MCQ on Science: जीवों में विविधता

हम यहां विज्ञान के विषय ” जीवों में विविधता ” से संबंधित कुछ प्रश्न देखेंगे। ये सवाल NCERT की किताब से लिए गए हैं।

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Q&A: जीवों में विविधता (Question and Answer on Diversity in organisms)


प्रश्न-1: पृथ्वी पर कर्क रेखा और मकर रेखा के बीच के क्षेत्र में एक गर्मी और नमी वाला भाग है। निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा इस भाग की सबसे सही व्याख्या है?

  1. यहाँ पौधों और जंतुओं में अत्यधिक विविधता पाई जाती है।
  2. यहाँ मरुस्थलीय जलवायु पाई जाती है।
  3. यह वर्षा और चक्रवात रहित क्षेत्र है।
  4. यह क्षेत्र सदाबहार वनों के लिये प्रतिकूल है।

व्याख्याः (Option: 1) पृथ्वी पर कर्क रेखा (Tropic of Cancer) और मकर रेखा (Tropic of Capricorn) के बीच के क्षेत्र में जो गर्मी और नमी वाला भाग है, वहाँ पौधों और जंतुओं में काफी विविधता पाई जाती है। अतः यह क्षेत्र मेगाडाइवर्सिटी क्षेत्र (Mega diversity zone) कहलाता है।

पृथ्वी पर जैव विविधता (Biodiversity) का आधे से अधिक भाग कुछेक देशों, जैसे- ब्राज़ील, कोलंबिया, इक्वाडोर, पेरू, मेक्सिको, ज़ायरे, मेडागास्कर, ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, इंडोनेशिया और मलेशिया में केंद्रित है।


प्रश्न-2: निम्नलिखित में से कौन जैव विकास की अवधारणा (Concept of bio development) से संबंधित है?

  1. जैव विकास की अवधारणा
  2. चार्ल्स डार्विन
  3. राबर्ट व्हिटेकर
  4. कार्ल वोस

व्याख्याः (Option: 2) चार्ल्स डार्विन ने 1859 में अपनी पुस्तक ‘दि ओरिजिन ऑफ स्पीशीज़’ में जैव विकास की अवधारणा को प्रस्तुत किया था।

अर्न्सट हेकेल, राबर्ट व्हिटेकर और कार्ल वोस ने सारे सजीवों को जगत (Kingdom) नामक बड़े वर्गों में विभाजित करने का प्रयास किया था।


प्रश्न-3: जीवों को पाँच जगत (Kingdom) में वर्गीकृत किया गया है। निम्नलिखित में से कौन इसमें सम्मिलित हैं?

  1. मोनेरा (Monera)
  2. प्रोटिस्टा (Protista)
  3. कवक (Fungi)
  4. प्लांटी (Planty)
  5. ऐनिमेलिया (Animalia)

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग करके सही उत्तर चुनियेः

  1. केवल 1, 2 और 3
  2. केवल 2, 3 और 4
  3. केवल 3, 4 और 5
  4. 1, 2, 3, 4 और 5

व्याख्याः (Option: 4) जीवों का वर्गीकरण उनके विकास से संबंधित है।

  • व्हिटेकर द्वारा प्रस्तावित वर्गीकरण में जीवों के पाँच जगत हैं- मोनेरा, प्रोटिस्टा, फंजाई (कवक), प्लांटी और ऐनिमेलिया। ये समूह निम्नलिखित विशेषताओं को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं-
    1. कोशिकीय संरचनाः प्रोकैरियोटी (Prokaryotic) अथवा यूकैरियोटी (Eukaryotic)।
    2. जीव का शरीर एककोशिक अथवा बहुकोशिक है। इसमें बहुकोशिक जीवों की संरचना जटिल होती है।
    3. कोशिकाभित्ति की उपस्थिति तथा स्वपोषण की क्षमता।
  • कार्ल वोस ने अपने वर्गीकरण में मोनेरा जगत को आर्कीबैक्टीरिया और यूबैक्टीरिया में बाँट दिया।
  • पुनः विभिन्न स्तरों पर जीवों को उपसमूहों में वर्गीकृत किया गया है, जैसे- Class
  • इस प्रकार वर्गीकरण की आधारभूत इकाई जाति (स्पीशीज़) है

प्रश्न-4: मोनेरा जगत (Monera Kingdom) के जीवों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः

  • कथन-1: इस जगत के सभी जीवों में कोशिकाभित्ति उपस्थित होती है।
  • कथन-2: नील-हरित शैवाल इस जगत का उदाहरण है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

  1. केवल 1
  2. केवल 2
  3. 1 और 2 दोनों
  4. न तो 1 और न ही 2

व्याख्याः (Option: 2) मोनेरा जगत के जीवों में से कुछ में कोशिकाभित्ति पाई जाती है तथा कुछ में नहीं। कोशिकाभित्ति के न होने के कारण मोनेरा वर्ग के जीवों की शारीरिक संरचना में आए परिवर्तन तुलनात्मक रूप से बहुकोशिक जीवों में कोशिका भित्ति के होने या न होने के कारण आए परिवर्तनों से भिन्न होते हैं। अतः कथन (1) गलत है।

  • इन जीवों में न तो संगठित केंद्रक और कोशिकांग होते हैं और न ही उनके शरीर बहुकोशिक होते हैं।
  • पोषण के स्तर पर ये स्वपोषी अथवा विषमपोषी दोनों हो सकते हैं।
  • जीवाणु, नील-हरित शैवाल अथवा साइनोबैक्टीरिया तथा माइकोप्लाज्मा इस जगत के जीवों के कुछ उदाहरण हैं। अतः कथन (2) सही है।

प्रश्न-5: अमीबा (Amoeba) और प्रोटोजोआ (Protozoa) निम्नलिखित में से किस जगत के अंतर्गत आते हैं?

  1. प्रोटिस्टा
  2. मोनेरा
  3. प्लांटी
  4. इनमें से कोई नहीं।

व्याख्याः (Option: 1) एककोशिक शैवाल, डाइएटम, प्रोटोजोआ, अमीबा और युग्लीना प्रोटिस्टा जगत के जीवों के कुछ उदाहरण हैं।

प्रोटिस्टा जगत (Protista Kingdom) में एककोशिक, यूकैरियोटी जीव आते हैं। इस वर्ग के कुछ जीवों में गमन के लिये सीलिया, फ्लैजेला नामक संरचनाएँ पाई जाती हैं। ये स्वपोषी और विषमपोषी दोनों हो सकते हैं।


प्रश्न-6: फंजाई (कवक) जगत के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः

  • कथन1: इस जगत के जीव मृतजीवी होते हैं।
  • कथन-2: इस जगत की कुछ प्रजातियाँ साइनोबैक्टीरिया के साथ सहजीवी संबंध दर्शाती हैं।
  • कथन-3: फंजाई में उपस्थित कोशिकाभित्ति काइटिन की बनी होती है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

  1. केवल 1 और 2
  2. केवल 2 और 3
  3. केवल 3
  4. 1, 2 और 3

व्याख्याः (Option: 4) उपर्युक्त सभी कथन सही हैं। फंजाई विषमपोषी (Heterotrophic) यूकैरियोटी जीव हैं। ये पोषण के लिये सड़े-गले कार्बनिक पदार्थों पर निर्भर रहते हैं, इसलिये इन्हें मृतजीवी (Saprophyte) कहा जाता है। इनमें कई अपने जीवन की विशेष अवस्था में बहुकोशिक क्षमता प्राप्त कर लेते हैं। 

कवकों की कुछ प्रजातियाँ नील-हरित शैवाल (साइनोबैक्टीरिया) के साथ स्थायी अंतर्संबंध बनाती हैं, जिसे सहजीविता (Symbiosis) कहते हैं। ऐसे सहजीवी जीवों को लाइकेन कहा जाता है। ये लाइकेन अक्सर पेड़ों की छालों पर रंगीन धब्बों के रूप में दिखाई देते हैं।

फंजाई में काइटिन नामक जटिल शर्करा की बनी हुई कोशिका भित्ति पाई जाती है। यीस्ट, मशरूम, एस्पर्जिलस, पेनिसिलियम तथा एगेरिकस फंजाई जगत के कुछ उदाहरण हैं। 


प्रश्न-7: प्लांटी और ऐनिमेलिया जगत के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः

  • कथन-1: प्लांटी वर्ग में ऐसे बहुकोशिक यूकैरियोटी जीव आते हैं, जिनमें कोशिका भित्ति अनुपस्थित होती है।
  • कथन-2: ऐनिमेलिया वर्ग में ऐसे बहुकोशिक यूकैरियोटी जीव आते हैं, जो विषमपोषी होते हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

