MCQ on History: व्यापारी, राजा और तीर्थयात्री

हम यहां इतिहास के विषय “व्यापारी, राजा और तीर्थयात्री” से संबंधित कुछ प्रश्न देखेंगे। ये सवाल NCERT की किताब से लिए गए हैं।

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Q&A: व्यापारी, राजा और तीर्थयात्री (Question and Answer on Businessman, King and Pilgrim)


प्रश्न-1: रेशम मार्ग (the Silk Road) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-

  • कथन (A): कुछ शासक रेशम मार्ग के बड़े-बड़े हिस्सों पर अपना नियंत्रण चाहते थे।
  • कारण (R): रेशम मार्ग पर यात्रा कर रहे व्यापारियों से उस क्षेत्र के शासकों को कर, शुल्क तथा तोहफे प्राप्त होते थे।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग करके सही उत्तर का चयन कीजिये-

  1. (A) और (R) दोनों सही हैं और (R), (A) का सही स्पष्टीकरण है।
  2. (A) और (R) दोनों सही हैं परन्तु (R), (A) का सही स्पष्टीकरण नहीं है।
  3. (A) सही है, परन्तु (R) गलत है।
  4. (A) गलत है, परन्तु (R) सही है।

व्याख्याः (Option: 1) व्यापारियों से प्राप्त इन चीज़ों के बदले ये शासक इन व्यापारियों को अपने राज्य से गुज़रते वक्त लुटेरों के आक्रमणों से सुरक्षा देते थे। अतः विकल्प (A) सही है।


प्रश्न-2: कुषाणों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा सही नहीं है?

  1. सिल्क रूट पर नियंत्रण रखने वाले शासकों में सबसे प्रसिद्ध कुषाण थे।
  2. पेशावर और मथुरा इनके दो मुख्य शक्तिशाली केन्द्र थे।
  3. इनके शासन काल में ही सिल्क रूट की एक शाखा मध्य-एशिया से होकर नील नदी के मुहाने के पत्तनों तक जाती थी।
  4. इस उपमहाद्वीप में सबसे पहले सोने के सिक्के जारी करने वाले शासकों में कुषाण थे।

व्याख्याः (Option: 3) कथन (1), (2) व (4) सही हैं, परंतु कथन (3) गलत है।

  • लगभग 2000 वर्ष पूर्व मध्य एशिया तथा पश्चिमोत्तर भारत पर कुषाणों का शासन था। तक्षशिला भी इनके राज्य का हिस्सा था।
  • इनके शासन काल में ही सिल्क रूट की एक शाखा मध्य-एशिया से होकर सिन्धु नदी के मुहाने के पत्तनों तक जाती थी। फिर यहाँ से जहाजों द्वारा रेशम, पश्चिम की ओर रोमन साम्राज्य तक पहुँचता था।
  • कुषाण इस उपमहाद्वीप में सबसे पहले सोने के सिक्के जारी करने वाले शासकों में थे। सिल्क रूट पर यात्रा करने वाले व्यापारी इनका उपयोग करते थे।

प्रश्न-3: बुद्ध की जीवनी ‘बुद्धचरित’ के रचनाकार कवि निम्नलिखित में से कौन हैं?

  1. अश्वघोष
  2. पार्श्व
  3. वसुमित्र
  4. नागार्जुन

व्याख्याः (Option: 1) बुद्ध की जीवनी ‘बुद्धचरित’ के रचनाकार कवि अश्वघोष थे। ये कुषाणों के सबसे प्रसिद्ध शासक कनिष्क के दरबार में रहते थे। अश्वघोष तथा अन्य बौद्ध विद्वानों ने अब संस्कृत में लिखना शुरू कर दिया था। पार्श्व और वसुमित्र जैसे बौद्ध दार्शनिक तथा नागार्जुन जैसे विद्वान कनिष्क के दरबार में विद्यमान थे


प्रश्न-4: मौर्योत्तर काल में बौद्ध धर्म की नई धारा महायान का विकास हुआ। इस नई बौद्ध धारा में आए नए परिवर्तनों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-

  • कथन-1: पहले, मूर्तियों में बुद्ध की उपस्थिति संकेतात्मक रूप से दर्शाई जाती थी, पर अब बुद्ध की प्रतिमाएँ बनाई जाने लगी।
  • कथन-2: बोधिसत्व में आस्था को लेकर परिवर्तन आया।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?

