GI टैग : अतुल्य भारत की अमूल्य निधि

GI टैग एक विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र में उत्पादित वस्तुओं (कृषि, प्राकृतिक या निर्मित) से जुड़ा एक संकेत है। किसी भी वस्तु को GI टैग देने से पहले उसकी गुणवत्ता, क्वालिटी और पैदावार की अच्छे से जाँच की जाती है। यह तय किया जाता है कि उस खास वास्तु की सबसे अधिक और ओरिजिनल पैदावर निर्धारित राज्ये की ही है।


यह लोगो भारत सरकार द्वारा 2018 में लॉन्च किया गया है। इससे पहले इसके लिए कोई विशेष लोगो नहीं था।

GI टैग यानी “ज्योग्राफिकल इंडिकेशन टैग” भारतीय संसद ने 1999 में रजिस्ट्रेशन एंड प्रोटेक्शन एक्ट के तहत “ज्योग्राफिक इंडिकेशन आफ गुड्स” लागू किया था। इस आधार पर भारत के किसी भी क्षेत्र में पाई जाने वाली विशिष्ट वस्तु पर कानूनी अधिकार उसे राज्य को दिया जाता है। GI टैग्स के फायदे यह है कि GI टैग मिलने के बाद अंतरराष्ट्रीय मार्केट में उस वस्तु की कीमत और उसका महत्व बढ़ जाता है। इस वजह से इसका एक्सपोर्ट बढ़ जाता है।


परीक्षा में आम तौर पर हाल ही में जारी किये गए GI टैग के बारे में पूछा जाता है। जिन्हें यहाँ लिखा गया है।

  1. बिहार =
    • कतरनी चावल ( बिहार में गंगा के दक्षिण मैदानी भागों में मुंगेर, बांका और दक्षिण-भागलपुर जिले इसके प्रमुख उत्पादक क्षेत्र हैं )
    • मगही पान ( पुराण मगध क्षेत्र जिसमें चार जिले औरंगाबाद, गया, नवादा और नालंदा आते हैं, में यह प्रसिद्ध है )
    • शाही लिची ( मुजफ्फरपुर की शाही-लीची इसके अलावा पड़ोसी जिलों ईस्ट-चम्पारण, वैशाली, समस्तीपुर और बेगुसराय में भी उगाई जाती है )
    • जरदालु आम ( बिहार के भागलपुर के आस-पास इसे उगाया जाता है )
    • शिलवा खाजा ( नालंदा जिले में यह प्रसिद्ध डेजर्ट/मिठाई है, ऐसा माना जाता है कि भगवान बुद्ध जब राजगीर से नालंदा जा रहे थे तो उन्हें यह खिलाया गया था )
  2. गुजरात = पेठापुर की वुड-ब्लॉक प्रिंटिंग ( गुजरात के पेठापुर में पूर्णतया हाथ से कपडे पर प्रिंटिंग की जाती है )
  3. उड़ीसा =
    • कंधमाल हल्दी ( उड़ीसा के कंधमाल जिले में आदिवासी किसानों द्वारा इसे उगाया जाता है )
    • ओडिशा रसगुल्ला (“दांडी रामायण” के तथ्यों के आधार पर इसे भी 29 जुलाई, 2019 को टैग मिल गया है )
  4. तमिलनाडु =
    • इरोड हल्दी ( इरोड जिले की इस हल्दी में 2.5% से 4.5% तक कुर्कुमिन पाया जाता है )
    • सिल्क साड़ी ( तमिलनाडु के तंजावुर में तिरूभुवनं सिल्क साड़ी बनती है। तंजावुर ‘बृहदेश्वर मंदिर’ और ‘चन्दन की खेती’ के लिए प्रसिद्ध है )
    • कोडाइकनाल मलाई पूंडू [ पहाड़ी लहसुन – Allium Sativum ] ( तमिलनाडु में डिंडीगुल जिले के कोडाइकनाल स्थान पर बोया जाता है )
    • पथमडाई मैट ( तमिलनाडु की यह विशेष चटाई शादी-समारोह में प्रतीक के रूप में काम में लिए जाते हैं )
    • पलानी पंचामृतं प्रसाद [ केला, गुड़, गाय का घी, शहद और इलाइची ] ( पलानी हिल्स में स्थित अरुलमिगु दण्डायुतपनिस्वामी मंदिर के प्रमुख देवता भगवान दण्डायुतपानी स्वामी के अभिषेक का मुख्य प्रसाद है )
  5. महाराष्ट्र =
    • सांगली हल्दी ( महाराष्ट्र की 70% हल्दी सांगली और परभानी जिलों से आती है )
    • अल्फांसो/हापुसहापुस आम ( आमों का राजा हापुस-आम, रत्नागिरि और सिंधुदुर्ग में उगाया जाता है )
  6. कोल्हापुरी चप्पल = ( छत्रपति साहू महाराज ने 20वीं सदी में इन्हें प्रोत्साहन दिया)
    • महाराष्ट्र(कोल्हापुर, सोलापुर, सांगली और सतारा) और
    • कर्नाटक(धारवाड़, बागलकोट, बीजापुर और बेलगाउं) के कुल आठ जिलों को यह टैग मिला है।
  7. कर्नाटक =
    • (कुर्ग) अरेबिका कॉफी ( कर्नाटक के कोडागु जिले में बोई जाती है )
    • चिकमगलूर अरेबिका कॉफ़ी और बाबाबूदानगिरिस अरेबिका कॉफ़ी ( चिकमगलूर जिले को भारत में कॉफ़ी का जन्म-स्थान/बिर्थप्लेस भी कहा जाता है )
    • सिरसी सुपारी ( देश की पहली सुपारी जिसे यह टैग मिला है। यह उत्तरी-कन्नडा जिले के येल्लापुर, सिद्दपुर, सिरसी-तलुकस में बोई जाती है )
  8. केरल =
    • (वायनाड) रोबास्टा कॉफी ( पश्चिमी घाट की विशेष जलवायु में केरल के वायनाड जिले में इसे बोया जाता है )
    • वृक्ष नीलांबर टीक,
    • तिरूर सुपारी ( केरल के मलप्पुरम जिले में मिलने वाली औषधीय गुणों वाली सुपारी है)
    • मरयूर/मरायुर गुड ( केरल के इडुक्की जिले में, पूर्णतया हाथ से बना, आयरन से भरपूर मीठा गुड है )
  9. आंध्र प्रदेश =
    • अरकू कॉफी ( अंगूर जैसा खट्टापन लिए गुड़ जैसे मिठास वाली यह कॉफ़ी, आंध्र-प्रदेश की अराकू-घाटी में विशाखापत्तनम जिले में इसे बोया जाता है। इसके अलावा इसे उड़ीसा के कोरापुट जिले में भी उगाया जाता है )
  10. हिमाचल प्रदेश =
    • कुल्लू शॉल,
    • काला ज़ीरा [black cumin] ( हिमाचली काला जीरा मुख्य रूप से हिमाचल के किन्नौर जिले की सांगला घाटी और पूह ब्लॉक में मिलता है )
    • चूली का तेल [खुरबनी का तेल = apricot oil] ( हिमाचल के किन्नौर जिले के अलावा शिमला और कुल्लू जिले के कई क्षेत्रो में मिलता है )
  11. छत्तीसगढ़ = जीराफूल चावल ( छत्तीसगढ़ का एक सुगंधित धान है, यह ज़ीरे के जैसे पतला होता है )
  12. मिजोरम =
    • तावलोहापुआन ( मिजोरम का अच्छी गुणवत्ता वाला कपडा है। मिजो भाषा में तावलोह का अर्थ है “मजबूती से खड़े रहना या पीछे नहीं हटना” )
    • मिजो पौंचाई ( एक रंगीन मिजो शॉल है जिसे महिलाओं द्वारा पहनावे में लुंगी के रूप में काम लिया जाता है )
  13. तेलंगाना = वारंगल की दरी,
  14. मध्य प्रदेश = कड़कनाथ मुर्गा,
  15. असम = बोसा-सोल चावल,
  16. बनारस(UP) = बनारसी साड़ी,
  17. पश्चिम बंगाल =
    • वेस्ट बंगाल रसगुल्ले ( नवम्बर 2017 में इसे टैग मिला और राज्य सरकार द्वारा नवंबर-14, 2018 को रसगुल्ला दिवस के रूप में मनाया गया, नोबिन चंदर दास ने 1860 में इसे यहाँ कमर्सिअलाइज़ किया था )
    • छऊ मुखोटा
    • गोविंदो भोग चावल

