MCQ on Geography: वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ
वायुमंडलीय परिसंचरण और मौसम प्रणाली हमें, पृथ्वी के वायुमंडल में वायुमंडलीय गतिविधियों के बारे में बताता है, जैसे हवा की गति, वायुदाब बेल्ट, चक्रवात और उनके घूमने की दिशा। इनसे सम्बंधित प्रश्न यहाँ दिए गए है।
Q&A: वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ (Question and Answer on Atmospheric circulation and weather systems)
प्रश्न-1 : वायुदाब मापने के लिये किस यंत्र का प्रयोग किया जाता है?
- बैरोमीटर ,
- फैदोमीटर,
- एनीमोमीटर,
- लैक्टोमीटर
व्याख्याः (Option-1) वायुदाब को मापने के लिये पारद वायुदाबमापी (Mercury barometer) अथवा निर्द्रव बैरोमीटर (Aneroid barometer) का प्रयोग किया जाता है।
प्रश्न-2 : पृथ्वी पर वायुदाब के वितरण के संबंध में कौन-सा कथन असत्य है ?
- विषुवत वृत्त के आस-पास के क्षेत्र को निम्न अवदाब क्षेत्र के नाम से जाना जाता है।
- 30º उत्तरी व 30º दक्षिणी अक्षांश को उपोष्ण उच्च वायुदाब क्षेत्र कहा जाता है।
- ध्रुवीय क्षेत्रों के निकट वायुदाब कम होता है।
- इनमें से कोई नहीं।
व्याख्याः कथन (3) असत्य है।
- विषुवत् वृत्त के निकट वायुदाब कम होता है और इसे विषुवतीय निम्न अवदाब क्षेत्र (Equatorial low) के नाम से जाना जाता है।
- 30º उत्तरी व 30º दक्षिणी अक्षांशों के साथ उच्च दाब क्षेत्र पाए जाते हैं, जिन्हें उपोष्ण उच्च वायुदाब क्षेत्र कहा जाता है। ध्रुवों की तरफ 60º उत्तरी व 60º दक्षिणी अक्षांशों पर निम्न दाब पेटियाँ हैं, जिन्हें अधोध्रुवीय निम्न दाब पट्टियाँ कहते हैं।
- ध्रुवों के निकट वायुदाब अधिक होता है और इसे ध्रुवीय उच्च वायुदाब पट्टी कहते हैं।
- वायुदाब पट्टियाँ स्थायी नहीं हैं। सूर्य की किरणों के साथ ये पट्टियाँ विस्थापित होती रहती हैं।
प्रश्न-3 : निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
- कथन-1: पृथ्वी की धरातलीय विषमता पवनों की गति को प्रभावित करती है।
- कथन-2: पृथ्वी के परिक्रमण के कारण वायु पर कोरिऑलिस बल लगता है।
विकल्प:-
- केवल 1
- केवल 2
- 1 और 2 दोनों
- न तो 1 और न ही 2
व्याख्याः (Option-1)
- पहला कथन सत्य है। क्षैतिज गतिज वायु को पवन कहते हैं। पवनें उच्च दाब से निम्न दाब की तरफ प्रवाहित होती हैं। भूतल पर धरातलीय विषमताओं के कारण घर्षण पैदा होता है, जो पवनों की गति को प्रभावित करता है।
- दूसरा कथन असत्य है। पृथ्वी के घूर्णन के कारण पवनों पर लगने वाले बल को कोरिऑलिस बल कहा जाता है न कि परिक्रमण के कारण लगने वाले बल को।
प्रश्न-4 : कोरिऑलिस बल के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
- कथन-1: कोरिऑलिस बल का मान ध्रुवों पर सर्वाधिक तथा विषुवत् वृत्त पर शून्य होता है।
- कथन-2: कोरिऑलिस बल के प्रभाव के कारण पवनें उत्तरी गोलार्द्ध में अपनी मूल दिशा के दाईं तरफ विक्षेपित हो जाती हैं।
विकल्प:-
- केवल 1
- केवल 2
- 1 और 2 दोनों
- न तो 1 और न ही 2
व्याख्याः उपरोक्त दोनों कथन सत्य हैं।
