सर्वर (Server)

सर्वर (Server) शब्द का शाब्दिक अर्थ- “सेवा करने वाला” होता है। अर्थात, एक व्यक्ति या चीज जो विशेष रूप से एक सेवा या वस्तु प्रदान करे है। इसी तरह से कंप्यूटर के क्षेत्र में, सर्वर वह कंप्यूटर या कंप्यूटर प्रोग्राम है जो एक नेटवर्क में एक केंद्रीकृत संसाधन या सेवा तक पहुंच का प्रबंधन करता है।


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सर्वर क्या है (What is a server) ?

एक सर्वर, एक सॉफ्टवेयर या हार्डवेयर डिवाइस है जो नेटवर्क पर किए गए अनुरोधों को स्वीकार करता है और प्रतिक्रिया देता है। वह डिवाइस जो अनुरोध करता है, और सर्वर से प्रतिक्रिया प्राप्त करता है, उसे क्लाइंट कहा जाता है। इंटरनेट पर, “सर्वर” शब्द आमतौर पर कंप्यूटर सिस्टम को संदर्भित करता है जो एक वेब दस्तावेज़ के लिए अनुरोध प्राप्त करता है, और क्लाइंट को अनुरोधित जानकारी भेजता है।

एक सर्वर एक कंप्यूटर या सिस्टम है जो नेटवर्क पर क्लाइंट (client=उपयोगकर्ता) के रूप में ज्ञात अन्य कंप्यूटरों को संसाधन, डेटा, सेवाएं या प्रोग्राम प्रदान करता है। सैद्धांतिक रूप में, जब भी कंप्यूटर क्लाइंट मशीनों के साथ संसाधनों को साझा करते हैं तो उन्हें सर्वर माना जाता है। वेब सर्वर, मेल सर्वर और वर्चुअल सर्वर सहित कई प्रकार के सर्वर हैं।

एक कंप्यूटर (सिस्टम) एक ही समय में, संसाधनों (resources) को प्रदान कर सकता है और उसी समय में किसी अन्य सिस्टम से उनका (रिसोर्सेज का) उपयोग कर सकता है। इसका मतलब है कि एक डिवाइस, एक ही समय में सर्वर और क्लाइंट दोनों हो सकता है।

मेनफ्रेम-टर्मिनल मॉडल (Mainframe-terminal model):

कंप्यूटर के विकास के शुरुआती दिनों में मेनफ्रेम कंप्यूटर और मिनी कप्म्यूटर को सर्वर की तरह इस्तेमाल किया जाता था। मिनीकंप्यूटर, मेनफ्रेम कंप्यूटर की तुलना में बहुत छोटे थे। हालाँकि, जैसे-जैसे तकनीक का विकास हुआ, वे डेस्कटॉप कंप्यूटर की तुलना में बहुत बड़े होते गए।

प्रारंभ में, ऐसे सर्वर, टर्मिनलों के रूप में जाने जाने वाले ग्राहकों से जुड़े थे, जो कोई वास्तविक कंप्यूटिंग नहीं करते थे। इन टर्मिनलों को डंब टर्मिनल्स (dumb terminals) के रूप में जाना जाता था।

जो ग्राहकों (यूजर) से एक कीबोर्ड या कार्ड रीडर के माध्यम से केवल इनपुट स्वीकार करने और डिस्प्ले स्क्रीन या प्रिंटर के लिए किसी भी गणना के परिणामों को (to return the results) वापस करने के लिए ही काम आते थे। वास्तविक कंप्यूटिंग सर्वर पर किया जाता था।

क्लाइंट-सर्वर मॉडल (Client-server model):

बाद में तकनिकी विकास के साथ-साथ, सर्वर अक्सर एकल, शक्तिशाली कंप्यूटर बन गए, जो नेटवर्क पर कम-शक्तिशाली क्लाइंट कंप्यूटरों के एक सेट से जुड़े रहते थे।

