वेब ब्राउजर (Web Browser)

“ब्राउजर” शब्द के समान अर्थ वाला हिंदी शब्द “विचरक (Wanderer, विचरण करने वाला)” है।

साधारण भाषा में, किसी किताब या पत्रिका को विस्तार से पढ़े बिना, केवल कुछ चीजों के लिए देखना। अथवा, किसी दुकान पर बिना कोई वस्तु ख़रीदे, उनमें से किसी को खरीदने का इरादा किए बिना कई चीजों को देखते हुए एक दुकान पर यों ही घूमना।

वेब ब्राउज़र क्या है (what is web browser) ?

ब्राउज़र (Browser) एक एप्लिकेशन प्रोग्राम है जो WWW (World Wide Web) की सभी इनफॉर्मेशन को देखने और उनके साथ उनसे जुड़ने (Interact, इंटरैक्ट करने) का एक तरीका उपलब्ध (प्रोवाइड) करता है।

आज हम इंटरनेट पर जो कुछ भी पढ़ते हैं या सर्च करते हैं। वह सभी कंप्यूटर की भाषा में लिखा गया होता है। जिसे हम HTML (Hype Text Markup Language) कहते हैं, को ट्रांसलेट (Translate) करके वेब ब्राउज़र (Web Browser) आपको, अपनी भाषा में प्रदर्शित (Display) करता है। तब हम इंटरनेट पर उपलब्ध किसी भी चीज को पढ़ पाते हैं या देख पाते हैं।

इसलिए ब्राउजर की परिभाषा (Definition of Browser in Hindi) के तौर पर हम कह सकते हैं, कि ब्राउजर एक ऐसा सॉफ्टवेयर (Software) है, जो इंटरनेट (या WWW) और कंप्यूटर के बीच ट्रांसलेटर (Translator) का काम करता है।


वेब ब्राउजर के प्रकार (Types of Web Browser):

वेब ब्राउज़र मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं-

  1. Text Based Web Browser (टेक्स्ट आधारित वेब ब्राउज़र) : इस प्रकार के वेब ब्राउजर केवल Text को ही सपोर्ट करता है।
  2. Graphical Web Browser (ग्राफिक्स आधारित वेब ब्राउज़र) : इस प्रकार के वेब ब्राउजर Text के अलावा Images, Photos, Videos, PDF, Animation सभी को सपोर्ट करता है।

वेब ब्राउज़र के उदाहरण (Examples of Web browser):

दुनिया के पॉपुलर ब्राउज़र –

  1. Google Chrome (गूगल क्रोम)
  2. Internet Explorer (इंटरनेट एक्स्प्लोरर)
  3. Mozilla Firefox (मोज़िल्ला फायरफोक्स)
  4. Safari (सफारी)
  5. Yandex (यांडेक्स)
  6. UC Browser (UC ब्राउज़र)
  7. Torch (टॉर्च) , etc.

विस्तृत जानकारी के लिए आगे पढ़ें…


वेब ब्राउजर कैसे काम करता है (How does a web browser work) ?

जब भी आप किसी भी वेब ब्राउजर के द्वारा वेब पेज को इंटरनेट पर सर्च करते हैं और चंद सेकंड में आपके सामने Results आ जाता है, तो आखिर यह कैसे होता है।

शायद आपको यह प्रोसेस बहुत ही आसान लग रहा होगा। मगर इन्हीं चंद सेकेंड के भीतर Back-end में एक जटिल Process Work करता है।

तो आइए इसके Back-end Process को कुछ Steps में समझाने की कोशिश करते हैं।

Step-1: ब्राउज़र पर पूछना (Ask on browser)

जब भी आप किसी ब्राउजर में कोई भी URL Insert करते हैं, तो सबसे पहले ब्राउज़र DNS (Domain Name Server) से Interact करता है। ब्राउज़र और DNS Server के Connect होने के बाद DNS सर्वर अपने रिकॉर्ड (Records) को क्रॉल (Crawl, ढूँढ) करके ब्राउज़र को उस डोमेन के सर्वर कंप्यूटर का पता (IP Address) देता है।

Step-2: उपयोगी लिंक पर क्लिक करना (Clicking on desired URL)

अब जैसे ही ब्राउजर को Server के IP Address का पता चलता है, तो Browser, Server को HTTP Protocol की मदद से उस Web Page के लिए Request Send करता है।

Step-3: HTML डाटा को ट्रांसलेट करके यूजर को उपलब्ध करवाना

जैसा की आप जानते हैं, कोई भी Web Page सर्वर के अंदर HTML कोड के रूप में मौजूद रहता है।

इसलिए जब ब्राउजर, सर्वर से वेबपेज के लिए Request करता है। तब Server, Browser को HTML Form में ही Information देता है। जिसे Browser Translate करके हमारे दैनिक बोल-चाल की भाषा में हमारे सामने प्रदर्शित करता है।

तो अब आपको समझ में आ गया होगा कि ब्राउजर किस प्रकार से काम करता है। VOW टीम ने इस जानकारी को आसान भाषा में डिजाइन किया गया है। अगर आपको यह अच्छा लगा तो इसे साझा करें।


वेब ब्राउजर का इतिहास (History of Web Browser):