  1. केवल 1
  2. केवल 2
  3. 1 और 2 दोनों
  4. न तो 1 और न ही 2

व्याख्याः (Option: 2) कथन (1) गलत है, क्योंकि प्लांटी वर्ग में ऐसे बहुकोशिक यूकैरियोटी जीव आते हैं, जिनमें कोशिकाभित्ति उपस्थित होती है। ये स्वपोषी (Autotrophs) होते हैं और प्रकाश-संश्लेषण के लिये क्लोरोफिल का प्रयोग करते हैं। इस वर्ग में सभी पौधों को रखा गया है।

कथन (2) सही है। ऐनिमेलिया वर्ग में ऐसे सभी बहुकोशिक यूकैरियोटी जीव आते हैं, जिनमें कोशिकाभित्ति नहीं पाई जाती है। इस वर्ग के जीव विषमपोषी (Heterogeneous) होते हैं।


प्रश्न-8: प्लांटी जगत को शारीरिक जटिलता के आधार पर पाँच वर्गों में बाँटा गया है। निम्नलिखित में से कौन-से इस वर्ग में सम्मिलित नहीं हैं?

  1. थैलोफाइटा
  2. जिम्नोस्पर्म
  3. मोलस्का
  4. पोरीफेरा
  5. निमेटोडा

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग करके सही उत्तर चुनिये।

  1. केवल 1, 2 और 3
  2. केवल 2, 3 और 4
  3. केवल 3, 4 और 5
  4. केवल 1, 2 और 5

व्याख्याः (Option: 3) प्लांटी और ऐनिमेलिया को उनकी क्रमिक शारीरिक जटिलता के आधार पर वर्गीकृत किया गया है। पौधों को पाँच वर्गों में बाँटा गया है– शैवाल, ब्रायोफाइटा, टेरिडोफाइटा, जिम्नोस्पर्म और एंजियोस्पर्म।

जंतुओं (ऐनिमेलिया) को इस फाइलम में बाँटा गया है– पोरीफेरा, सीलेंटरेटा, प्लेटीहेल्मिन्थीज, निमेटोडा, एनीलिडा, आर्थ्रोपोडा, मोलस्का, इकाइनोडर्मेटा, प्रोटोकॉर्डेटा और वर्टीब्रेटा।


प्रश्न-9: प्लांटी जगत के विभिन्न वर्गों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः

  • कथन-1: थैलोफाइटा वर्ग के पौधे मुख्यतः जल में पाए जाते हैं।
  • कथन-2: ब्रायोफाइटा वर्ग के पौधों को पादप वर्ग का उभयचर कहा जाता है।
  • कथन-3: टेरिडोफाइटा में संवहन ऊतक उपस्थित होते हैं।
  • कथन-4: थैलोफाइटा, ब्रायोफाइटा तथा टेरिडोफाइटा तीनों में बीज उत्पन्न करने की क्षमता नहीं होती है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?

  1. केवल 1 और 2
  2. केवल 2 और 3
  3. केवल 3 और 4
  4. 1, 2, 3 और 4

व्याख्याः (Option: 4) उपर्युक्त सभी कथन सही हैं। थैलोफाइटा वर्ग (Thalophyta) के पौधों की शारीरिक संरचना में विभेदीकरण नहीं पाया जाता है। इस वर्ग के पौधों को सामान्यतः शैवाल कहा जाता है। ये मुख्य रूप से जल में पाए जाते हैं। यूलोथिक्स, स्पाइरोगाइरा, अल्वा, क्लैडोफोरा तथा कारा इस वर्ग के पादपों के उदाहरण हैं।

ब्रायोफाइटा वर्ग (Bryophyta) के पादप वर्ग को उभयचर कहा जाता है। यह पादप, तना और पत्तों जैसी संरचना में विभाजित होता है। इसमें संवहन ऊतक नहीं होते हैं। मॉस (फ्यूनेरिया), मार्केंशिया तथा रिक्सिया इस वर्ग के पादपों के कुछ उदाहरण हैं।

टेरिडोफाइटा वर्ग (Pteridophyta) के पौधों का शरीर जड़, तना तथा पत्ती में विभाजित होता है। इसमें जल तथा अन्य पदार्थों के संवहन के लिये संवहन ऊतक उपस्थित होते हैं। मार्सीलिया, फर्न और हॉर्स-टेल इस वर्ग के पादपों के उदाहरण हैं।