इस नेटवर्क आर्किटेक्चर को अक्सर क्लाइंट-सर्वर मॉडल के रूप में संदर्भित किया जाता है, जिसमें क्लाइंट कंप्यूटर और सर्वर दोनों में कंप्यूटिंग शक्ति (क्षमता) होती है, लेकिन कुछ कार्य सर्वरों को सौंपे जाते हैं।

पिछले कंप्यूटिंग मॉडल, जैसे कि मेनफ्रेम-टर्मिनल मॉडल में, मेनफ्रेम ने सर्वर के रूप में कार्य किया, भले ही वह उस नाम से संदर्भित नहीं था।


जैसे-जैसे तकनीक विकसित हुई है, एक सर्वर की परिभाषा इसके साथ विकसित हुई है। इन दिनों, एक सर्वर (server) एक या अधिक भौतिक कंप्यूटिंग उपकरणों (physical computing devices) पर चलने वाले सॉफ़्टवेयर से ज्यादा कुछ नहीं हो सकता है। ऐसे सर्वरों को अक्सर वर्चुअल सर्वर के रूप में संदर्भित किया जाता है।

मूल रूप से, वर्चुअल सर्वरों का उपयोग सर्वर कार्यों की संख्या को बढ़ाने के लिए किया जाता था, जो एक एकल हार्डवेयर सर्वर कर सकता था। आज, वर्चुअल सर्वर (virtual servers) थर्ड पार्टी हार्डवेयर द्वारा इंटेर्टेट पर उपलब्द करवाए जाते हैं, इंटरनेट पर बनी ऐसी विस्तृत व्यवस्था को क्लाउड कंप्यूटिंग (cloud computing) कहते हैं।

एक सर्वर को एक ही कार्य करने के लिए भी डिज़ाइन किया जा सकता है, जैसे कि मेल सर्वर, जो ईमेल को स्वीकार (accepts) करता है और संग्रहीत (stores) करता है और फिर इसे अनुरोध करने वाले क्लाइंट (requesting client) को प्रदान करता है।

एक सर्वर कई कार्य भी कर सकते हैं, जैसे कि फ़ाइल और प्रिंट सर्वर, जो क्लाइंट्स (यूजर) से प्रिंट की जाने वाली फाइल्स (print jobs) को संग्रहीत और स्वीकार (stores and accepts) करता है और फिर उन्हें नेटवर्क से जुड़े प्रिंटर (network-attached printer) पर भेजता है।


एक सर्वर कैसे काम करता है (How a server works) ?

सर्वर के रूप में कार्य करने के लिए, किसी डिवाइस को नेटवर्क कनेक्शन पर क्लाइंट (users) से अनुरोध (requests) सुनने के लिए कॉन्फ़िगर किया जाना चाहिए। यह कार्यक्षमता (functionality) इनस्टॉल की हुई एप्लीकेशन के रूप में या ऑपरेटिंग सिस्टम की भूमिका अथवा दोनों के संयोजन के रूप में मौजूद हो सकती है।

उदाहरण के लिए, Microsoft का विंडोज सर्वर ऑपरेटिंग सिस्टम क्लाइंट अनुरोधों को सुनने और उनका जवाब देने के लिए कार्यक्षमता प्रदान करता है। इस सिस्टम पर इनस्टॉल की गयी अतिरिक्त एप्लीकेशन और सेटिंग्स के द्वारा यह सुनिश्चित किया जाता है कि मौजूदा सिस्टम किस तरह की क्लाइंट रिक्वेस्ट्स का जवाब देगा।

एक अन्य उदाहरण में, एक अपाचे वेब सर्वर (Apache web server), एक अतिरिक्त एप्लिकेशन के माध्यम से इंटरनेट ब्राउज़र पर की जाने वाली रेक्वेस्ट्स (requests) का जवाब देता है। “अपाचे (Apache)” नाम की इस एप्लीकेशन (software) को ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating system) पर अलग से इनस्टॉल किया जाता है।