( नोट : भारत में दो तरह की कोफ़ी पायी जाती है। एक अरेबिका और दूसरी रोबास्टा । )

विस्तृत जानकारी के लिए आगे पढ़ें…

Government Source PDF


GI टैग का संक्षिप्त परिचय :

  • भारतीय संसद ने भौगोलिक संकेतों (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999 को पारित किया जिसका उद्देश्य भारत में माल के जीआई के पंजीकरण और संरक्षण प्रदान करना था। [ Geographical Indications of Goods (Registration and Protection) Act, 1999 ]
  • यह 15 सितम्बर, 2003 को प्रभावी हुआ।
  • भारत के WTO के सदस्य होने के नाते, इसे WTO एग्रीमेंट के ट्रिप्स (TRIPS : Trade-Related Aspects of Intellectual Property Rights) एक्ट के आर्टिकल 22(1) के तहत डिफाइन किया गया है।
  • अधिनियम की धारा 2 (1) (ई) के अनुसार, भौगोलिक संकेत को परिभाषित किया गया है।
  • परिभाषा : “एक संकेत जो कृषि वस्तुओं, प्राकृतिक वस्तुओं या उत्पादित वस्तुओं जैसे किसी देश के क्षेत्र में निर्मित, या उस क्षेत्र में एक क्षेत्र या इलाके के रूप में ऐसे सामानों की पहचान करता है, जहां ऐसी गुणवत्ता, प्रतिष्ठा या ऐसी वस्तुओं की अन्य विशेषता है अनिवार्य रूप से इसकी भौगोलिक उत्पत्ति के लिए जिम्मेदार है और यदि ऐसे सामान जहां उत्पादित होते हैं, तो उत्पादन या प्रसंस्करण या संबंधित वस्तुओं की तैयारी की गतिविधियों में से एक ऐसी क्षेत्र, क्षेत्र या इलाके में होती है, जैसा मामला हो। “
  • प्रस्तावित दंड : कोई भी व्यक्ति जो किसी भौगोलिक संकेत को झूठा रूप से लागू करता है या गलत साबित करता है, जीआई के गलतकरण में उपयोग करने के लिए डाई, ब्लॉक, मशीनों के कब्जे में या उसके पास कब्जा कर सकता है, उसे दंडित किया जा सकता है, जिसे दंडित किया जा सकता है, लेकिन छह महीने से भी कम नहीं हो सकता है तीन साल और जुर्माना जो पचास हजार रुपये से कम नहीं होगा, लेकिन जो दो लाख रुपये तक बढ़ा सकता है।

विश्व बौद्धिक संपदा संगठन :

विश्व बौद्धिक संपदा संगठन [WIPO : world intellectual property organization] का मुख्यालय जिनेवा, स्विट्जरलैंड में है।

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