थैलोफाइटा, ब्रायोफाइटा और टेरिडोफाइटा में नग्न भ्रूण (embryos) पाए जाते हैं, जिन्हें बीजाणु (spore) कहते हैं। इन तीनों समूहों के पादपों में जननांग (Reproductive organs) अप्रत्यक्ष होते हैं। अतः ये क्रिप्टोगैम (Cryptogams) कहलाते हैं।


प्रश्न-10: फैनरोगैम पौधों (Phanerogam plants) को जिम्नोस्पर्म और एंजियोस्पर्म दो वर्गों में विभाजित किया जाता है। इन वर्गों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः

  • कथन-1: जिम्नोस्पर्म फल के अन्दर (बंद) बीज उत्पन्न करने वाले पौधों का वर्ग है।
  • कथन-2: एंजियोस्पर्म वर्ग के सभी पौधों में पुष्प लगते हैं।
  • कथन-3: जिम्नोस्पर्म वर्ग के पौधे एकबीजपत्री (Monocots), जबकि एंजियोस्पर्म वर्ग के पौधे द्विबीजपत्री (Dicots) होते हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही नहीं है/हैं?

  1. केवल 1 और 2
  2. केवल 2
  3. केवल 1 और 3
  4. 1, 2 और 3

व्याख्याः (Option: 3) क्रिप्टोगैम के विपरीत वे पौधे जिनमें जनन ऊतक पूर्ण विकसित एवं विभेदित होते हैं तथा जनन प्रक्रिया के पश्चात् बीज उत्पन्न करते हैं, फैनरोगैम (Phanerogam) कहलाते हैं। 

  • इनमें बीज के अंदर भ्रूण के साथ खाद्य पदार्थ (भोजन) संचित होता है, जिसका उपयोग भ्रूण के प्रारंभिक विकास एवं अंकुरण के समय होता है। बीज की अवस्था के आधार पर फैनरोगैम को जिम्नोस्पर्म (अनावृतबीजी) तथा एंजियोस्पर्म (आवृतबीजी) दो वर्गों में विभाजित किया जाता है।
  • जिम्नोस्पर्म नग्न (खुले) बीज उत्पन्न करने वाले पौधे हैं। अतः इन्हें नग्नबीजी पौधे भी कहा जाता है। ये बहुवर्षी सदाबहार तथा काष्ठीय होते हैं, उदाहरणार्थ- पाइनस तथा साइकस। अतः कथन (1) गलत है। 
  • एंजियोस्पर्म फल के अंदर (बंद) बीज उत्पन्न करने वाले पौधों का वर्ग है। इनके बीजों का विकास अंडाशय के अंदर होता है, जो बाद में फल बन जाता है। इस उपवर्ग के पौधों के सभी सदस्यों में पुष्प लगते हैं, इसलिये इन्हें पुष्पी पादप (Floral plant) भी कहा जाता है। अतः कथन (2) सही है।
  • एंजियोस्पर्म में पौधों के अंकुरण के समय निकलने वाले बीजपत्रों के आधार पर इन्हें दो वर्गों-एकबीजपत्री (Monocots) तथा द्विबीजपत्री (Dicots) में बाँटा गया है। एकबीजपत्री में एक बीजपत्र तथा द्विबीजपत्री में दो बीजपत्र होते हैं। अतः कथन (3) गलत है। 

प्रश्न-11: सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिये तथा नीचे दिये गए कूट का प्रयोग करके सही उत्तर चुनियेः

सूची-I
(फाइलम)
सूची-II
(उदाहरण)   
A. पोरीफेरा1. फीताकृमि (Tape Worm)
B. सीलेंटरेटा2. गोलकृमि (Roundworm)
C. प्लेटीहेल्मिन्थीज3. हाइड्रा
D. निमेटोडा4. स्पंज

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग करके सही उत्तर चुनियेः A : B : C : D

  1. 4321
  2. 4312
  3. 1234
  4. 2134

व्याख्याः (Option: 2) उपर्युक्त सभी ऐनिमेलिया जगत के फाइलम (वर्ग) हैं।

पोरीफेरा फाइलम (Porifera phylum) (वर्ग) में छिद्रयुक्त जीव आते हैं, जो अचल तथा किसी आधार से चिपके रहते हैं। अपने शरीर के छिद्रों (जो कि नाल प्रणाली से जुड़े होते हैं) के माध्यम से ये जल, ऑक्सीजन व भोजन का संचरण करते हैं। इनका शरीर कठोर आवरण (बाह्य कंकाल) व सरल शारीरिक संरचना (ऊतक विभेदन नहीं) जैसी विशेषता रखता है। इन्हें सामान्यतः स्पंज कहते हैं, जो बहुधा समुद्री आवास में पाए जाते हैं। साइकॉन, यूप्लेक्टेला तथा स्पांजिला इसके उदाहरण हैं।