जब क्लाइंट (उपयोगकर्ता) को सर्वर से डेटा या कार्यक्षमता की आवश्यकता होती है, तो यह नेटवर्क पर एक अनुरोध भेजता है। सर्वर यह अनुरोध प्राप्त करता है और उचित जानकारी के साथ प्रतिक्रिया करता है। यह क्लाइंट-सर्वर नेटवर्किंग (client-server networking) का अनुरोध और प्रतिक्रिया मॉडल (request and response model) है, जिसे कॉल और प्रतिक्रिया (call and response) मॉडल के रूप में भी जाना जाता है।

एक सर्वर अक्सर एक अनुरोध और प्रतिक्रिया (single request and response) के हिस्से के रूप में कई अतिरिक्त कार्य करेगा। जिसमें-

  • अनुरोधकर्ता की पहचान की पुष्टि करना।
  • यह सुनिश्चित करना कि क्लाइंट के पास अनुरोधित डेटा या संसाधनों (requested data or resources) तक पहुंचने की अनुमति है।
  • आवश्यक प्रतिक्रिया को उचित मार्ग (expected way) के माध्यम से, ठीक से प्रारूपित या वापस (properly formatting or returning) करना आदि शामिल है।

सर्वर के प्रकार (Types of servers):

टेक्नोलॉजी के विकास के साथ-साथ हमने नेटवर्क से जुड़े विभिन्न कार्यों को करने के लिए अलग-अलग सर्वर्स को नेटवर्क से जोड़ा। आज हमारे पास नेटवर्क के लिए, अनेक सर्वर हैं जो सभी अलग-अलग कार्य करते हैं।

  1. File servers (फ़ाइल सर्वर)
  2. Print servers (प्रिंटर सर्वर)
  3. Application servers (एप्लीकेशन सर्वर)
  4. DNS servers (DNS सर्वर):
  5. Mail servers (मेल सर्वर):
  6. Web servers (वेब सर्वर):
  7. Database servers (डेटाबेस सर्वर):
  8. Virtual servers (वर्चुअल सर्वर):
  9. Proxy servers (प्रॉक्सी सर्वर):
  10. Monitoring and management servers (निगरानी और प्रबंधन सर्वर):

विस्तृत जानकारी के लिए आगे पढ़ें…


File servers (फ़ाइल सर्वर):

फ़ाइल सर्वर फ़ाइलों को संग्रहीत और वितरित करते हैं। एक से अधिक क्लाइंट या उपयोगकर्ता सर्वर पर संग्रहीत (stored) फ़ाइलों को साझा कर सकते हैं।

इसके अलावा, एक ही सर्वर पर (केंद्रीय रूप से भंडारण) स्टोर की गयी फाइलें, एक संगठन (organization) में सर्वर से जुडी हुई प्रतेक डिवाइस पर फ़ाइलों के लिए सुरक्षा और प्रामाणिकता (security and integrity) प्रदान करती हैं तथा आसान बैकअप या दोष सहिष्णुता (easier backup or fault tolerance) जैसी सुविधाएँ प्रदान करती हैं।

फ़ाइल सर्वर हार्डवेयर के प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए तथा पढ़ने और लिखने की गति को अधिकतम करने के लिए डिज़ाइन किया जा सकता है।


Print servers (प्रिंटर सर्वर):

“प्रिंट सर्वर” मुद्रण कार्यक्षमता (printing functionality) के प्रबंधन और वितरण के लिए अनुमति देता है। हर वर्कस्टेशन (workstation) पर एक प्रिंटर संलग्न करने के बजाय, एक सिंगल प्रिंट सर्वर कई क्लाइंट से मुद्रण अनुरोधों (printing requests) का जवाब दे सकता है।

आजकल, कुछ बड़े और नए प्रिंटर में पहले से ही (built-in print server) प्रिंटर सर्वर जैसी सुविधा इनस्टॉल की हुई होती है। जिससे वहां अलग से किसी कंप्यूटर को प्रिंटर सर्वर की तरह काम करने के लिए इनस्टॉल करने की जरुरत नहीं रह जाती। यह आंतरिक प्रिंट सर्वर क्लाइंट से प्रिंट अनुरोधों का जवाब देकर भी कार्य करता है।


