वायु गुणवत्ता सूचकांक

पृथ्वी के वायुमंडल में हानिकारक गैसों, धूल कणों एवं सूक्ष्म जीवों की मिलावट को ‘वायु प्रदूषण’ कहा जाता है। वायुमंडल के प्रमुख प्रदूषक कार्बन मोनो ऑक्साइड (CO), सल्फर डाइ ऑक्साइड (SO2 ), अमोनिया (NH3 ), लेड (Pb), नाइट्रोजन डाइ ऑक्साइड (NO2 ) एवं कण पदार्थ (Particulate Matter-PM) हैं। स्वच्छ भारत अभियान के तहत 17 अक्टूबर, 2014 को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रकाश जावड़ेकर ने ‘वायु गुणवत्ता सूचकांक’ (Air Quality Index-AQI) जारी किया। वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) की प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं–


  • इस सूचकांक में आठ प्रदूषकों को शामिल किया गया है। ये प्रदूषक PM10, PM2.5, NO2, SO2, CO, O3, NH3 और Pb हैं। (PM-पार्टीकुलर मैटर)
  • PM10 का तात्पर्य है, ऐसे कण पदार्थ जिनका व्यास 10 माइक्रोमीटर या उससे कम हो।
  • PM2.5 का तात्पर्य है, ऐसे कण पदार्थ जिनका व्यास 2.5 माइक्रोमीटर या उससे कम हो।
  • वायु गुणवत्ता सूचकांक के अंतर्गत 6 वर्ग रखे गए हैं। प्रत्येक वर्ग का अलग-अलग कलर कोड (Color Code) है।
वर्गAQI सीमाकलर कोड
अच्छा (Good)0-50हरा
संतोषजनक(Satisfactory)51-100धानी
सामान्य प्रदूषित(Moderately Polluted)101-200पीला
खराब (Poor)201-300नारंगी
अतिखराब (Very Poor)301-400लाल
  • ‘केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रक बोर्ड’(Central Pollution Control Board) और ‘राज्य प्रदूषण नियंत्रक बोर्ड’ (State Pollution Control Board) मिलकर भारत के 240 शहरों में ‘राष्ट्रीय वायु निगरानी कार्यक्रम’ (National Air Monitoring Program -NAPM) चला रहे हैं।
  • परंपरागत तौर पर वायु गुणवत्ता संबंधी रिपोर्ट भारी-भरकम आंकड़ों के रूप में प्रस्तुत होती थी। नवीन ‘वायु गुणवत्ता सूचकांक’(AQI) में ‘रंगों’ के माध्यम से प्रस्तुतीकरण का प्रयोजन इस सूचकांक को लोगों तक सरल रूप में पहुंचाना है।
  • वायु गुणवत्ता सूचकांक के अंतर्गत बनाए गए सभी 6 वर्गों के साथ उनका संभावित स्वास्थ्य प्रभाव भी दिया गया है, जिससे यह सूचकांक जनोन्मुखी हो सके।

S. no.AQI – वर्गस्वास्थ्य प्रभाव
1अच्छा(0-50)न्यूनतम प्रभाव
2संतोषजनक(51-100)संवेदनशील लोगों को सामान्य श्वास संबंधी परेशानी हो सकती है।
3सा.प्रदूषित(101-200)जिन लोगों को फेफड़े संबंधी बीमारी (जैसे- अस्थमा) है, उन्हें श्वास संबंधी परेशानी हो सकती है।
हृदय संबंधी बीमारी वाले लोगों को परेशानी हो सकती है। बच्चों और बूढ़ों को सामान्य परेशानी हो सकती है।
4खराब(201-300)लंबे समय तक संपर्क में रहने से श्वास संबंधी परेशानियां हो सकती हैं। हृदय संबंधी बीमारी वाले लोगों को परेशानी हो सकती है।
5अति खराब(301-400)लंबे समय तक संपर्कमें रहने से श्वसन संबंधी रोग हो सकता है।फेफड़े व हृदय संबंधी बीमारी वाले लोगों पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
6गंभीर(401-500)स्वस्थ लोगों में भी श्वसन संबंधी परेशानियां हो सकती हैं।फेफड़े व हृदय संबंधी बीमारी वाले लोगों पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। हल्की शारीरिक मेहनत के दौरान भी स्वास्थ्य पर कुप्रभाव पड़ सकता है।

पर्वावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण (EPCA) :

राजधानी में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्राधिकृत एक संस्था है, जिसका नाम पर्वावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण (Environment Pollution Control Authority – EPCA) है। यह प्राधिकरण प्रदूषण के विभिन्न स्तरों के लिए एक क्रमिक प्रतिक्रिया कार्ययोजना (Graded Response Action Plan  – GRAP) पर काम करता है।

GRAP क्या है?

  • जब प्रदूषण “ठीक-ठाक” और “खराब” के बीच की श्रेणी में होता है तो पराली जलाने पर रोक लगा दी जाती है।
  • यदि वायुप्रदूषण “बहुत खराब” श्रेणी में पहुँच जाता है तो ये उपाय किये जाते हैं – डीजल जनरेटर बंद कराना, पार्किंग शुल्क को बढ़ाना और मेट्रो तथा बसों की पारियों में वृद्धि लाना।
  • जब वायु की गुणवत्ता “भीषण” हो जाति है तो ये कदम उठाने पड़ते हैं – मशीन से सड़कों को बार-बार साफ़ करना और पानी का छिड़काव करना, शहर में ट्रकों के आने पर रोक लगाना, निर्माण के कार्यों की रोकथाम करना और स्कूल बंद कराना आदि।

EPCA का स्वरूप :

EPCA में एक अध्यक्ष और 14 सदस्य होते हैं. ये सदस्य हैं – राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के पर्यावरण सचिव, नई दिल्ली नगर परिषद् के अध्यक्ष, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के परिवहन आयुक्त, दिल्ली के विभिन्न नगर निगमों के आयुक्त तथा IIT दिल्ली और JNU के सदस्य।


सफर (SAFAR :- System of Air Quality Forecasting And Research) :

 भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) ने वायु गुणवत्ता के पूर्वानुमान हेतु SAFAR प्रणाली की शुरुआत की है। जिसे पहली बार 2010 में दिल्ली में राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान लॉन्च किया गया था।

 SAFAR के जरिये वायु की गुणवत्ता को मापा जाता है जिस पर एक से लेकर 500 अंकों तक हवा की गुणवत्ता का आकलन किया जाता है।

मोबाइल ऐप, सफर- एयर : भारत की पहली वायु गुणवत्ता की जाँच करने वाली मोबाइल ऐप, SAFAR-Air को 17 फरवरी 2015 को पुणे, महाराष्ट्र में भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान में लॉन्च किया गया था।


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2 Comments

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