अक्रिय अथवा नोबल गैस

अक्रिय गैस की परिभाषा :

परिभाषा : आवर्त सारणी (periodic table) के वर्ग 18 में 7 तत्व स्थित हैं- हीलियम (He), निऑन (Ne), आर्गन (Ar), क्रिप्टान (Kr), जीनॉन (Xe), रेडॉन (Rn) तथा अन अन ऑक्टियम (Uuo) ; साधारण ताप पर ये सभी तत्व गैस अवस्था में पायें जाते हैं।

Noble Gas in hindi

इनके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (electronic configuration) से स्पष्ट है कि (हीलियम को छोड़कर) बाकी सभी गैसों की बाहरी कक्षा (outer shell) में 8 इलेक्ट्रॉन होते हैं। स्थाई इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के कारण ही यह सामान्य रूप से अभिक्रिया नहीं करती हैं और इन्हें अक्रिय गैसें (inert gases) कहा जाता है।

वायुमण्डल में अक्रिय गैसों की मात्रा बहुत ही कम होती है। इसीलिए इन गैसों को दुर्लभ गैसें (rare gases) भी कहते हैं। आज यह सिद्ध हो चुका है कि अक्रिय गैसें कुछ विशेष परिस्थितियों में यौगिक बनाती हैं इसलिए इनको उत्कृष्ट गैस (Noble gases) कहना अधिक उपयुक्त है।


अक्रिय गैसों की उपस्थिति :

(1) रेडॉन को छोड़कर सभी उत्कृष्ट गैस वायुमंडल में पाई जाती हैं। वायुमंडल में इनकी प्रतिशत मात्रा बहुत कम (1%) आयतनानुसार होती है। वायु में भिन्न-भिन्न उत्कृष्ट गैसों का आयतन प्रतिशत निम्न होता है-

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(2) रेडॉन को रेडियम के रेडियोएक्टिव विघटन (Radioactive disintegration) से प्राप्त किया जाता है।

88-Ra-226 —> 86-Rn-222 + 2-He-4,

(3) हीलियम ठोस विलयन (solid solution) के रूप में यूरेनियम तथा थोरियम के खनिजों में पाई जाती है। हीलियम का प्रमुख स्रोत मोनोजाइट सैेंड (monozite sand) है। मोनोजाइट सेंड को निर्वात (vacuum) में गर्म करके हीलियम गैस को प्राप्त किया जाता है।


अक्रिय गैसों की खोज :

  1. आर्गन की खोज , रैले (Lord Rayleigh) तथा विलियम रैमजे ने की। उन्होंने प्रयोगशाला में अमोनियम नाइट्राइट को गर्म करके नाइट्रोजन गैस बनाई तथा वायुमंडल से भी नाइट्रोजन को प्राप्त किया और पाया कि अमोनियम नाइट्राइट से प्राप्त नाइट्रोजन ,वायुमंडल से प्राप्त नाइट्रोजन से 0.5% हल्की थी औऱ यह निष्कर्ष निकाला कि वायुमंडल में कोई भारी अक्रिय गैस उपस्थित है और इसे आर्गन नाम दिया गया।
  2. हीलियम की खोज, जानसेन(Jannsen),फ्रैंकलैंड (frankland) तथा लोकयर (Lockyer) ने पूर्ण सूर्य ग्रहण (solar eclipse) के समय सूर्य के वर्णमंडल (chromosphere) से प्राप्त एक पीली चमकदार रेखा से की थी।
  3. रैमजे तथा ट्रैवेश ने शुद्ध वायु से कार्बन डाई ऑक्साइड,ऑक्सीजन तथा नाइट्रोजन को अलग करके प्राप्त गैस (आर्गन) का प्रभाजी आसवन (fractional distillation) किया जिससे एक नए तत्व की उपस्थिति के प्रमाण मिले और इसे ‘निऑन’ नाम दिया गया। इसके पश्चात प्रभाजी आसवन करने पर दो अन्य तत्व प्राप्त किए, जिन्हें ‘क्रिप्टान’ औऱ ‘जीनॉन’ कहा गया।
  4. रेडॉन की खोज “डॉर्न” ने रेडियम के रेडियो एक्टिव विघटन से की थी।

अक्रिय गैसों के सामान्य गुणधर्म :

  1. ये रंगहीन,गंधहीन, स्वाद हीन, अज्वलनशील गैसें हैं।
  2. ये गैसें जल में अल्पविलेय हैं तथा अणु भार बढ़ने के साथ-साथ जल में विलेयता बढ़ती है।
  3. उत्कृष्ट गैसें एक परमाण्विक है तथा कम ताप पर ये गैसें( हीलियम को छोड़कर) नारियल,चारकोल, प्लैटिनम, पैलेडियम पर अधिशोषित हो जाती हैं।
  4. अक्रिय गैसों के मध्य कमजोर वंडर वाल्स बल होते हैं जिसके कारण इनके क्वथनांक और गलनांक बहुत कम होते हैं।
  5. नोबल गैसों के विशिष्ट वर्णक्रम द्वारा इसकी पहचान की जा सकती है।
  6. उत्कृष्ट गैसों में स्थाई इलेक्ट्रॉनिक विन्यास होने के कारण इनकी इलेक्ट्रॉन बंधुता शून्य होती है जबकि उनकी आयनन ऊर्जा का मान अधिकतम होता है।
  7. सभी गैस अधातु है।
  8. आवर्त सारणी में उत्कृष्ट गैसों के वर्ग में ऊपर से नीचे आने पर इनकी त्रिज्या बढ़ती हैं।
  9. उत्कृष्ट गैसों के गलनांक तथा क्वथनांक अणुभार बढ़ने के साथ-साथ बढ़ते हैं।
  10. इन पर ऑक्सीकारक तथा अपचायकों की कोई क्रिया नहीं होती है।
  11. जल ,वायु ,अम्लों तथा क्षारों से भी इन की क्रिया नहीं होती है।
  12. जीनॉन ,फ्लोरीन के साथ क्रिया करके फ्लोराइड बनाता है। जैसे-
    • Xenon difluoride(XeF2),
    • Xenon tetrafluoride (Xef4),
    • Xenon hexafluoride (XeF6)।
  13. जीनॉन ,ऑक्सीजन के साथ क्रिया करके ऑक्साइड बनाता है। जैसे-
    • Xenon trioxide (XeO3)

अक्रिय गैस के उपयोग :

1. हीलियम (helium)
  • हाइड्रोजन के बाद यह सबसे हल्की गैस है। इसकी अज्वलनशील प्रकृति के कारण इसके तथा हाइड्रोजन का मिश्रण को गुब्बारों तथा वायुयान के टायरों में भरा जाता है।
  • हीलियम तथा ऑक्सीजन का मिश्रण गोताखोर द्वारा सांस लेने में प्रयुक्त होता है।
  • हीलियम परमाणु से दो इलेक्ट्रॉन निकल जाने पर हीलियम नाभिक बनता है जिस का प्रयोग कृत्रिम विघटन (artificial disintegration) में किया जाता है।
  • हीलियम तथा ऑक्सीजन का मिश्रण दमा तथा अन्य साँस की बीमारियों वाले रोगियों के लिए प्रयुक्त होता है।
2. निऑन (neon)
  • इसका प्रयोग निऑन बल्ब बनाने में किया जाता है। इन बल्बों पर कोहरे (fog) का कोई प्रभाव नहीं होता इसलिए इनका प्रयोग हवाई पट्टी तथा हवाई अड्डों पर संकेतक के रूप में होता है।
  • निऑन बल्ब सजावट तथा विज्ञापन चिन्हों के रूप में भी प्रयुक्त होते हैं।
3. आर्गन (argon)
  • आर्गन तथा नाइट्रोजन का मिश्रण विद्युत बल्ब में अक्रिय वातावरण रखने के लिए किया जाता है जिसे तन्तु (filament) की आयु बढ़ जाती है।
  • वैल्डिंग तथा कुछ धातुओं के धातुकर्म (metallurgy) में अक्रिय वातावरण पैदा करने के लिए प्रयोग किया जाता है।
  • यह गैस रेडियो वाल्व में भरी जाती है।
4. क्रिप्टॉन तथा जीनॉन (krypton and xenon)
  • विद्युत बल्ब में आर्गन स्थान पर इन गैसों का प्रयोग अधिक उपयुक्त है।
  • यह गैसें विद्युत विसर्जन नलियों मे भरी जाती हैं जिस का प्रयोग फोटोग्राफी में किया जाता है।
5. रेडॉन (redon)
  • रेडॉन का प्रयोग रेडियोएक्टिव शोधकार्य तथा कैंसर के इलाज में किया जाता है।

नोबल गैसों से सम्बन्धी यदि आपका कोई सवाल या सुझाव है, तो आप उसे नीचे कमेंट में लिख सकते हैं।

3 Comments

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