उल्लेख नहीं करती है। यह दस्तावेज़ सरकार को केवल एक विस्तृत रोडमैप प्रदान करता है।
  2. राष्ट्रीय विकास योजना में आंतरिक सुरक्षा और रक्षा जैसे मुद्दों को भी शामिल किया गया है जबकि योजना आयोग यदा-कदा ही इस मामले में हस्तक्षेप करता था।
  3. नीति आयोग द्वारा सुझाए गए इस ‘एक्शन प्लान’ को कैबिनेट की मंज़ूरी की आवश्यकता नहीं होती है और न ही इसके प्रस्ताव सरकार के लिये बाध्यकारी है।
  4. सरकार द्वारा व्यय के वर्गीकरण (योजनागत व्यय और गैर-योजनागत व्यय) को समाप्त कर दिया गया है। इस तरह नीति आयोग के इस दस्तावेज में किसी भी तरह की वित्तीय भूमिका का अभाव है और यह केवल नीतिगत मार्गदर्शन के रूप में कार्य करेगी।

सारांश (Summary)

राष्ट्रीय विकास योजना एक तरह से पंचवर्षीय योजना की भाँति प्रतीत होती है। पंचवर्षीय योजना का दृष्टिकोण प्रपत्र कमोबेश पंद्रह वर्षीय विज़न के ही समान योजनाओं की व्यापक रूपरेखा प्रस्तुत करती था।

जहाँ पंचवर्षीय योजना में कार्यक्रमों व योजनाओं के उद्देश्यों को पूरा करने का विस्तृत ब्यौरा एवं मध्यावधि (ढाई वर्ष) समीक्षा का उल्लेख रहता था, राष्ट्रीय विकास योजना में भी तीन वर्ष के अंतराल पर समीक्षा करने का प्रावधान रखा गया है। इस तरह (15 – 5 – 2.5) के परिप्रेक्ष्य को बदलकर ( 15 – 7 – 3 ) कर दिया गया प्रतीत होता है।

किंतु बदलते परिदृश्य में योजना आयोग द्वारा संचालित केंद्रीकृत और ‘वन साइज़ फिट्स ऑल’ दृष्टिकोण प्रासंगिक प्रतीत नहीं होता है। इसके अतिरिक्त केंद्रीकृत योजना के ‘टॉप टू बॉटम’ दृष्टिकोण के स्थान पर राज्यों को उनकी ज़रुरत के आधार पर व्यय निर्धारण को भी महसूस किया जा रहा था। ऐसे में नीति आयोग द्वारा प्रस्तावित राष्ट्रीय विकास योजना अधिक समीचीन प्रतीत होती है।


आपके सुझाव आमंत्रित है। इस आर्टिकल से संबंधित किसी भी प्रकार का संशोधन, आप हमारे साथ साझा कर सकते हैं।

1 Comment

  1. Pingback: पंचवर्षीय योजना - Vision of wisdom

Leave a Reply

error: