MCQ on Economics: भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक

यहां हम अर्थशास्त्र के विषय “भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक” से संबंधित कुछ प्रश्न देखेंगे। ये सवाल NCERT की किताब से लिए गए हैं।

Contents hide

Q&A: भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक (Question and Answer on Sectors of Indian Economy)


प्रश्न-1: नीचे दिये गए कथनों को ध्यानपूर्वक पढ़ियेः

  • कथन-1: जब प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करके किसी वस्तु का उत्पादन किया जाता है तो इसे प्राथमिक क्षेत्रक की गतिविधि कहा जाता है।
  • कथन-2: द्वितीयक क्षेत्रक की गतिविधियों के अंतर्गत प्राकृतिक उत्पादों को विनिर्माण प्रणाली के ज़रिये अन्य रूपों में परिवर्तित किया जाता है।

उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?

  1. केवल 1
  2. केवल 2
  3. 1 और 2 दोनों
  4. न तो 1 और न ही 2

व्याख्याः (Option: 3) उपरोक्त दोनों कथन सही हैं। जब हम प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करके किसी वस्तु का उत्पादन करते हैं तो इसे प्राथमिक क्षेत्रक (Primary sector) की गतिविधि कहा जाता है। क्योंकि यह उन सभी उत्पादों का आधार है जिन्हें हम क्रमशः निर्मित करते हैं। चूँकि हम अधिकांश प्राकृतिक उत्पाद कृषि, डेयरी, मत्स्यन और वनों से प्राप्त करते हैं इसलिये इस क्षेत्रक को कृषि एवं सहायक क्षेत्रक भी कहा जाता है।

द्वितीयक क्षेत्रक (Secondary sector) की गतिविधियों के अंतर्गत प्राकृतिक उत्पादों को विनिर्माण प्रणाली के ज़रिये अन्य रूपों में परिवर्तित किया जाता है। यह प्राथमिक क्षेत्रक के बाद अगला कदम है। यहाँ वस्तु सीधे प्रकृति से उत्पादित नहीं होती है, बल्कि निर्मित की जाती है। यह प्रक्रिया किसी कारखाना, किसी कार्यशाला या घर में हो सकती है।


प्रश्न-2: निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?

  • कथन-1: तृतीयक क्षेत्रक की आर्थिक गतिविधियाँ स्वतः वस्तुओं का उत्पादन नहीं करतीं बल्कि उत्पादन प्रक्रिया में सहयोग या मदद करती हैं।
  • कथन-2: तृतीयक क्षेत्रक को सेवा क्षेत्रक भी कहा जाता है।

कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?

  1. केवल 1
  2. केवल 2
  3. 1 और 2 दोनों
  4. न तो 1 और न ही 2

व्याख्याः (Option: 3) तृतीयक क्षेत्रक (Tertiary sector) की आर्थिक गतिविधियाँ स्वतः वस्तुओं का उत्पादन नहीं करतीं, बल्कि उत्पादन प्रक्रिया में सहयोग या मदद करती हैं, जैसे- प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्रक द्वारा उत्पादित वस्तुओं को थोक एवं खुदरा विक्रेताओं को बेचने के लिये ट्रकों एवं ट्रेनों द्वारा परिवहन करने की ज़रूरत पड़ती है। परिवहन, भण्डारण, संचार, बैंक सेवाएँ तृतीयक गतिविधियों के कुछ उदाहरण हैं। चूँकि ये गतिविधियाँ वस्तुओं के बजाए सेवाओं का सृजन करती हैं, इसलिये तृतीयक क्षेत्रक को सेवा क्षेत्रक भी कहा जाता है।


प्रश्न-3: निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सकल घरेलू उत्पाद (GDP) को सही तरीके से परिभाषित करता है?