Application servers (एप्लीकेशन सर्वर):

फाइल सर्वर जिस तरह से फाइल्स को स्टोर करके रखता है, उसी तरह एप्लीकेशन सर्वर एप्लीकेशन सॉफ्टवर्स को खुद में इनस्टॉल किये हुए रख कर, उपयोग करने वाले यूजर के लिए उन्हें काम में लेने की सुविधा प्रदान करते हैं।

एप्लीकेशन सर्वर उन एप्लीकेशन के लिए डिज़ाइन किये जाते हैं जिन्हें किसी विशेष तरह के डेटा या काम को प्रोसेस करने के लिए, बहुत बड़ी संख्या में उपयोगकर्ताओं द्वारा काम में लिया जाना होता है।

ऐसा करने से प्रत्येक ग्राहक के पास अनुप्रयोगों को चलाने के लिए पर्याप्त संसाधन होने की आवश्यकता दूर हो जाती है। यह कई मशीनों पर “सॉफ़्टवेयर” को स्थापित करने और बनाए रखने की आवश्यकता को भी हटा देता है।


DNS servers (DNS सर्वर):

डोमेन नेम सिस्टम (डीएनएस) सर्वर, एक एप्लिकेशन सर्वर ही हैं जो क्लाइंट कंप्यूटरों के लिए ‘आईपी एड्रेस’ को परिवर्तित करके आसानी से समझे जा सकने वाले नामों में बदल देता है।

DNS सिस्टम नामों और अन्य DNS सर्वरों का एक व्यापक रूप से वितरित डेटाबेस है (a widely distributed database of names), जिनमें से प्रत्येक का उपयोग किसी अन्य अज्ञात कंप्यूटर के नाम का अनुरोध (request) करने के लिए किया जा सकता है।

जब क्लाइंट को सिस्टम के पते की आवश्यकता होती है, तो वह DNS सर्वर को वांछित संसाधन के नाम के साथ एक DNS रिक्वेस्ट भेजता है। डीएनएस सर्वर अपने नामों की तालिका से आवश्यक आईपी पते के साथ प्रतिक्रिया (responds) करता है।


Mail servers (मेल सर्वर):

मेल सर्वर एक बहुत ही सामान्य प्रकार का एप्लिकेशन सर्वर है। मेल सर्वर एक उपयोगकर्ता द्वारा भेजे गए ईमेल प्राप्त करते हैं और उन्हें तब तक संग्रहीत (store) करके रखते हैं जब तक कि किसी क्लाइंट कंप्यूटर पर उस उपयोगकर्ता (जिसे ईमेल भेजा जाना था) की ओर से अनुरोध नहीं किया जाता है।

एक ईमेल सर्वर होने से किसी भी मशीन को, किसी भी समय ठीक से कॉन्फ़िगर (properly configured) किया जा सकता है और नेटवर्क से जोड़ा जा सकता है। नेटवर्क में एक मेल सर्वर के होने का फ़ायदा यह है कि अब प्रत्येक क्लाइंट मशीन को अपना ईमेल सबसिस्टम (email subsystem) लगातार चलाने की आवश्यकता नहीं रहती। उसे केवल संदेश भेजने और प्राप्त करना ही होता है।


Web servers (वेब सर्वर):

आज के बाजार में सबसे प्रचुर प्रकार के सर्वरों में से एक वेब सर्वर है। एक वेब सर्वर एक विशेष प्रकार का एप्लिकेशन सर्वर है जो इंटरनेट या इंट्रानेट के उपयोगकर्ताओं द्वारा अनुरोध किए गए कार्यक्रमों और डेटा को होस्ट करता (that hosts programs and data) है।

वेब सर्वर वेब पेज या अन्य वेब-आधारित सेवाओं के लिए क्लाइंट कंप्यूटरों पर चलने वाले ब्राउज़रों के अनुरोधों का जवाब देते हैं। आम वेब सर्वरों में अपाचे वेब सर्वर, Microsoft इंटरनेट सूचना सेवा (IIS) सर्वर और Nginx सर्वर (Nginx servers) शामिल हैं।


Database servers (डेटाबेस सर्वर):

कंपनियों, उपयोगकर्ताओं और अन्य सेवाओं द्वारा उपयोग किए जाने वाले डेटा की मात्रा चौंका देने वाली है। उस डेटा को डेटाबेस में संग्रहीत (stored in databases) किया जाता है।

नेटवर्क में डेटा की इस विशाल मात्रा को स्टोर करने के लिए बहुत बड़ी मेमोरी यूनिट्स की जरुरत होती है, साथ ही इस डाटा को एक साथ बहुत से उपयोगकर्ताओं को उपलब्ध करवाना होता है। इन दोनों जरूरतों को पूरा करने के लिए डेटाबेस सर्वर अपनी सर्विसेज को उपलब्ध करवाते हैं।

डेटाबेस सर्वर डेटाबेस एप्लिकेशन चलाते हैं और क्लाइंट से कई अनुरोधों का जवाब देते हैं। सामान्य डेटाबेस सर्वर अनुप्रयोगों में Oracle, Microsoft SQL Server, DB2 और Informix शामिल हैं।


Virtual servers (वर्चुअल सर्वर):

मशीन हार्डवेयर पर ऑपरेटिंग सिस्टम के रूप में स्थापित होने वाले पारंपरिक सर्वरों के विपरीत (Unlike traditional servers), वर्चुअल सर्वर केवल विशेष सॉफ़्टवेयर के भीतर परिभाषित होते हैं जिन्हें हाइपरवाइज़र (Hypervisor) कहा जाता है।

प्रत्येक हाइपरवाइजर सैकड़ों ( यहां तक कि हजारों ) वर्चुअल सर्वर को एक साथ चला सकता है। यह हाइपरविजर, सर्वर को “वर्चुअल हार्डवेयर (virtual hardware)” प्रस्तुत (उपलब्ध) करता है जैसे कि यह वास्तविक “भौतिक हार्डवेयर (physical hardware)” हो।

वर्चुअल सर्वर हमेशा की तरह “वर्चुअल हार्डवेयर” का उपयोग करता है। इसके लिए हाइपरविजर सॉफ़्टवेयर “वास्तविक गणना (actual computation)” और “स्टोरेज (storage)” जैसी जरूरतों को “वास्तविक हार्डवेयर” के माध्यम से पूरा करता है।

अर्थात, असल में काम तो सारा भौतिक हार्डवेयर (physical hardware) पर ही हो रहा होता है, लेकिन उसकी क्षमता को हाइपरविजर सॉफ़्टवेयर (Hypervisor software) द्वारा बहुत सारे वर्चुअल सर्वर में बाँट दिया जाता है। जो अन्य सभी वर्चुअल सर्वर के बीच साझा किया जाता है।


Proxy servers (प्रॉक्सी सर्वर):

एक प्रॉक्सी सर्वर, क्लाइंट और सर्वर के बीच मध्यस्थ का काम करता है। अक्सर सुरक्षा उद्देश्यों के लिए क्लाइंट या सर्वर को अलग करने के लिए इसका उपयोग किया जाता है। इस तरह, क्लाइंट और प्रतिक्रिया देने वाले सर्वर को एक दूसरे से सीधे जुड़ने की आवश्यकता नहीं होती है।

एक प्रॉक्सी सर्वर क्लाइंट से अनुरोध (request) लेता है। लेकिन क्लाइंट को जवाब देने के बजाय, यह किसी अन्य सर्वर पर उस रिक्वेस्ट को भेज देता है। प्रॉक्सी सर्वर, दूसरे सर्वर से प्रतिक्रिया (response) प्राप्त करता है और फिर मूल क्लाइंट को जवाब देता है जैसे कि वह अपने आप उत्तर दे रहा हो।