सीलेंटरेटा (Seelentreta) जलीय जंतु हैं। इनका शारीरिक संगठन ऊतकीय स्तर का होता है। इनमें एक देहगुहा (Body Cavity) पाई जाती है। इनका शरीर कोशिकाओं की दो परतों (आंतरिक एवं बाह्य परत) का बना होता है। इनकी कुछ जातियाँ समूह में रहती हैं (जैसे- कोरल) और कुछ एकाकी होती हैं (जैसे- हाइड्रा)। समुद्री एनीमोन और जेलीफिश भी इस वर्ग के उदाहरण हैं।

प्लेटीहेल्मिन्थीज (Platyhelminthes) का शरीर द्विपार्श्वसममित (Bilaterally Symmetrical – शरीर के दाएँ और बाएँ भाग की संरचना समान) तथा त्रिकोरक (Triploblastic – ऊतक विभेदन तीन कोशिकीय स्तरों पर) होता है। इनमें बाह्य तथा आंतरिक स्तर तथा कुछ अंग भी होते हैं। इनमें वास्तविक देहगुहा (True Body Cavity) का अभाव होता है जिसमें सुविकसित अंग व्यवस्थित हो सकें। इनका शरीर पृष्ठधारीय तथा चपटा होता है इसलिये इन्हें चपटे कृमि (Flatworms) कहा जाता है। इस वर्ग में प्लेनेरिया जैसे कुछ स्वच्छंद तथा फीताकृमि और लिवरफ्लूक जैसे परजीवी हैं।

निमेटोडा (Nematoda) भी त्रिकोरक तथा द्विपार्श्वसममित जंतु हैं, लेकिन इनका शरीर बेलनाकार है। इनकी देहगुहा को कूटसीलोम कहते हैं। इनमें ऊतक होते परंतु अंगतंत्र पूर्ण विकसित नहीं होते हैं। ये अधिकांशतः परजीवी होते हैं जिस कारण दूसरे जंतुओं में रोग उत्पन्न करते हैं। गोलकृमि, फाइलेरिया कृमि, पिन कृमि (Pinworms) इसके सामान्य उदाहरण हैं।


प्रश्न-12: सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिये तथा नीचे दिये गए कूट का प्रयोग करके सही उत्तर चुनियेः

सूची-I
(फाइलम) 
सूची-II
(विशेषता)   
A. एनीलिडा1. वास्तविक देहगुहा
B. आथ्रोपोडा2. जंतु जगत का सबसे बड़ा संघ
C. मोलस्का3. खुला संवहनी तंत्र
D. इकाइनोडर्मेटा4. त्वचा काँटों से आच्छादित

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग करके सही उत्तर चुनियेः A : B : C : D

  1. 1234
  2. 3124
  3. 4231
  4. 3412

व्याख्याः (Option: 1) उपर्युक्त सभी ऐनिमेलिया जगत के फाइलम (वर्ग) हैं।

एनीलिडा जंतु द्विपार्श्वसममित (Bilaterally Symmetrical) एवं त्रिकोरिक (Triploblastic) होते हैं। इनमें वास्तविक देहगुहा (True Body Cavity) तथा वास्तविक अंग पाए जाते हैं। इनका शरीर खंडयुक्त (Segmented) होता है। ये जलीय और स्थलीय दोनों होते हैं। जलीय एनीलिडा अलवण एवं लवणीय जल दोनों में पाए जाते हैं। इनमें संवहन, पाचन, उत्सर्जन और तंत्रिका तंत्र पाए जाते हैं। केंचुआ, नेरीस तथा जोंक इसके उदाहरण हैं। 

आथ्रोपोडा जंतु जगत का सबसे बड़ा संघ है। इनमें भी द्विपार्श्वसममिति पाई जाती है और शरीर खंडयुक्त होता है। इनमें खुला परिसंचरण (Open Circulatory) तंत्र पाया जाता है। अतः रुधिर वाहिकाओं में नहीं बहता। देहगुहा रक्त से भरी होती है। इनमें जुड़े हुए पैर पाए जाते हैं। झींगा, तितली, मक्खी, बिच्छू, मकड़ी, केकड़े, तिलचट्टा तथा शतपाद (कनखजूरा) इस वर्ग के अंतर्गत आने वाले कुछ जंतु हैं।