  1. किसी विशेष वर्ष में देश के भीतर उत्पादित सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य।
  2. किसी विशेष वर्ष में देश की नागरिकों द्वारा देश के भीतर एवं बाहर उत्पादित सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य।
  3. किसी विशेष वर्ष में देश के गरीबी रेखा से ऊपर के नागरिकों के द्वारा उत्पादित वस्तुओं एवं सेवाओं का मूल्य।
  4. किसी विशेष वर्ष में देश के करदाता नागरिकों द्वारा उत्पादित सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य।

व्याख्याः (Option: 1) किसी विशेष वर्ष में प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रक द्वारा उत्पादित अंतिम वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य, उस वर्ष में क्षेत्रक के कुल उत्पादन की जानकारी प्रदान करता है। तीनों क्षेत्रकों के उत्पादनों के योगफल को देश का सकल घरेलू उत्पाद कहते हैं। सकल घरेलू उत्पाद (GDP) अर्थव्यवस्था की विशालता प्रदर्शित करता है।


प्रश्न-4: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः

  • कथन-1: भारत की जी.डी.पी. में सबसे अधिक योगदान तृतीयक क्षेत्रक में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं का है।
  • कथन-2: भारत में लोगों को सबसे अधिक रोजगार प्राथमिक क्षेत्रक के अंतर्गत मिलता है।
  • कथन-3: भारत के सेवा क्षेत्र में उत्पादन की जितनी वृद्धि हुई उतनी रोजगार में वृद्धि नहीं हुई है।

उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?

  1. 1 और 2
  2. 2 और 3
  3. 1 और 3
  4. उपरोक्त सभी

व्याख्याः (Option: 4) भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में सबसे अधिक योगदान तृतीयक क्षेत्रक का है तथा सबसे कम योगदान प्राथमिक क्षेत्रक का है। किन्तु रोज़गार के संदर्भ में इसकी एकदम विपरीत स्थिति है। सबसे अधिक नियोक्ता प्राथमिक क्षेत्र में लगे हैं। इसका प्रमुख कारण यह है कि द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रक में रोजगार के पर्याप्त अवसर का सृजन नहीं हुआ है।

परिणामतः देश में आधे से अधिक श्रमिक प्राथमिक क्षेत्रक, मुख्यतः कृषि क्षेत्र में लगे हुए हैं, जिनका जी.डी.पी. में योगदान केवल एक-चौथाई है। इसकी तुलना में द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रक का जी.डी.पी. में हिस्सा तीन-चौथाई है परन्तु ये क्षेत्र आधे से भी कम लोगों को रोजगार प्रदान करते हैं।


प्रश्न-5: निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?

  • कथन-1: प्राथमिक एवं द्वितीयक क्षेत्रक का विकास जितना अधिक होगा तृतीयक क्षेत्रक का विकास भी उतना ही अधिक होगा।
  • कथन-2: विकसित देशों की अर्थव्यवस्था में अधिकांश श्रमजीवी लोग सेवा क्षेत्रक में ही नियोजित हैं।

कौन-सा/से कथन सही है/हैं?

  • केवल 1
  • केवल 2
  • 1 और 2 दोनों
  • न तो 1 और न ही 2

व्याख्याः (Option: 3) कृषि, खनन एवं उद्योगों के विकास से परिवहन, व्यापार एवं भण्डारण जैसी सेवाओं का विकास होता है। अतः प्राथमिक एवं द्वितीयक क्षेत्रक का विकास जितना अधिक होगा, सेवाओं की मांग उतनी ही अधिक होगी जिस कारण तृतीयक क्षेत्रक के विकास में भी वृद्धि होगी।

विकसित देशों की अर्थव्यवस्था में सामान्य लक्षण यह दिखाई देता है कि वहाँ के अधिकांश श्रमजीवी लोग सेवा क्षेत्रक में नियोजित होते हैं।


प्रश्न-6: अर्थव्यवस्था के संगठित क्षेत्रक के संबंध में नीचे दिये गए कथनों में से कौन-से सत्य हैं?