1990 में सर टिम बर्नर्स-ली द्वारा पहला वेब ब्राउज़र का आविष्कार किया गया था। बर्नर्स-ली World Wide Web Consortium (W3C), के डाइरेक्‍टर थें, जो वेब के निरंतर डेवलपमेंट की देखरेख करते थें, और वे World Wide Web फाउंडेशन के संस्थापक भी हैं।

बात सन्न 1990 की है, जब टिम बर्नर्स-ली ने Web Browser की नींव रखी। जिसका नाम था : World Wide Web. जिसे हम Short Form में WWW भी कहते हैं।

टिम बर्नर्स-ली की शिक्षा क्वींस कॉलेज और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय जैसी उच्चस्तरीय संस्थानों से हुई थी। एक दिन इन्हें विश्वविद्यालय में अपने एक दोस्त के साथ हैकिंग करते हुए पकड़ लिया गया था। उसके बाद टिम को विश्वविद्यालय कंप्यूटर के प्रयोग से वर्जित कर दिया गया था।

विश्वविद्यालय से डिग्री प्राप्त करने के पश्चात सन् 1984 में टिम बर्नर्स-ली ने सर्न (भौतिक की विश्व की सबसे बड़ी प्रयोगशाला) में फेलो के रूप में काम करने लगा। यहां पर इसका मुख्य काम था सूचनाओं को एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर पर ट्रांसफर करना। जिसमें काफी Time Invest होता था। साथ ही यह थोड़ा जटिल (Complicated) प्रोसेस भी था।

इसी का Solution ढूंढने के लिए टिम बर्नर्स-ली ने 6 अगस्त 1991 को दुनिया का पहला Web Page बनाया।

बाद में टिम बर्नर्स-ली वहां से अमेरिका चले आए। यहां आने के पश्चात उन्होंने सन् 1994 में मैसाचुसेटस् इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में विश्वव्यापी वेब संघ (W3C) की स्थापना की।

उनके ब्राउज़र को WorldWideWeb कहा जाता था और बाद में उसका नाम बदलकर Nexus रखा गया, ताकि डेवलपींग इनफॉर्मेशन स्‍पेस जिसे World Wide Web कहां जाता हैं के साथ कन्फ्यूश़न न हों।

1993 में, मार्क एंड्रेसन द्वारा “दुनिया का पहला लोकप्रिय ब्राउजर” Mosaic की खोज के साथ ब्राउजर सॉफ़्टवेयर को आगे बढ़ने का मौका मिला, जिसने वर्ल्ड वाइड वेब सिस्टम का उपयोग करना आसान बना दिया और कॉमन यूजर्स के लिए इसका एक्‍सेस आसान बन गया।

यह ग्राफिकल यूजर इंटरफेस वाला पहला वेब ब्राउज़र था। Mosaic से कई यूजर इंटरफेस फीचर्स Netscape Navigator में आएं।

एंड्रीसेन के ब्राउज़र ने 1990 के दशक की इंटरनेट उछाल को तेज कर दिया। 1993 में Mosaic की शुरूआत हुई जो पहले ग्राफ़िकल वेब ब्राउज़र में से एक था और जिससे वेब उपयोग बहुत बढ़ गया।

National Center for Super-computing Applications (NCSA) में Mosaic टीम के लिडर एंड्रीसेन ने जल्द ही Netscape नाम कि अपनी ही कंपनी शुरू कर दी और 1994 में Mosaic से प्रभावित Netscape Navigator को जारी किया, जो जल्द ही दुनिया का सबसे लोकप्रिय ब्राउज़र बन गया, और उस समय 90% यूजर्स इसका इस्‍तेमाल करते थे जब यह ब्राउज़र अपनी लोकप्रियता के शिखर पर था।

1995 में माइक्रोसॉफ्ट ने अपने Internet Explorer को लॉन्‍च किया, जो Mosaic से काफी प्रभावित था, और इसने इस इंडस्‍ट्री के पहले ब्राउज़र युद्ध की शुरुआत की।

विंडोज के साथ इन-बिल्‍ड आने वाले इस Internet Explorer ब्राउज़र ने बाजार में प्रभुत्व हासिल किया; 2002 तक इंटरनेट एक्सप्लोरर का उपयोग शेयर 95% से अधिक हो गया था।

ओपेरा 1996 में शुरू हुआ; लेकिन ज्‍यादातर यूजर्स ने इसे स्विकार नहीं किया और नेट ऐप्‍लीकेशन के अनुसार फरवरी 2012 तक इसका मार्केट शेयर केवल 2% से कम रहा।

1998 में, नेटस्केप ने ओपन सोर्स सॉफ़्टवेयर मॉडल का प्रयोग करके प्रतिस्पर्धी ब्राउज़र का उत्पादन करने के प्रयास में Mozilla फाउंडेशन का निर्माण किया। उस ब्राउज़र को अंततः Firefox के नाम से डेवलप किया गया, जो बहुत पॉपुलर हुआ।

ऐप्पल का Safari ने अपना पहला बीटा जनवरी 2003 में रिलीज किया। अप्रैल 2011 तक, यह ऐप्पल-बेस वेब ब्राउज़िंग का एक प्रमुख हिस्सा था।

ब्राउजर बाजार में सबसे मुख्य प्रवेश Chrome का है, जिसे पहली बार सितंबर 2008 में रिलीज़ किया गया।

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