बैडमिंटन (badminton)

बैडमिंटन विश्व में लोकप्रिय खेलों में से एक है, यह अधिकांश देशों में खेला जाता है, बैडमिंटन के खेल में न्यूनतम दो लोगों की आवश्यकता होती है, इसे शटलकाक और रैकेट की सहायता से खेला जाता है। इसका आयोजन पांच प्रकार से किया जाता है, पुरुषों और महिलाओं के एकल, पुरुषों और महिलाओं के युगल और मिश्रित युगल इसमें एक टीम में एक महिला और एक पुरुष होते है। बैडमिंटन खेलने के नियम क्या है ? इसके बारें में विस्तृत जानकारी आपको इस पेज पर दे रहे है।


बैडमिंटन खेलने के नियम :

  • बैडमिंटन में दो व्यक्तिओं के बीच शटलकॉक का आदान-प्रदान किया जाता है, यदि दोनों में से किसी के द्वारा शटलकॉक भेजने पर चूक हो जाती है, तो विपरीत व्यक्ति को अंक प्राप्त हो जाता है।
  • बैडमिंटन की स्कोरिंग सिस्टम बहुत सरल है। 21 अंकों का एक गेम होता है और एक मैच में कुल 3 गेम हो सकते हैं। 21 अंक पर पहुँचने वाले पहले खिलाडी को विजेता घोषित किया जाता है।
  • लेकिन अगर दोनों खिलाडी 20-20 अंक पर अटक जाएँ तब वो खिलाडी जो पहले दो अंक का अंतर बना ले (जैसे कि 24-22) उसे विजेता घोषित किया जाता है।
  • यह खेल 29 प्वॉइंट तक जारी रखा जा सकता है। अगर दोनों खिलाडी 29 अंक के स्कोर पर पहुँच जाये तो अंत में 29 प्वॉइंट के बाद गोल्डन प्वॉइंट होता है, जो खिलाड़ी इसे जीत लेता है, उसे मैच का विजेता घोषित कर दिया जाता है।
  • मैच के बीच में एक आराम का समय होता है जब कोई भी पहला खिलाडी 11 अंक पर पहुँच जाता है।
  • वैसे पहले दो गेम में साइड बदलने की कोई प्रक्रिया नहीं है, लेकिन अगर खेल तीसरे गेम तक गया तो इंटरवल में दोनों खिलाडी अपने साइड बदलते हैं।

खेल की प्रक्रिया :

  • खेल के प्रारम्भ  में टॉस किया जाता है, जिससे यह निर्धारित किया जा सके की कौन सा खिलाड़ी सर्व करेगा और कौन सा खिलाड़ी रिसीवर करेगा।
  • एक मैच में तीन खेल होते है, खिलाड़ी को जीतने के लिए तीन में से दो खेल जीतने आवश्यक है।
  • खिलाड़ी को अपना कोर्ट दूसरे खेल में बदलना अनिवार्य है।
  • सर्वर और रिसीवर को बिना सर्विस लाइन को टच किए कोर्ट के अंदर रहना होता है।
  • लेट (लेट्स) काल होने पर पुनः खेला जाता है।
  • यदि रिसीवर तैयार नहीं है, और सर्वर के द्वारा सर्व कर दिया जाता है, तो इसे लेट काल के रूप में माना जाता है।

बैडमिंटन से जुडी कुछ महत्वपूर्ण शब्दावली

लेट्स :

अगर लेट्स होता है तो रैली बंद कर दी जाती है और स्कोर में बगैर कोई परिवर्तन के फिर से खेली जाती है। कुछ अनपेक्षित बाधा के कारण लेट्स हो सकते हैं, मसलन शटलकॉक के कोर्ट में गिर जाने पर (संलग्न कोर्ट के खिलाड़ियों द्वारा हिट कर दिया गया हो) या छोटे हॉल के ऊपरी भाग से शटल छू जाए तो इसे लेट्स कहा जा सकता है।