  1. केवल 1
  2. केवल 2
  3. 1 और 2 दोनों
  4. न तो 1 और न ही 2

व्याख्याः (Option: 3) दोनों कथन सही हैं। महायान धारा में प्रविष्ट मूर्ति निर्माण के बदलाव के तहत अब बुद्ध की प्रतिमाएँ (Statues of buddha) बनाई जाने लगीं। इनमें से अधिकांश मथुरा में तो कुछ तक्षशिला में बनाई गईं।

बोधिसत्व उन्हें कहते हैं जो ज्ञान प्राप्ति के बाद एकांतवास करते हुए ध्यान साधना कर सकते थे। इस आस्था में परिवर्तन हुआ– अब ऐसा करने के बजाय महायानी लोगों को शिक्षा देने और मदद करने के लिये सांसारिक परिवेश में ही रहना ठीक समझने लगे।

धीरे-धीरे बोधिसत्व की पूजा काफी लोकप्रिय हो गई और पूरे मध्य एशिया, चीन और बाद में कोरिया तथा जापान तक भी फैल गई।


प्रश्न-5: बौद्ध धर्म के प्रसार के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-

  • कथन-1: बौद्ध धर्म दक्षिण-पूर्व की ओर श्रीलंका, म्याँमार, थाईलैंड तथा इंडोनेशिया सहित दक्षिण-पूर्व एशिया के अन्य भागों में भी फैला।
  • कथन-2: इन क्षेत्रों में ‘थेरवाद’ नामक बौद्ध धर्म का आरम्भिक रूप कहीं अधिक प्रचलित था।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?

  1. केवल 1
  2. केवल 2
  3. 1 और 2 दोनों
  4. न तो 1 और न ही 2

व्याख्याः (Option: 3) उपर्युक्त दोनों कथन सही हैं। बौद्ध धर्म का प्रसार दक्षिण-पूर्व एशिया की ओर श्रीलंका, म्याँमार, थाईलैंड, इंडोनेशिया और इसके अन्य भागों में भी हुआ। इन क्षेत्रों में ‘थेरवाद’ नामक बौद्ध धर्म कहीं अधिक प्रचलित था जो कि बौद्ध धर्म का आरम्भिक रूप था।


प्रश्न-6: भारत की यात्रा पर आए निम्नलिखित चीनी बौद्ध तीर्थयात्रियों का कालक्रम के अनुसार सही क्रम चुनिये-

  1. इत्सिंग, श्वैन त्सांग (हृवेनसांग), फा-शिएन (फाह्यान)
  2. फा-शिएन (फाह्यान), श्वैन त्सांग (हृवेनसांग), इत्सिंग
  3. फा-शिएन (फाह्यान), इत्सिंग, श्वैन त्सांग (हृवेनसांग)
  4. इत्सिंग, फा-शिएन (फाह्यान), श्वैन त्सांग (हृवेनसांग)

व्याख्याः (Option: 2) भारत की यात्रा पर फा-शिएन (फाह्यान) लगभग 1600 वर्ष पूर्व आया। श्वैन त्सांग (हृवेनसांग) 1400 वर्ष पूर्व तथा इत्सिंग इसके 50 वर्ष बाद भारत आया। ये सब बुद्ध के जीवन से जुड़ी जगहों और प्रसिद्ध मठों को देखने के लिये भारत आए थे।


प्रश्न-7: विष्णु के वराह रूप की मूर्ति निम्नलिखित में से कहाँ से प्राप्त हुई है?