- पृथ्वी अपने घूर्णन के कारण पवनों की दिशा को प्रभावित करती है तथा इस बल को कोरिऑलिस बल कहा जाता है। कोरिऑलिस बल अक्षांशों के कोण के सीधे अनुपात में बढ़ता है। यह ध्रुवों पर सर्वाधिक और विषुवत् वृत्त पर अनुपस्थित होता है।
- दूसरा कथन भी सत्य है। कोरिऑलिस बल के प्रभाव से पवनें उत्तरी गोलार्द्ध में अपनी मूल दिशा से दाईं तरफ व दक्षिणी गोलार्द्ध में बाईं तरफ विक्षेपित (Deflect) हो जाती हैं। जब पवनों का वेग अधिक होता है, तब विक्षेपण भी अधिक होता है।
प्रश्न-5 : विषुवत् वृत्त के निकट उष्णकटिबंधीय चक्रवात नहीं बनते हैं। इसका प्रमुख कारण है/हैं-
- कोरिऑलिस बल शून्य होता है।
- गुरुत्वाकर्षण का मान सबसे कम होता है।
- पवन समदाब रेखाओं के समकोण पर बहती हैं।
विकल्प:-
- केवल 1
- केवल 1 और 2
- 1, 2 और 3
- केवल 1 और 3
व्याख्याः (Option-4) विषुवत् वृत्त पर कोरिऑलिस बल शून्य होता है और पवनें समदाब रेखाओं के समकोण पर बहती हैं। यही कारण है कि विषुवत् वृत्त के निकट उष्णकटिबंधीय चक्रवात नहीं बनते।
प्रश्न-6 : चक्रवात के केंद्र में दाब की दिशा व पवन की दिशा के प्रारूप के संबंध में कौन-सा कथन सत्य है ?
- केंद्र में निम्न दाब व उत्तरी गोलार्द्ध में पवन की दिशा घड़ी की सुई की दिशा के अनुरूप।
- केंद्र में निम्न दाब व उत्तरी गोलार्द्ध में पवन की दिशा घड़ी की सुई की दिशा के विपरीत।
- केंद्र में उच्च दाब व दक्षिणी गोलार्द्ध में पवन की दिशा घड़ी की सुई की दिशा के अनुरूप।
- केंद्र में निम्न दाब व दक्षिणी गोलार्द्ध में पवन की दिशा घड़ी की सुई की दिशा के विपरीत।
व्याख्याः (Option-2) निम्न दाब के चारों तरफ पवनों का परिक्रमण चक्रवाती परिसंचरण कहलाता है। उच्च वायु दाब क्षेत्र के चारों तरफ पवनों का परिक्रमण प्रतिचक्रवाती परिसंचरण कहा जाता है। चक्रवात तथा प्रतिचक्रवात में केंद्र में दाब की दशा तथा पवनों की दिशा का प्रारूप-
दाब पद्धति | केंद्र में दाब की दशा | पवन की दिशा का प्रारूप उत्तरी गोलार्द्ध में | पवन की दिशा का प्रारूप दक्षिणी गोलार्द्ध में |
चक्रवात | निम्न | घड़ी की सुई की दिशा के विपरीत (Counter-clockwise) | घड़ी की सुई की दिशा के अनुरूप (दक्षिणावर्त) |
प्रतिचक्रवात | उच्च | घड़ी की सुई की दिशा के अनुरूप (Clockwise) | घड़ी की सुई की दिशा के विपरीत (वामावर्त) |
प्रश्न-7 : भूमंडलीय पवनों का प्रारूप निर्भर करता है-
- वायुमंडलीय ताप में अक्षांशीय भिन्नता।
- वायुदाब पट्टियों का सौर किरणों के साथ विस्थापन।
- महासागरों व महाद्वीपों का वितरण।
- पृथ्वी का घूर्णन।
विकल्प:-
- केवल 1 और 2
- केवल 2, 3 और 4
- केवल 3 और 4
- उपरोक्त सभी।
व्याख्याः (उपरोक्त सभी) भूमंडलीय पवनों का प्रारूप मुख्यतः निम्न बातों पर निर्भर करता है-
- वायुमंडलीय ताप में अक्षांशीय भिन्नता।
- वायुदाब पट्टियों की उपस्थिति।
- वायुदाब पट्टियों का सौर किरणों के साथ विस्थापन।
- महासागरों व महाद्वीपों का वितरण।
- पृथ्वी का घूर्णन।
वायुमंडलीय पवनों के प्रवाह प्रारूप को वायुमंडलीय सामान्य परिसंचरण भी कहा जाता है। यह वायुमंडलीय परिसंचरण महासागरीय जल को भी गतिमान करता है, जो पृथ्वी की जलवायु को प्रभावित करता है।
प्रश्न-8 : अंतर उष्णकटिबंधीय अभिसरण (ITCZ) प्रायः कहाँ पर होता है?