जब सर्व किया गया तब अगर रिसीवर तैयार नहीं है, उसे लेट्स कहा जाएगा; फिर भी, अगर रिसीवर शटलकॉक वापस करने का प्रयास करता है, तो मान लिया जाएगा कि वह तैयार हो गया। अगर शटलकॉक टेप को हिट करता है तो वह लेट्स नहीं होगा (सर्विस के वक़्त भी)।

फोरहैंड और बैकहैंड :

बैडमिंटन में सभी स्ट्रोक या तो फोरहैंड या बैकहैंड से खेले जा सकते हैं। एक खिलाड़ी का फोरहैंड साइड उसके खेलने वाले हाथ का ही साइड होता है: दाएं हाथ के खिलाड़ी के लिए फोरहैंड साइड उसका दाहिना साइड होता है और बैकहैंड साइड उसका बायां साइड होता है। प्रमुख हथेली से फोरहैंड स्ट्रोक दाहिने हाथ के सामने से मारा जाता है (जैसे हथेली से मारा जाये), जबकि बैकहैंड स्ट्रोक दाहिने हाथ के पीछे से मारा जाता है (जैसे हाथ के जोड़ों से मारा जाये)। खिलाड़ी अक्सर फोरहैंड साइड की ओर से बैकहैंड मारने के साथ कुछ स्ट्रोक खेलते हैं और इसका उल्टा भी।

Badminton Nate Shot

नेट शॉट :

बैडमिंटन का ये एक खतरनाक शॉट है। इसे अक्सर रैली को आगे बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाता और इसके इस्तेमाल से विरोधी हाई शॉट खेलने पर मजबूर हो जाता है। अगर सही एक्यूरेसी और तरीके से इसका इस्तेमाल किया जाये तो ये शॉट खुद में एक अटैक करने का शॉट बन सकता है।

Badminton Smash

स्मैश :

स्मैश दिखने में जितना आसान है, असल में उससे कई ज्यादा मुश्किल है। यहाँ पर खिलाडी अपना संतुलन खो सकता है। इसलिए इसका उपयोग तभी किया जाता है जब खिलाडी को रैली खत्म कर के अंक हासिल करना होता है। स्मैश का इस्तेमाल अक्सर विरोधी को चौंकाने के लिए किया जाता है और इसे खेलते हुए खिलाडी को मन शांत रखने की ज़रूरत है।


कोर्ट साइज :

इस खेल के लिए आयताकार क्षेत्र का प्रयोग किया जाता है, जिसे कोर्ट के नामे से जाना जाता है।

लाइन : कोर्ट को 40 मिमी लाइन से स्पष्ट रूप से प्रदर्शित किया जाता है। लाइन में सफ़ेद या पीले रंग का प्रयोग किया जाता है। लंबाई के मध्य की रेखा से यह क्षेत्र दो भांगों में विभाजित किया जाता है। मध्य रेखा से दोनों ओर एक-एक रेखा मध्य रेखा के समांतर होती है, जिसे शॉर्ट सर्विस रेखा कहा जाता है। इस रेखा के मध्य से पुनः दोनों कोर्ट को दो-दो भांगों में विभाजित किया जाता है, जिन्हे दायां सर्विस कोर्ट व बायां सर्विस कोर्ट कहा जाता है।

फर्श : इस खेल का आयोजन सीमेंट के पक्के फर्श या लकड़ी के बने हुए कोर्ट पर किया जाता है। सामान्य रूप से घास के मैदान या मिट्टी के मैदानो का भी प्रयोग प्राथमिक स्तर पर किया जा सकता है।

लंबाई-चौड़ाई : अधिकतर कोर्ट का निर्माण इस प्रकार किया जाता है, जिसमें सिंगल्स और डबल्स दोनों प्रकार के खेल आसानी से हो सके। कोर्ट की चौड़ाई 6.1 मीटर (या 20 फ़ीट) होती है।

सिंगल्स मैच : सिंगल्स मैच के समय इसे 5.18 मीटर (या 17 फिट) कर दिया जाता है, कोर्ट की लम्बाई 13.4 मीटर (या 44 फिट) होती है। कोर्ट के नेट से 1.98 की दूरी पर दोनों ओर सर्विस लाइन का निर्धारण किया जाता है।