सामान्यत, प्रॉक्सी सर्वर नेटवर्क में सिक्योरिटी पर्पज के लिए काम में लिए जाते हैं, लेकिन नेटवर्क में अनुरोध और प्रतिक्रिया (request and response) के दौरान यूजर को इस बात का पता नहीं चल पाता कि उसने रेक्वेस्टेड डाटा को डायरेक्टली किसी सर्वर से लिया है या फिर प्रॉक्सी सर्वर के माध्यम से। सीधे-सीधे आसान भाषा में कहें तो – प्रॉक्सी सर्वर होते हुए भी नहीं होता है।


Monitoring and management servers (निगरानी और प्रबंधन सर्वर):

इतने सारे सर्वर्स में कुछ सर्वर अन्य सिस्टम और क्लाइंट की निगरानी या प्रबंधन (monitor or manage) करने का काम भी करते हैं। कई तरह के मॉनिटरिंग सर्वर (monitoring server) हैं।

उनमें से कई नेटवर्क पर यूजर की रिक्वेस्ट को सुनते हैं और उस के अनुसार डाटा को उपलब्ध करवाते हैं। लेकिन कुछ स्वयं डेटा का अनुरोध या प्रतिक्रिया नहीं देते हैं।

इस तरह, मॉनिटरिंग सर्वर नेटवर्क पर बिना किसी हस्तक्षेप के, क्लाइंट्स और सर्वरों के सभी अनुरोधों और उत्तरों (requests and replies) को तथा ट्रैफ़िक को ट्रैक कर सकता है।


सर्वर संरचना (Server structure):

सर्वर की अवधारणा लगभग उतनी ही पुरानी है जितनी कि नेटवर्किंग। आखिरकार, एक नेटवर्क का उद्देश्य एक कंप्यूटर को दूसरे कंप्यूटर से बात करने और काम या संसाधनों को वितरित करने की सुविधा और अनुमति देना है। तब से कम्प्यूटिंग विकसित हुई है, जिसके परिणामस्वरूप कई प्रकार के सर्वर संरचनाएं और हार्डवेयर हैं। जब से कंप्यूटिंग का विकास शुरू हुआ है, तब से ही कई प्रकार की सर्वर संरचनाएं और हार्डवेयर डिज़ाइन किये जा चुके हैं।

मेनफ्रेम या मिनीकंप्यूटर (Mainframe or minicomputer-AS/400):

आप कह सकते हैं कि मूल सर्वर, मेनफ्रेम कंप्यूटर, और बाद में, मिनीकंप्यूटर, ने स्क्रीन और कीबोर्ड के माध्यम से उपयोगकर्ता के साथ बातचीत को छोड़कर लगभग सभी कंप्यूटिंग कार्यों को संभाला, जो क्लाइंट सिस्टम पर छोड़ दिया गया था।

कंप्यूटर हार्डवेयर सर्वर (Computer hardware server):

सर्वर की अगली प्रमुख पीढ़ी में कंप्यूटर आधारित सर्वर शामिल थे। कई मामलों में, ये सर्वर बड़े, अधिक शक्तिशाली डेस्कटॉप कंप्यूटरों से ज्यादा कुछ नहीं थे। ऐसे सर्वर आम तौर पर अधिक महंगे थे और अधिकांश क्लाइंट कंप्यूटरों की तुलना में अधिक मेमोरी और डिस्क स्थान रखते थे। प्रत्येक सर्वर अभी भी अपनी स्वयं की मदरबोर्ड, प्रोसेसर, मेमोरी, डिस्क ड्राइव और बिजली की आपूर्ति के साथ एक स्व-निहित इकाई (a self-contained unit) था।

इस तरह के सर्वरों को अक्सर वातानुकूलित कमरों में सर्वर रूम के रूप में रखा जाता था, और बाद में बेहतर भंडारण और पहुंच (storage and accessibility) के लिए रैक (racks) में बांध दिया जाता था।

ब्लेड सर्वर (Blade servers):

