मौलिक अधिकार (Question Bank on Fundamental Rights) Part-5
मूल अधिकार भारतीय सविधान में एक खाश महत्व रखते हैं। इसलिए इनसे जुड़े प्रश्न एग्जाम में अक्षर देखने को मिलते ही हैं। विभिन्न परीक्षाओं के लिहाज से महत्वपूर्ण इस विषय पर, विज़न ऑफ विजडम के द्वारा “फंडामेंटल राइट्स” टॉपिक के अंतर्गत इससे जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्नो का विस्तृत संकलन प्रस्तुत किया जा रहा है।
मौलिक अधिकार प्रश्नोत्तरी (Part-5) (Fundamental Rights quiz in Hindi)
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इस सेक्शन में आपको कुछ प्रश्न एक जैसे दिखेंगे। लेकिन इससे उनका महत्व कम नहीं हो जाता है। यह सभी तरह के प्रश्न किसी-न-किसी एग्जाम में कंफ्यूज करने के उदेश्ये से लेंग्वेज बदलकर पूछे गए हैं। आप इनसे परिचित रहें इसके लिए उन्हें अलग-अलग समझ कर एक ही जगह पर संकलित किया गया है।
प्रश्न-81: निम्नोक्त समादेशों में से कौन-सा समादेश किसी अवैध व्यक्ति से सरकारी पद को बचाने के लिए जारी किया जाता है ?
- उत्प्रेषण (Certiorari)
- परमादेश (Mandamus)
- निषेधाज्ञा
- अधिकार पृच्छा (Quo-warranto)
व्याख्या: (Option: 4) अधिकार पृच्छा।
अधिकार पृच्छा (Quo Warranto): इस रिट (writ) को उस व्यक्ति के विरुद्ध जारी किया जाता है जो किसी ऐसे लोक पद (public post) को धारण करता है जिसे धारण करने का अधिकार उसे प्राप्त नहीं है। इस रिट (writ) द्वारा न्यायालय लोकपद पर किसी व्यक्ति के दावे की वैधता की जाँच करता है। यदि उसका दावा निराधार (not well-founded) है तो वह उसे पद से निष्कासन कर देता है। इस रिट के माध्यम से किसी लोक पदधारी को अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर आदेश देने से रोका जाता है।
प्रश्न-82: व्यक्ति, निगम अथवा अधीनस्थ अधिकरण जिस कार्य को करने के लिए आबद्ध हैं, उस कार्य को करने के लिए जारी करने वाले रिट को कहते हैं-
- अधिकार पृच्छा Quo-warranto)
- परमादेश (Mandamus)
- उत्प्रेषण (Certorari)
- प्रतिषेध (Prohibition)
व्याख्या: (Option: 2) प्रतिषेध रिट।
प्रतिषेध रिट (Prohibition): यह रिट (writ) किसी उच्चतर न्यायालय द्वारा अधीनस्थ न्यायालयों के विरुद्ध जारी की जाती है। इस रिट (writ) को जारी करके अधीनस्थ न्यायालयों को अपनी अधिकारिता के बाहर कार्य करने से रोका जाता है। इस रिट के द्वारा अधीनस्थ न्यायालय को किसी मामले में तुरंत कार्रवाई करने तथा की गई कार्रवाई की सूचना उपलब्ध कराने का आदेश दिया जाता है।
प्रश्न-83: वह रिट (writ) जो भारत में उच्चतम न्यायालय अथवा सर्वोच्च न्यायालय द्वारा किसी व्यक्ति या सार्वजनिक संस्था का आदेश देती है कि वह अपने कर्तव्य का पालन करे, क्या कहलाती है?
- परमादेश
- बंदी प्रत्यक्षीकरण
- अधिकार पृच्छा
- प्रतिषेध
व्याख्या: (Option: 1) परमादेश।
प्रश्न-84: निम्नलिखित में से किस लेख (writ) के द्वारा किसी सक्षम न्यायालय द्वारा किसी व्यक्ति, निगम या निचली अदालत को कोई ऐसा कार्य करने के लिए आदेश दिया जाता है जो उसकी कर्तव्य सीमा में आता है और जिसको उन्हें पूरा करना चाहिए?
- उत्प्रेषण
- परमादेश
- निषेधाज्ञा
- बंदी प्रत्यक्षीकरण
व्याख्या: (Option: ) परमादेश।
प्रश्न-85: एक ऐसी याचिका जो न्यायपालिका द्वारा जारी की जाती है तथा जिसमें कार्यपालिका को कहा जाता है कि वह यह कार्य करे जो उसे प्राप्त शक्तियों के अंतर्गत करना चाहिए था, रिट (याचिका) को कहा जाता है-
- हेबियस कॉर्पस
- मेंडेमस
- प्रोहिविशन
- क्वो वारंटो
व्याख्या: (Option: ) मेंडेमस (परमादेश)।
प्रश्न-86: उत्प्रेषण (Certiorari) रिट निम्न में से किस आधार पर जारी किये जाते हैं?
- अधिकारिता का अभाव या अधिकारिता से बाहर किये गये कार्य के लिए
- नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का अतिक्रमण होने पर
- अभिलेख में प्रत्यक्षत: प्रकट विधिक त्रुटि के आधार पर
- उपर्युक्त सभी
व्याख्या: (Option: 4) उपर्युक्त सभी।
उत्प्रेषण लेख (Writ of Certiorari): यह रिट (writ) भी अधीनस्थ न्यायालयों (sub-ordinate courts) के विरुद्ध जारी किया जाता है। इस रिट (writ) को जारी करके अधीनस्थ न्यायालयों को यह निर्देश दिया जाता है कि वे अपने पास संचित मुकदमे के निर्णय लेने के लिए उस मुकदमे को वरिष्ठ न्यायालय अथवा उच्चतर न्यायालय को भेजें। उत्प्रेषण लेख का मतलब उच्चतर न्यायालय द्वारा अधीनस्थ न्यायालय में चल रहे किसी मुक़दमे के प्रलेख (documents) की समीक्षा (review) मात्र है, इसका तात्पर्य यह नहीं है कि उच्चतर न्यायालय अधीनस्थ न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध ही हो।
प्रश्न-87: निम्नलिखित में से किस याचिका के अधीन किसी कर्मचारी को ऐसी कार्यवाही करने से रोका जाता है, जिसके लिए सरकारी तौर पर वह हकदार नहीं है?
- परमादेश
- अधिकार पृच्छा
- उत्प्रेषण
- बंदी प्रत्यक्षीकरण
व्याख्या: (Option: 2) अधिकार पृच्छा: इस रिट (writ) द्वारा न्यायालय लोकपद पर किसी व्यक्ति के दावे की वैधता की जाँच करता है।
प्रश्न-88: न्यायालय द्वारा जारी किये गये परमादेश (Mandamus) के माध्यम से न्यायालय-
- किसी व्यक्ति को उपस्थित होने के लिए कह सकता है।
- किसी व्यक्ति को कुछ समय के लिए छोड़ा जा सकता है।
- अपने अधीनस्थ न्यायालय से केस मंगा सकता है।
- किसी व्यक्ति या संस्था को उनके सार्वजनिक दायित्वों तथा कर्तव्यों का पालन करने के लिए जारी किया जाता है।
व्याख्या: (Option: ) परमादेश: किसी व्यक्ति या संस्था को उनके सार्वजनिक दायित्वों तथा कर्तव्यों का पालन करने के लिए जारी किया जाता है।
प्रश्न-89: कौन मूल अधिकारों के अंतर्गत नहीं आता है?
- स्वतंत्रता का अधिकार
- समानता का अधिकार
- संपत्ति का अधिकार
- शोषण के विरुद्ध अधिकार
व्याख्या: (Option: 3) संपत्ति का अधिकार।
प्रश्न-90: निम्नलिखित में से कौन – सा मौलिक अधिकार नहीं है?
- व्याख्यान की स्वतंत्रता का अधिकार
- संवैधानिक प्रतिकार का अधिकार
- समानता का अधिकार
- संपत्ति का अधिकार
व्याख्या: (Option: 4) संपत्ति का अधिकार।
प्रश्न-91: सम्पत्ति के मौलिक अधिकार को कब समाप्त किया गया?
- 1978 में संविधान के 44वें संशोधन द्वारा
- 1982 में संविधान के 16वें संशोधन द्वारा
- 1973 में संविधान के 31वें संशोधन द्वारा
- इनमें से कोई नहीं
व्याख्या: (Option: 1) 1978 में संविधान के 44वें संशोधन द्वारा।
प्रश्न-92: संपत्ति का अधिकार एक-
- मौलिक अधिकार है।
- वैधानिक अधिकार है।
- नैसर्गिक अधिकार है।
- कानूनी अधिकार है।
व्याख्या: (Option: ) कानूनी अधिकार है।
प्रश्न-93: 44वें संविधान संशोधन विधेयक द्वारा किस मौलिक अधिकार को सामान्य वैधानिक अधिकार बना दिया गया?
- स्वतंत्रता का अधिकार
- समानता का अधिकार
- सम्पत्ति का अधिकार
- सांस्कृतिक तथा शैक्षणिक अधिकार
व्याख्या (Option: ) सम्पत्ति का अधिकार।
प्रश्न-94: सम्पत्ति के मूल अधिकार को किस संवैधानिक संशोधन अधिनियम द्वारा समाप्त किया गया?
- 42 वें
- 44 वें
- 45 वें
- 52 वें
व्याख्या: (Option: 2) 44 वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम द्वारा।
प्रश्न-95: निम्नलिखित में से कौन – सा मौलिक अधिकार नहीं है?
- संवैधानिक प्रतिकार का अधिकार
- सम्पत्ति का अधिकार
- शांतिपूर्वक एकत्र होने का अधिकार
- देश भर में आजादी के साथ आने-जाने का अधिकार
व्याख्या: (Option: 2) सम्पत्ति का अधिकार।
प्रश्न-96: भारतीय संविधान के अनुसार सम्पत्ति का अधिकार क्या है ?