डबल्स मैच : युगल के कोर्ट के लिए लंबाई तो 44 फीट ही रहती है, लेकिन चौड़ाई 20 फीट कर दी जाती है। डबल्स मैच के समय सर्विस लाइन पीछे से 0.73 की दूरी पर होती है।

नेट : कोर्ट के नेट में काले रंग के धागे का प्रयोग किया जाता है। लंबाई 6.99 मीटर (या 23 फीट), कोर्ट के केंद्र से ऊंचाई 1.50 मीटर (या 5 फीट) होती है।

Badminton court
Badminton court

शटलकाक :

शटलकाक को बनाने में सिंथेटिक तत्वों का प्रयोग किया जाता है । एक शटलकाक में 16 पंख लगाए जाते है। इसका भार 4.74 ग्राम से 5.50 ग्राम के मध्य में रहता है।

रैकेट :

शटलकाक को गति प्रदान करने के लिए रैकेट का प्रयोग किया जाता है, इसका निर्माण हल्की धातुओं से किया जाता है। रैकेट की लम्बाई 680 मिलीमीटर और चौड़ाई 230 मिलीमीटर होती है, इसका भार 70 से 95 ग्राम के मध्य में रहता है।


फाउल कैसे होता है :

निम्नलिखित बातों की अवहेलना करने पर फाउल दिया जाता है-

  1.सर्विस करते समय सर्विस करने वाले पक्ष के खिलाड़ी के पांव अर्द्ध-क्षेत्र में नहीं होने चाहिए।
  2. सर्विस करते समय शटल कॉक उसकी कमर से अधिक ऊंचाई पर नहीं होना चाहिए।
  3. किसी खिलाड़ी का रैकेट उसके शरीर,कपड़ों,जाल तथा पोल से नहीं छूना चाहिए।
  4. किसी खिलाड़ी को अनावश्यक रूप से विरोधी खिलाड़ी के खेल में किसी भी प्रकार की अड़चन नहीं डालना चाहिए।
  5.सर्विस के बाद शटल कॉक गलत अर्द्ध क्षेत्र में नहीं गिरना चाहिए। लंबी सर्विस रेखा तक नहीं पहुचना चाहिए।

दिशाएं कैसे बदलते हैं :

दोनों टीमे आपस में तीन पारियाँ खेलती है। तीन पारियो मे से दो पारियाँ जीतने वाला पक्ष विजयी घोषित किया जाता है। एक परी मे समाप्त होने पर दोने टीमे अपनी-अपनी दिशाए बदलती है। यदि दो पारियों में निर्णय नहीं होता, तो तीसरी पारी खेली जाती है। यदि यह पुरुषो का खेल हो जो 15 अंक का होता है, तो 8 अंक पर दिशाए बदल दी जाती है। यदि महिलाओ का हों तो 11 अंक का होता है और 6 अंक पर दिशाए बदल दी जाती है।


कुछ प्रसिद्ध टूर्नामेंट :

विश्व में इस खेल के पुरुष एवं महिला वर्ग से बहुत से टूर्नामेंट खेले जाते है, जिनमे से कुछ यहाँ पर दिए जा रहे है-

1. थॉमस कप (Thomas Cup)

सर्वप्रथम 1947 में खेला गया था। यह पुरुष वर्ग की अतंर्राष्ट्रीय चैंपियनशिप है, जो हर तीन वर्ष के बाद आयोजित की जाती है।

2. उबेर कप (Uber Cup)

यह अतंर्राष्ट्रीय स्तर पर चैंपियनशिप है, जो महिला वर्ग के लिए खेली जाती है। सर्वप्रथम 1957 मे खेला गया था और प्रत्येक तीन वर्ष बाद आयोजित किया जाता है।

3. वर्ल्ड चैंपियनशिप (World Championship)

सर्वप्रथम इसका आयोजन 1977 में किया गया था। उसके बाद प्रत्येक तीन वर्ष मे इसका आयोजन किया जाता है।

4. ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप (All-England Championship)

इस चैंपियनशिप की शुरुआत 1899 से हुई थी। आज यह विश्व की सबसे प्रसिद्ध चैंपियनशिप है।


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