मूल कंप्यूटर सर्वर हार्डवेयर बहुत बड़ा था और रैक में संग्रहीत था जो बहुत भारी भी था। समय के साथ, हालांकि, हार्डवेयर को जोड़ने के तेज साधनों के परिणामस्वरूप सर्वर के कुछ हिस्सों को एक एकल स्व-निहित डिवाइस (a single self-contained device) द्वारा रिप्लेस (extract) कर दिया गया।

हार्ड ड्राइव को हटाकर, आंतरिक शीतलन और कंप्यूटिंग भागों के चल रहे लघुकरण को समाप्त करके, सर्वरों को अंततः ब्लेड सर्वर के रूप में जाना जाने वाले एकल पतले सर्वर तक कम कर दिया गया। हालांकि अभी भी सर्वर रूम में रैक में संग्रहीत किया जाता है, ब्लेड सर्वर छोटे होते हैं और इन्हें आसानी से बदला जा सकता है।

संयुक्त सर्वर (Combining servers):

वर्चुअलाइजेशन से पहले भी, हार्डवेयर मशीन पर स्थापित एकल सर्वर ऑपरेटिंग सिस्टम के मानक मॉडल (पुराने स्टैण्डर्ड मॉडल) से, नए तरह के अलग-अलग सर्वर मोडल बनाये जा रहे थे।

नेटवर्क-संलग्न भंडारण (network-attached storage) जैसी नयी तकनीकी ने, सर्वर का अपना भंडारण करने की आवश्यकता को हटा दिया। अन्य प्रौद्योगिकियां, जैसे कि मिररिंग (mirroring) और क्लस्टरिंग (clustering), ने हार्डवेयर के छोटे भागों को आपस में जोड़ कर एक बड़ा और अधिक शक्तिशाली सुपर कंप्यूटर बनाने का रास्ता खोल दिया।

इस तरह के सर्वर में कई ब्लेड, कई संलग्न भंडारण उपकरण और एक बाहरी बिजली की आपूर्ति शामिल हो सकती है, और सर्वर चालू रहने के दौरान प्रत्येक टुकड़े को दूसरे के लिए स्वैप किया जा सकता है।

वर्चुअल सर्वर (Virtual servers):

वर्चुअल सर्वर को अभी भी हार्डवेयर की आवश्यकता होती है, लेकिन वह हार्डवेयर अब एक अलग प्रक्रिया चलाता है जिसे हाइपरवाइजर (Hypervisor) के रूप में जाना जाता है।

कुछ मामलों में, जैसे कि Microsoft का हाइपर-वी (Hyper-V : एक नेटिव हाइपरवाइजर है, यह वर्चुअल मशीन बना सकता है), एक पूर्ण ऑपरेटिंग सिस्टम हार्डवेयर पर ही चलता रहता है। अन्य मामलों में, तथाकथित बेयर-मेटल हाइपरवेर्स (bare-metal hypervisors) को सीधे सर्वर हार्डवेयर पर स्थापित (install) किया जा सकता है।

दोनों उदाहरणों में, यह वर्चुअल सर्वर, श्रेणी (array) में जुड़े हुए हार्डवेयर मशीनों जैसे- “ब्लेड सर्वर”, “नेटवर्क स्टोरेज”, और “पावर सप्लाई” में फैला होता है। जिसके परिणामस्वरूप एक ऐसा एनवायरनमेंट क्रिएट होता है जहां यह बताना असंभव है कि कोई भी इंडिविजुअल सर्वर कहां समाप्त होता है और कहां दूसरा शुरू होता है ।


सर्वर ऑपरेटिंग सिस्टम के उदाहरण (Examples of server operating systems):

माइक्रोसॉफ्ट विंडोज सर्वर (Microsoft Windows servers):