मोलस्का में भी द्विपार्श्वसममिति पाई जाती है। इनकी देहगुहा बहुत कम (छोटी) होती है और शरीर में थोड़ा विखंडन होता है। अधिकांश मोलस्का जंतुओं में कवच पाया जाता है। इनमें खुला परिसंचरण (Circulatory) तंत्र तथा उत्सर्जन के लिये गुर्दे जैसी संरचना पाई जाती है। घोंघा, सीप, ऑक्टोपस, यूनियो, काइटॉन इत्यादि इस वर्ग के उदाहरण हैं। 

इकाइनोडर्मेटा की त्वचा काँटों से आच्छादित होती है। ये मुक्त जीवी समुद्री जंतु हैं। ये देहगुहायुक्त त्रिकोरकी (Triploblastic) जंतु हैं। इनमें विशिष्ट जल संवहन नाल तंत्र पाया जाता है जो उनके चलन में सहायक है। इनमें कैल्शियम कार्बोनेट का कंकाल एवं काँटे पाए जाते हैं। उदाहरणार्थः स्टारफिश, समुद्री अर्चिन, पंखतारा (एंटेडॉन), समुद्री खीरा (होलोथूरिया) इत्यादि।


प्रश्न-13: प्रोटोकॉर्डेटा तथा वर्टीब्रेटा फाइलम के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः

  • कथन-1: नोटोकॉर्ड प्रोटोकॉर्डेटा वर्ग के जंतुओं का एक लक्षण है।
  • कथन-2: वास्तविक मेरुदण्ड की उपस्थित वर्टीब्रेटा जंतुओं का एक लक्षण है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

  1. केवल 1
  2. केवल 2
  3. 1 और 2 दोनों
  4. न तो 1 और न ही 2

व्याख्याः (Option: 3) उपर्युक्त दोनों कथन सही हैं।

प्रोटोकॉर्डेटा द्विपार्श्वसममित (Bilaterally Symmetrical), त्रिकोरकी (Triploblastic) एवं देहगुहा (Body Cavity) युक्त जंतु हैं। नोटोकॉर्ड इनका एक विशेष लक्षण है। इनके जीवन की कुछ अवस्थाओं में नोटोकॉर्ड निश्चित रूप से उपस्थित होता है, परंतु जीवन की सभी अवस्थाओं में उपस्थित नहीं रह सकता। नोटोकॉर्ड छड़ के जैसी लंबी संरचना है जो जंतुओं के पृष्ठ भाग पर उपस्थित होती है। यह तंत्रिका ऊतक को आहारनाल से अलग करती है तथा पेशियों के जुड़ने का स्थान भी प्रदान करती है जिससे जंतुओं को चलन में आसानी होती है। प्रोटोकॉर्डेटा समुद्री जंतु हैं, उदाहरणार्थ- बैलैनाग्लोसस, हर्डमेनिया, एम्फियोक्सस इत्यादि। 

वर्टीब्रेटा (कशेरुकी) वर्ग के जंतुओं में वास्तविक मेरुदंड एवं अतः कंकाल पाया जाता है। इस कारण जंतुओं में पेशियों का वितरण अलग है एवं पेशियाँ कंकाल से जुड़ी होती हैं। सभी कशेरुकी जीवों में निम्नलिखित लक्षण पाए जाते हैं-

  • नोटोकॉर्ड
  • पृष्ठनलीय कशेरुक दंड एवं मेरुरज्जु
  • त्रिकोरकी शरीर
  • युग्मित क्लोम थैली
  • देहगुहा

प्रश्न-14: निम्नलिखित में से कौन-से वर्टीब्रेटा (कशेरुकी) फाइलम के हिस्से हैं?

  1. मत्स्य (Pisces)
  2. जल-स्थलचर (Amphibia)
  3. सरीसृप (Reptilia)
  4. पक्षी (Aves)
  5. स्तनपायी (Mammalia)

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनियेः

  1. केवल 1, 2 और 3
  2. केवल 2, 3 और 4
  3. केवल 3, 4 और 5
  4. 1, 2, 3, 4 और 5

व्याख्याः (Option: 4) वर्टीब्रेटा (कशेरुकी) वर्ग को पुन 5 वर्गों में विभाजित किया गया है। इसमें मत्स्य, जल-स्थलचर, सरीसृप, पक्षी तथा स्तनपायी सम्मिलित हैं। 


प्रश्न-15: निम्नलिखित पर विचार कीजियेः कौन-सी विशेषता/विशेषताएँ मत्स्य, जल-स्थलचर (उभयचर) तथा सरीसृप वर्गों में समान रूप से नहीं पाई जाती है/हैं?