- मूलभूत अधिकार
- विधिक अधिकार
- दोनों
- इनमें से कोई नहीं
व्याख्या: (Option: 2) विधिक अधिकार।
प्रश्न-97: सम्पत्ति के अधिकार को मूल अधिकार की श्रेणी से हटाकर किस अनुच्छेद के अंतर्गत रखा गया है?
- अनुच्छेद 31
- अनुच्छेद 19 (i)
- अनुच्छेद 301 (क)
- अनुच्छेद 300 (क)
व्याख्या: (Option: 4) अनुच्छेद-300: (वाद और कार्यवाहियाँ)
- भारत सरकार भारत संघ के नाम से वाद ला सकेगी या उस पर वाद लाया जा सकेगा और किसी राज्य की सरकार उस राज्य के नाम से वाद ला सकेगी या उस पर वाद लाया जा सकेगा और ऐसे उपबंधों के अधीन रहते हुए, जो इस संविधान द्वारा प्रदत्त शक्तियों के आधार पर अधिनियमित संसद के या ऐसे राज्य के विधान-मंडल के अधिनियम द्वारा किए जाएँ, वे अपने-अपने कार्यकलाप के संबंध में उसी प्रकार वाद ला सकेंगे या उन पर उसी प्रकार वाद लाया जा सकेगा जिस प्रकार, यदि यह संविधान अधिनियमित नहीं किया गया होता तो, भारत डोमिनियन और तत्स्थानी प्रांत या तत्स्थानी देशी राज्य वाद ला सकते थे या उन पर वाद लाया जा सकता था।
- यदि इस संविधान के प्रारंभ पर–
- (क) कोई ऐसी विधिक कार्यवाहियाँ लंबित हैं जिनमें भारत डोमिनियन एक पक्षकार है तो उन कार्यवाहियों में उस डोमिनियन के स्थान पर भारत संघ प्रतिस्थापित किया गया समझा जाएगा; और
- (ख) कोई ऐसी विधिक कार्यवाहियाँ लंबित हैं जिनमें कोई प्रांत या कोई देशी राज्य एक पक्षकार है तो उन कार्यवाहियों में उस प्रांत या देशी राज्य के स्थान पर तत्स्थानी राज्य प्रतिस्थापित किया गया समझा जाएगा।
Note: हाल ही में भूमि अधिग्रहण से संबंधित एक मामले में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि “राज्य द्वारा उचित न्यायिक प्रक्रिया का पालन किये बिना नागरिकों को उनकी निजी संपत्ति से ज़बरन वंचित करना मानवाधिकार और संविधान के अनुच्छेद 300A के तहत प्राप्त संवैधानिक अधिकार का भी उल्लंघन होगा।” सर्वोच्च न्यायालय के मुताबिक, कानून से शासित किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में राज्य कानून की अनुमति के बिना नागरिकों से उनकी संपत्ति नही छीन सकता। न्यायालय ने यह भी कहा कि कानून से संचालित कल्याणकारी सरकार होने के नाते सरकार संवैधानिक सीमा से परे नहीं जा सकती।
प्रश्न-98: भारत के संविधान के अनुसार जो संवैधानिक अधिकार है किन्तु मूलभूत अधिकार नहीं है–
- धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार
- सांस्कृतिक और शैक्षणिक अधिकार
- शोषण के विरुद्ध अधिकार
- सम्पत्ति का अधिकार
व्याख्या: (Option: 4) सम्पत्ति का अधिकार।
प्रश्न-99: मत देने का अधिकार (Right to vote) होता है-
- एक राजनीतिक अधिकार
- एक नागरिक अधिकार
- एक आर्थिक अधिकार
- एक कानूनी अधिकार
व्याख्या: (Option: ) एक नागरिक अधिकार।
प्रश्न-100: सूची-I (मौलिक अधिकार) को सूची-II (अनुच्छेद) से सुमेलित कीजिए तथा सूचियों के नीचे दिये गये कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए:-
सूची-I (मौलिक अधिकार) | सूची-II (अनुच्छेद) |
A. समता का अधिकार | 1. अनुच्छेद 14-18 |
B. वाक् का अधिकार | 2. अनुच्छेद 25 |
C. धर्म का अधिकार | 3. अनुच्छेद 32 |
D. संवैधानिक उपचारों का अधिकार | 4. अनुच्छेद 19 |
- A → 1, B → 3, C → 2, D → 4
- A → 2, B → 4, C → 1, D → 3
- A → 1, B → 4, C → 2, D → 3
- A → 2, B → 3, C → 1, D → 4
व्याख्या: (Option: 3) A → 1, B → 4, C → 2, D → 3
By Author: Vision of Wisdom द्वारा प्रदत्त क्वेश्चन बैंक सीरीज में शामिल प्रत्येक प्रश्न को आधिकारिक स्त्रोतों द्वारा जांचा-परखा गया है, फिर भी इसमें सुधार की गुंजाइश से इंकार नहीं किया जा सकता है। यदि आपको किसी भी प्रश्न में कोई संदेह है, तो आप नीचे टिप्पणी में लिख सकते हैं। हमारी टीम इसे 48 घंटे में हल करने की भरोसेमंद-कोशिश करेगी।