  1. महाराष्ट्र
  2. मध्य प्रदेश
  3. असम
  4. तमिलनाडु

व्याख्याः (Option: 2) विष्णु के वराह रूप की मूर्ति एरण, मध्य प्रदेश से प्राप्त हुई है। पुराणों के अनुसार जल में डूबी पृथ्वी को बचाने के लिये विष्णु ने वराह रूप धारण किया था। यहाँ पृथ्वी को एक स्त्री के रूप में दर्शाया गया है।


प्रश्न-8: भक्ति परम्परा के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही नहीं है?

  1. भक्ति परम्परा की शुरुआत मौर्योत्तर काल में हुई।
  2. भक्तिमार्ग की चर्चा भगवद्गीता में की गई है।
  3. भक्तिमार्गी आडंबर के साथ पूजा-पाठ पर ज़ोर देते थे।
  4. भक्तिमार्गी मानते थे कि उनके आराध्य देवी या देवता मानव, सिंह, पेड़ या अन्य किसी भी रूप में हो सकते हैं।

व्याख्याः (Option: 3) देवी-देवताओं की पूजा का चलन मौर्योत्तर काल से शुरू हुआ। इनमें शिव, विष्णु और दुर्गा जैसी देवी-देवता शामिल हैं। इन देवी-देवताओं की पूजा भक्ति परम्परा के माध्यम से की जाती थी। किसी देवी-देवता के प्रति श्रद्धा को ही भक्ति कहा जाता है।

  • भक्ति मार्ग की चर्चा हिन्दुओं के पवित्र ग्रंथ भगवद्गीता में की गई है। भक्ति मार्ग अपनाने वाले लोग आडंबर के साथ पूजा-पाठ करने के बजाए ईश्वर के प्रति लगन और व्यक्तिगत पूजा पर ज़ोर देते थे। अतः कथन (3) गलत है।
  • भक्ति मार्ग अपनाने वालों का मानना था कि अगर आराध्य की सच्चे मन से पूजा की जाए तो वह उसी रूप में दर्शन देगें, जिसमें भक्त उसे देखना चाहता है। अतः इस विचार की स्वीकृति बढ़ने के साथ कलाकार, देवी-देवताओं की एक से बढ़कर एक खूबसूरत मूर्तियाँ बनाने लगे। भक्ति मार्ग के बढ़ते प्रभाव के काल में ही दक्षिण भारत में लगभग 1400 साल पहले एक शिव भक्त अप्पार ने तमिल में शिवस्तुति की रचना की थी। ये शिवभक्त अप्पार एक बड़ा भूस्वामी (वेल्लाल) था।

प्रश्न-9: केरल के ईसाइयों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-

  • कथन (A): केरल के ईसाइयों को ‘सीरियाई ईसाई’ कहा जाता है।
  • कारण (R): केरल के ईसाई सम्भवतः पश्चिम एशिया से आए थे।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग करके सही उत्तर का चयन कीजिये-

  1. (A) और (R) दोनों सही हैं और (R), (A) का सही स्पष्टीकरण है।
  2. (A) और (R) दोनों सही हैं परन्तु (R), (A) का सही स्पष्टीकरण नहीं है।
  3. (A) सही है, परन्तु (R) गलत है।
  4. (A) गलत है, परन्तु (R) सही है।

व्याख्याः (Option: 1) लगभग 2000 वर्ष पूर्व पश्चिमी एशिया में ईसाई धर्म का उदय हुआ। ईसाई धर्म के प्रवर्तक ईसा मसीह का जन्म बेथलेहम में हुआ जो रोमन साम्राज्य का हिस्सा था। उन्होंने स्वयं को इस संसार का उद्धारक बताया।

  • ईसा मसीह के उपदेश धीरे-धीरे पश्चिमी एशिया, अफ्रीका तथा यूरोप में फैल गए। ईसा मसीह की मृत्यु के सौ सालों के अंदर ही भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिमी तट पर पहले ईसाई धर्म प्रचारक, पश्चिमी एशिया से आए।
  • केरल के ईसाइयों को ‘सीरियाई ईसाई’ कहा जाता है क्योंकि संभवतः वे पश्चिम एशिया से आए थे, वे विश्व के सबसे पुराने ईसाइयों में से हैं। अतः विकल्प (1) है।

प्रश्न-10: संगमकालीन व्यापार के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही नहीं है?

  1. दक्षिण भारत सोना, मसाले, खासतौर पर काली मिर्च तथा कीमती पत्थरों के लिये प्रसिद्ध था।
  2. काली मिर्च की रोमन साम्राज्य में इतनी मांग थी कि इसे ‘काले सोने’ के नाम से बुलाते थे।
  3. व्यापारी इन सामानों को ले जाने के लिये केवल समुद्री मार्गों का प्रयोग करते थे।
  4. दक्षिण भारत से रोम से व्यापार के प्रमाण स्वरूप अनेक रोमन सोने के सिक्के मिले हैं।

व्याख्याः (Option: 3) कथन (a), (b) व (d) सही हैं परंतु (c) गलत है क्योंकि व्यापारी इन सामानों को रोम ले जाने के लिये समुद्री जहाजों और सड़कों दोनों मार्गों का प्रयोग करते थे।

  • व्यापारियों ने कई समुद्री रास्ते खोज निकाले थे। ये व्यापारी मानसूनी हवा का फायदा उठाकर अपनी यात्रा जल्दी पूरी कर लेते थे। वे अफ्रीका या अरब के पूर्वी तट से इस उपमहाद्वीप के पश्चिमी तट पर पहुँचने के लिये दक्षिणी-पश्चिमी मानसून का सहारा लेना पसंद करते थे।
  • व्यापार के प्रमाण हमें संगम कविताओं से भी मिलते हैं। 

प्रश्न-11: संगम कविताओं में ‘मुवेन्दार’ की चर्चा मिलती है। यह एक तमिल शब्द है। इसका अर्थ निम्नलिखित में से क्या है?

  1. ग्राम प्रधान
  2. गृहपति
  3. तीन मुखिया
  4. सरदार

व्याख्याः (Option: 3) मुवेन्दार का अर्थ तीन मुखिया है। इसका प्रयोग तीन शासक परिवारों के लिये किया गया है। ये थे-चोल, चेर तथा पांड्य जो करीब 2300 वर्ष पूर्व दक्षिण भारत में काफी शक्तिशाली माने जाते थे।


प्रश्न-12: चोल, चेर तथा पांड्य शासकों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-

  • कथन-1: पुहार और मदुरै इनके महत्त्वपूर्ण सत्ता केन्द्रों में सम्मिलित थे।
  • कथन-2: ये लोगों से नियमित कर के बजाय उपहारों की मांग करते थे।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?

  1. केवल 1
  2. केवल 2
  3. 1 और 2 दोनों
  4. न तो 1 और न ही 2

व्याख्याः (Option: 3) उपर्युक्त दोनों कथन सही हैं।

  • चोल, चेर और पांड्य के अपने-अपने दो-दो सत्ता केन्द्र थे। इनमें से एक तटीय हिस्से में और दूसरा अंदरूनी हिस्से में था। इन छः केन्द्रों में से दो बहुत महत्त्वपूर्ण थे। एक था चोलों का पत्तन पुहार या कावेरीपत्तनम् और दूसरी थी पांड्यों की राजधानी मदुरै।
  • ये तीनों मुखिया (चोल, चेर, पांड्य) लोगों से नियमित कर के बजाय उपहारों की मांग करते थे। कभी-कभी सैनिक अभियानों के दौरान आस-पास के इलाकों से शुल्क वसूल करते थे। इनमें कुछ धन अपने पास रखते थे, बाकी अपने समर्थकों, नाते-रिश्तेदारों, सिपाहियों तथा कवियों के बीच बाँट देते थे।

प्रश्न-13: दक्षिणापथ के स्वामी’ निम्नलिखित में से कौन कहे जाते थे?

  1. सातवाहन
  2. कुषाण
  3. चोल
  4. चेर

व्याख्याः (Option: 1) तीनों मुखियाओं (चोल, चेर, पांड्य) के शासन के लगभग 200 वर्ष बाद (2100 वर्ष पूर्व) पश्चिम भारत में सातवाहन नामक राजवंश का प्रभाव बढ़ गया। सातवाहनों का सबसे प्रमुख राजा गौतमी पुत्र श्री सातकर्णी था। उसके बारे में हमें उसकी माँ, गौतमी बलश्री के एक अभिलेख से पता चलता है। वह और अन्य सभी सातवाहन शासक ‘दक्षिणापथ के स्वामी’ कहे जाते थे। दक्षिणापथ का शाब्दिक अर्थ दक्षिण की ओर जाने वाला रास्ता होता है। पूरे क्षेत्र के लिये यही नाम प्रचलित था।


प्रश्न-14: रेशम बनाने की तकनीक (Silk making technique) का अविष्कार सबसे पहले कहाँ हुआ?

  1. भारत
  2. यूनान
  3. यूरोप
  4. चीन

व्याख्याः (Option: 4) रेशम बनाने की तकनीक का अविष्कार सबसे पहले चीन में लगभग 7000 वर्ष पूर्व हुआ। इस तकनीक को हज़ारों साल तक उन्होंने दुनिया से छिपाए रखा।

  • चीन से पैदल, घोड़ों या ऊँटों पर कुछ लोग दूर-दूर की जगहों पर जाते थे और अपने साथ रेशम के कपड़े भी ले जाते थे। जिस रास्ते से ये लोग यात्रा करते थे वह रेशम मार्ग (सिल्क रूट) के नाम से प्रसिद्ध हो गया।
  • कभी-कभी चीन के शासक ईरान और पश्चिमी एशिया के शासकों को उपहार के तौर पर रेशमी कपड़े भेजते थे। यहाँ से रेशम के बारे में जानकारी और भी पश्चिम की ओर फैल गई। लगभग 2000 वर्ष पूर्व रोम के शासकों और धनी लोगों के बीच रेशमी कपड़े पहनने का एक फैशन बन गया। इसकी कीमत बहुत ज़्यादा थी क्योंकि चीन से इसे लाने में दुर्गम रास्तों से गुज़रना पड़ता था तथा रास्ते के आस-पास रहने वाले लोग व्यापारियों से यात्रा शुल्क भी मांगते थे।

विश्वसनीयता (Trustworthy)

“MCQ केटेगरी” में शामिल प्रत्येक प्रश्न को आधिकारिक स्त्रोतों द्वारा जांचा-परखा गया है, फिर भी इसमें सुधार की गुंजाइश से इंकार नहीं किया जा सकता है। यदि आपको किसी भी प्रश्न में कोई संदेह है, तो आप नीचे टिप्पणी में पूछ सकते हैं। हमारी टीम इसे 48 घंटे में हल करने की भरोसेमंद-कोशिश करेगी।


4 Comments

  1. शिल्क का जन्म का समय 7000 साल पहले चीन में बताया गया है।
    7000 साल पहले का समय सन्देहात्मक है सही समय बबताने का कष्ट करें

    1. प्रिये जब्बार, चीनी लोग अपनी संस्कृति को 7000 साल पुरानी मानते हैं। हमें जिन सभ्यताओं के अवशेष मिले हैं वो 5000 साल से अधिक पुराने नहीं माने गए हैं। फिर भी उनमें उच्च कोटि का व्यापार होता था, इसके प्रमाण हैं। पहली नजर में आपकी बात सही है, लेकिन दो तर्क इस बात को मानने पर जोर देते हैं की उनके द्वारा अपनी संस्कृति के 7000 साल पुराना होने का दावा तथा दूसरा उनके द्वारा इसे कई सदियों तक छुपाये जाना। धन्यवाद।

  2. मुझे ये MCQ कैटेगरी बहुत अच्छे लगे।
    और मैंने सभी प्रश्नों का सही सही जवाब दिया…
    मैं टीम से आशा करता हूं कि NCERT की सभी Books की ऐसा ही MCQ कैटेगरी तैयार की जाये…✍️✍️✍️✍️✍️🙏🙏🙏🙏

    1. Thank you, Subodh 🙂
      जल ही हम पुरे सब्जेक्ट्स को कवर करने में फिर से जुट जायेंगे.

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