  • कथन-1: संगठित क्षेत्रक में वे उद्यम अथवा कार्य-स्थान आते हैं, जहाँ रोजगार की अवधि नियमित होती है।
  • कथन-2: संगठित क्षेत्रक सरकार द्वारा पंजीकृत होते हैं और उन्हें सरकारी नियमों एवं विनियमों का अनुपालन करना होता है।
  • कथन-3: संगठित क्षेत्रक के कर्मचारी को सवेतन छुट्टी, अवकाश, बीमारी के कारण छुट्टी इत्यादि का कोई प्रावधान नहीं होता है।

दिये गए कथनों में से कौन-से सत्य हैं?

  1. 1 और 3
  2. 2 और 3
  3. 1 और 2
  4. उपरोक्त सभी

व्याख्याः (Option: 3) कथन 1 एवं 2 सही हैं। संगठित क्षेत्रक (Organized sector) में वे उद्यम आते हैं जहाँ रोजगार की अवधि नियमित होती है। इसलिये लोगों के पास सुनिश्चित काम होता है। वे क्षेत्रक सरकार द्वारा पंजीकृत होते हैं और उन्हें सरकारी नियमों एवं विनियमों की अनेक विधियों जैसे कारखाना अधिनियम, न्यूनतम मज़दूरी अधिनियम, सेवानुदान अधिनियम इत्यादि में उल्लेख किया गया है। इसे संगठित क्षेत्रक कहते हैं क्योंकि इसकी कुछ औपचारिक प्रक्रिया एवं कार्यविधि है।

संगठित क्षेत्रक के कर्मचारियों को रोजगार सुरक्षा के लाभ मिलते हैं। उनसे एक निश्चित समय तक ही काम करने की आशा की जाती है। इस क्षेत्र के कर्मचारी नियोक्ता से कई दूसरे लाभ भी प्राप्त करते हैं। जैसे सवेतन छुट्टी, अवकाश काल में भुगतान, भविष्य निधि, सेवानुदान इत्यादि।


प्रश्न-7: अर्थव्यवस्था के असंगठित क्षेत्रक के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः

  • कथन-1: असंगठित क्षेत्रक में छोटी-छोटी और बिखरी इकाईयाँ शामिल होती हैं, जो अधिकांशतः सरकारी नियंत्रण से बाहर होती हैं।
  • कथन-2: यहाँ रोजगार सुरक्षित नहीं होता है तथा श्रमिकों को बिना किसी कारण काम से हटाया जा सकता है।
  • कथन-3: असंगठित क्षेत्रक के लिये कोई नियम एवं विनियम नहीं होते हैं।

उपरोक्त कथनों में कौन-से सत्य हैं?

  1. 1 और 2
  2. 2 और 3
  3. 1 और 3
  4. उपरोक्त सभी

व्याख्याः (Option: 1) असंगठित क्षेत्रक (Unorganized sector) छोटी-छोटी और बिखरी इकाईयों, जो अधिकांशतः सरकारी नियंत्रण से बाहर होती हैं, से मिलकर बनी होती हैं। इस क्षेत्रक के नियम और विनियम तो होते हैं परन्तु उनका अनुपालन नहीं होता है। ये कम वेतन वाले रोजगार हैं और प्रायः नियमित नहीं हैं। यहाँ अतिरिक्त समय में काम करने, सवेतन छुट्टी, अवकाश, बीमारी के कारण छुट्टी इत्यादि का कोई प्रावधान नहीं होता है। बहुत से लोग नियोक्ता की पसंद पर निर्भर होते हैं।


विश्वसनीयता (Trustworthy)

“MCQ केटेगरी” में शामिल प्रत्येक प्रश्न को आधिकारिक स्त्रोतों द्वारा जांचा-परखा गया है, फिर भी इसमें सुधार की गुंजाइश से इंकार नहीं किया जा सकता है। यदि आपको किसी भी प्रश्न में कोई संदेह है, तो आप नीचे टिप्पणी में पूछ सकते हैं। हमारी टीम इसे 48 घंटे में हल करने की भरोसेमंद-कोशिश करेगी।


Leave a Reply

error: