बैंकों का राष्ट्रीयकरण

इंदिरा गांधी ने अपने प्रधानमंत्रित्वकाल में बैंकों के राष्ट्रीयकरण का अहम फ़ैसला किया था। उन्होंने 19 जुलाई, 1969 को 14 निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर दिया था। इन बैंकों पर अधिकतर बड़े औद्योगिक घरानों का कब्ज़ा था।

इसके बाद राष्ट्रीयकरण का दूसरा दौर 1980 में हुआ जिसके तहत सात और बैंकों को राष्ट्रीयकृत किया गया। अब भारत में 27 बैंक राष्ट्रीयकृत हैं।

इसके पहले तक केवल एक बैंक- भारतीय स्टेट बैंक राष्ट्रीयकृत था। इसका राष्ट्रीयकरण 1955 में कर दिया गया था और 1958 में इसके सहयोगी बैंकों को भी राष्ट्रीयकृत कर दिया गया।

विशेषज्ञों का मानना है कि राष्ट्रीयकरण के बाद भारत के बैंकिंग क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति हुई है।

हालांकि भारत में अब विदेशी और निजी क्षेत्र के बैंक सक्रिय हैं। लेकिन एक अनुमान के अनुसार बैंकों की सेवाएँ लेनेवाले लगभग 90 फ़ीसदी लोग अब भी सरकारी क्षेत्र के बैंकों की ही सेवाएँ लेते हैं।

इंदिरा गांधी ने अपने कार्यकाल के दौरान एक अन्य अहम आर्थिक फ़ैसले में प्रिवी पर्स या राजे रजवाड़ों को दी जाने वाली ‘पेंशन’ समाप्त कर दी थी।

इसके पहले तक लगभग 400 राजघरानों को 1947 के बाद से ही प्रिवी पर्स के रूप में सरकार की ओर से एक धनराशि दी जाती थी।


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