  1. ये अंडे देने वाले जंतु हैं।
  2. ये असमतापी (Cold-blooded) होते हैं।
  3. इनका हृदय त्रिकक्षीय (Chambered) होता है।

उपर्युक्त विशेषताओं में से कौन-सी विशेषता समान रूप से नहीं पाई जाती है/हैं?

  1. केवल 1 और 2
  2. केवल 2 और 3
  3. केवल 3
  4. 1, 2 और 3

व्याख्याः (Option: 3) मत्स्य, उभयचर तथा सरीसृप तीनों वर्टीब्रेटा के वर्गीकरण का हिस्सा हैं। 

मत्स्य वर्ग में मछलियाँ आती हैं। ये असमतापी होती हैं, अंडे देती हैं तथा इनमें कंकाल उपस्थित होता है। कुछ मछलियों, जैसे- शार्क का कंकाल केवल उपास्थि का बना होता है, परंतु अन्य प्रकार की मछलियों में कंकाल अस्थि का बना होता है। इनका हृदय द्विकक्षीय होता है।

जल-स्थलचर (उभयचर) में मछलियों के विपरीत शल्क नहीं पाए जाते। इनकी त्वचा में श्लेष्म ग्रंथियाँ पाई जाती हैं। ये अंडे देते हैं तथा असमतापी होते हैं। इनमें बाह्य कंकाल नहीं होता। ये जल तथा स्थल दोनों पर रह सकते हैं। इनमें श्वसन के लिये क्लोम और फेफड़े होते हैं। इनमें वृक्क भी पाया जाता है। इनका हृदय त्रिकक्षीय होता है। 

सरीसृपों (Reptiles) का शरीर शल्कों द्वारा ढका होता है। ये असमतापी हैं और अण्डे देते हैं। इनमें श्वसन फेफड़ों द्वारा होता है। इनका हृदय सामान्यतः त्रिकोणीय होता है, लेकिन मगरमच्छ का हृदय चारकक्षीय होता है।


प्रश्न-16: पक्षी और स्तनपायी जंतुओं के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः

  • कथन-1: ये दोनों समतापी (Warm-blooded) जीव हैं।
  • कथन-2: इनमें चारकक्षीय हृदय पाया जाता है।
  • कथन-3: इनमें श्वसन के लिये फेफड़े होते हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

  1. केवल 1 और 2
  2. केवल 2 और 3
  3. केवल 3
  4. 1, 2 और 3

व्याख्याः (Option: 4) उपर्युक्त सभी कथन सही हैं। पक्षी और स्तनपायी दोनों वर्टीब्रेटा वर्ग के अंतर्गत आते हैं।

पक्षी समतापी (Isothermal = Warm-blooded) हैं। इनका हृदय चार कक्षीय होता है। इनके दो जोड़ी पैर होते हैं। इनमें आगे वाले दो पैर उड़ने के लिये पंखों में परिवर्तित हो जाते हैं। शरीर परों से ढका होता है। श्वसन फेफड़ों से होता है। इस वर्ग में सभी पक्षियों को रखा गया है। 

स्तनपायी भी समतापी प्राणी हैं। इनका हृदय चारकक्षीय होता है। इस वर्ग के सभी जंतुओं में नवजात के पोषण के लिये दुग्ध ग्रंथियाँ पाई जाती हैं। इनकी त्वचा पर बाल, स्वेद और तेल ग्रंथियाँ होती हैं। ये शिशुओं को जन्म देते हैं, हालाँकि इकिड्ना और प्लेटिपस (डक बिल्ड, प्लेटिपस) जैसे कुछ जंतु अपवाद स्वरूप अण्डे भी देते हैं। कंगारू जैसे कुछ स्तनपायी में अविकसित बच्चे मार्सूपियम नामक थैली में तब तक लटके रहते हैं जब तक कि उनका पूर्ण विकास नहीं हो जाता है। चमगादड़, बिल्ली और चूहा भी इसी वर्ग में आते हैं। 


प्रश्न-17: जीवों के वैज्ञानिक नाम पद्धति (Binomial nomenclature) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः

  • कथन-1: इस वैज्ञानिक नाम पद्धति को सबसे पहले केरोलस नीनियस द्वारा शुरू किया गया था।
  • कथन-2: इसके अंतर्गत नाम देने के लिये केवल जीनस एवं स्पीशीज़ (प्रजाति) को ही ध्यान रखा जाता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

  1. केवल 1
  2. केवल 2
  3. 1 और 2 दोनों
  4. न तो 1 और न ही 2

व्याख्याः (Option: 3) उपर्युक्त दोनों कथन सही हैं। किसी जीव का केवल एक ही वैज्ञानिक नाम होता है और पूरे संसार में वह उसी मात्रा से जाना जाता है। 

इस वैज्ञानिक नाम पद्धति का सबसे पहले केरोलस लीनियस द्वारा आरम्भ किया गया। उन्होंने ‘सिस्टेमा नेचुरी’ नामक पुस्तक लिखी जो आगे चलकर विभिन्न वर्गीकरण प्रणालियों का आधार बनी। नाम पद्धति (द्विपद-नाम पद्धति) के लिये कुछ विशेष बातों पर विचार किया जाता है, जैसे- [Genus-जाति] + [species-प्रजाति] पहला जीनस को इंगित करता है और दूसरा विशिष्ट एपिथेट।

  • जीनस का नाम अंग्रेज़ी के बड़े अक्षर से शुरू होना चाहिये।
  • प्रजाति का नाम छोटे अक्षर से शुरू होना चाहिये।
  • छपे हुए रूप में वैज्ञानिक नाम इटैलिक से लिखे जाते हैं।
  • जब इन्हें हाथ से लिखा जाता है तो जीनस और स्पीशीज़ दोनों को अलग-अलग रेखांकित कर दिया जाता है।

प्रश्न-18: निम्नलिखित में से कौन-सा उभयचर (Amphibian) नहीं है? 

  1. मेंढक
  2. टोड
  3. सैलामेंडर
  4. दरियाई घोड़ा

व्याख्याः (Option: 4) मेड़क, टोड, सैलामेंडर, हाइला (वृक्ष मेंढक) उभयचर के उदाहरण हैं, जबकि दरियाई घोड़ा मत्स्य वर्ग का जंतु है।


प्रश्न-19: निम्नलिखित में से कौन-सा सरीसृप (Reptiles) वर्ग का जंतु नहीं है?

  1. कछुआ
  2. ऑस्ट्रिच
  3. उड़न छिपकली
  4. किंग कोबरा

व्याख्याः (Option: 2) कछुआ, उड़न छिपकली, घरेलू छिपकली, किंग कोबरा (सर्प) तथा कैमेलियॉन सरीसृप हैं, जबकि ऑस्ट्रिच, सफेद स्टोर्क तथा नर गुच्छेदार बत्तख पक्षी वर्ग के अंतर्गत आते हैं।


प्रश्न-20: निम्नलिखित में से कौन-सा जंतु स्तनपायी (Mammal) नहीं है?

  1. सील
  2. ह्वेल
  3. मगरमच्छ
  4. डॉल्फिन

व्याख्याः (Option: 3) सील, ह्वेल तथा डॉल्फिन स्तनपायी वर्ग के हैं, जबकि मगरमच्छ सरीसृप वर्ग में आता है।


प्रश्न-21: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः

  • कथन-1: केंद्रकयुक्त कोशिकाओं में बहुकोशिक जीव के निर्माण की क्षमता होती है।
  • कथन-2: ऐसी कोशिकाएँ श्रम विभाजन सिद्धांत के विपरीत कार्य करती हैं, जो एक साथ समूह बनाकर किसी जीव का निर्माण करती हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

  1. केवल 1
  2. केवल 2
  3. 1 और 2 दोनों
  4. न तो 1 और न ही 2

व्याख्याः (Option: 1) केंद्रकयुक्त कोशिकाओं में बहुकोशिक जीव के निर्माण की क्षमता होती है, क्योंकि वे किन्हीं खास कार्यों के लिये विशिष्टीकृत हो सकते हैं। अतः कथन (1) सही है।

जो कोशिकाएँ एक साथ-समूह बनाकर किसी जीव का निर्माण करती हैं, उनमें श्रम विभाजन (Work division) पाया जाता है तथा वे उसी के अनुरूप कार्य करती हैं। शारीरिक रचना में ये सभी कोशिकाएँ एक-समान नहीं होती हैं, बल्कि कोशिकाओं के समूह कुछ खास कार्यों के लिये विशिष्टीकृत हो जाते हैं। अतः कथन (2) गलत है।


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