एक तर्क दिया जा सकता है कि विंडोज फॉर वर्कग्रुप्स (Windows for Work-groups) माइक्रोसॉफ्ट का पहला सर्वर ऑपरेटिंग सिस्टम था। उस संस्करण में, कुछ कंप्यूटर संसाधनों को साझा करने और ग्राहकों से अनुरोधों का जवाब देने के लिए सेट किए जा सकते हैं, जो उन्हें परिभाषा के अनुसार सर्वर बनाते हैं।

Microsoft का पहला वास्तविक सर्वर ऑपरेटिंग सिस्टम Windows NT था। इसके 3.5 और 3.51 संस्करण कई व्यावसायिक नेटवर्क पर चले गए जब तक कि Microsoft ने अपनी विंडोज सर्वर लाइन (Windows Server line) जारी नहीं की जो आज भी जारी है। सबसे वर्तमान विंडोज सर्वर संस्करण विंडोज सर्वर 2016 है। यह संस्करण कई अनुप्रयोगों और डेटाबेस के साथ-साथ एक हाइपरविजर का समर्थन करता है जो वर्चुअल सर्वर की अनुमति देता है।

लिनक्स / यूनिक्स सर्वर (Linux / Unix servers):

एक ओपन-सोर्स ऑपरेटिंग सिस्टम के रूप में, लिनक्स एक वेब सर्वर के रूप में बहुत लोकप्रिय है, इसके साथ अक्सर “अपाचे वेब एप्लिकेशन सर्वर” पहले से स्थापित (Pre-Installed) होता है।

सर्वर ऑपरेटिंग सिस्टम के क्षेत्र में अन्य प्रमुख खिलाड़ी लिनक्स / यूनिक्स (Linux/Unix ) है। लिनक्स / यूनिक्स के कई संस्करण (versions and flavors) हैं जिनमें Red Hat Enterprise Linux, डेबियन (Debian) और CentOS शामिल हैं।

नेटवेयर (NetWare):

जैसे-जैसे क्लाइंट-सर्वर युग (client-server era) में तेजी आयी, नेटवेअर, सर्वर सॉफ्टवेयर स्पेस में एक प्रमुख खिलाड़ी बन चूका था। लेकिन अभी इसने अपनी सेवाओं को जारी नहीं रखा।

आखिरकार, NetWare ने अपने सर्वर ऑपरेटिंग सिस्टम को लिनक्स आधारित कर्नेल (Linux-based kernel) में स्थानांतरित कर दिया और इसे एक नोवेल ओपन एंटरप्राइज सर्वर (Novell-OES) नाम दिया।

क्लाउड सर्वर (Cloud servers):

जब एक “वर्चुअल सर्वर” को एक खुले नेटवर्क पर “तीसरे पक्ष के बुनियादी ढांचे (third-party infrastructure)” पर होस्ट किया जाता है, तो उसे क्लाउड सर्वर कहा जाता है। जैसे कि इंटरनेट।

इन दिनों कई क्लाउड सर्वर प्रदाता हैं। जैसे- Google के क्लाउड प्लेटफ़ॉर्म, Microsoft Azure और IBM Cloud आदि है।

हालांकि, कॉर्पोरेट क्लाउड कंप्यूटिंग का मुख्य अग्रणी अमेज़ॅन का AWS प्लेटफ़ॉर्म था। यह मूल रूप से अमेज़ॅन के अपने सर्वर और नेटवर्क की अतिरिक्त क्षमता का उपयोग करना शुरू कर देता है, लेकिन AWS अब ग्राहकों को लगभग तुरंत एक आभासी सर्वर बनाने की अनुमति देता है। और फिर सर्वर की अन्य सुविधानों को काम में लेने की तथा उन्हें जोड़ने की अनुमति देता है।

आज, एक सर्वर भौतिक हार्डवेयर (physical hardware) पर डेटा से अधिक कुछ नहीं हो सकता है जिसमें कई प्रोसेसर, डिस्क ड्राइव, मेमोरी और नेटवर्क कनेक्शन शामिल हैं। लेकिन, फिर भी, एक सर्वर अभी भी सिर्फ एक प्रणाली है जो क्लाइंट से अनुरोध का जवाब देती है।


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