विकल्प:-
- कर्क रेखा के निकट।
- विषुवत् वृत्त के निकट।
- मकर रेखा के निकट।
- आर्कटिक वृत्त के निकट।
व्याख्याः (Option-2) अंतर उष्णकटिबंधीय अभिसरण (ITCZ) क्षेत्र विषुवत् वृत्त के निकट पाया जाता है। उच्च सूर्यातप व निम्न वायुदाब होने से अंतर उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र पर वायु संवहन धाराओं के रूप में ऊपर उठती है।
प्रश्न-9 : पृथ्वी की सतह पर विभिन्न कोष्ठ (Cell) तथा उसमें प्रवाहित होने वाली पवनों के संबंध में कौन-सा/से युग्म सही सुमेलित है/हैं?
- हेडली कोष्ठ : पछुआ पवन
- फैरल कोष्ठ : पूर्वी व्यापारिक पवन
- ध्रुवीय कोष्ठ : ध्रुवीय पूर्वी पवन
विकल्प:-
- केवल 1 और 2
- केवल 2 और 3
- केवल 3
- 1, 2 और 3
व्याख्याः (केवल 3)
- पृथ्वी की सतह से ऊपर की दिशा में होने वाले परिसंचरण और इसके विपरीत दिशा में होने वाले परिसंचरण को कोष्ठ (Cell) कहते हैं।
- उष्णकटिबंधीय क्षेत्र को हेडली कोष्ठ (Hadley Cell) कहा जाता है तथा इस क्षेत्र में पूर्वी व्यापारिक पवनें प्रवाहित होती हैं।
- उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्र को फैरल कोष्ठ कहा जाता है तथा इस कोष्ठ के धरातल में प्रवाहित होने वाली पवनें पछुआ पवनों के नाम से जानी जाती हैं।
- ध्रुवीय अक्षांशों पर ठंडी सघन वायु का ध्रुवों पर अवतलन होता है और मध्य अक्षांशों की ओर ध्रुवीय पूर्वी पवनों के रूप में प्रवाहित होती हैं। इस कोष्ठ को ध्रुवीय कोष्ठ कहा जाता है।
प्रश्न-10 : “दक्षिणी दोलन की घटना” का संबंध किस महासागर से है?
- हिंद महासागर
- अटलांटिक महासागर
- प्रशांत महासागर
- दक्षिणी महासागर
व्याख्याः (Option-3) वायुमंडल के सामान्य परिसंचरण के संदर्भ में प्रशांत महासागर का गर्म या ठंडा होना अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है। मध्य प्रशांत महासागर की गर्म जलधाराएँ दक्षिणी अमेरिका के तट की ओर प्रवाहित होती हैं और पेरू की ठंडी धाराओं का स्थान ले लेती हैं। पेरू के तट पर इन गर्म धाराओं की उपस्थिति एल-नीनो कहलाती है। एल- नीनो घटना का मध्य प्रशांत महासागर और ऑस्ट्रेलिया के वायुदाब परिवर्तन से गहरा संबंध है। प्रशांत महासागर पर वायुदाब में यह परिवर्तन दक्षिणी दोलन कहलाता है। इन दोनों (दक्षिणी दोलन व एल-नीनो) की संयुक्त घटना को ईएनएसओ (ENSO) के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न-11 : निम्नलिखित में से कौन-सी स्थानीय पवनें दिन के समय बहती हैं?
- स्थल समीर,
- समुद्र समीर,
- घाटी समीर,
- अवरोही (Katabatic) पवनें
विकल्प:-
- केवल 1 और 2
- केवल 2 और 4
- केवल 2 और 3
- केवल 2, 3 और 4
व्याख्याः (Option-3)
- केवल समुद्र समीर व घाटी समीर दिन के समय प्रवाहित होती हैं।
- भूतल के गर्म व ठंडे होने से भिन्नता तथा दैनिक व वार्षिक चक्रों के विकास से बहुत-सी स्थानीय व क्षेत्रीय पवनें प्रवाहित होती हैं।
- दिन के समय स्थल भाग समुद्र की अपेक्षा अधिक गर्म हो जाता है। अतः स्थल पर हवाएँ ऊपर उठती हैं और निम्न दाब का क्षेत्र बनता है, जबकि समुद्र अपेक्षाकृत ठंडे रहते हैं और उन पर उच्च वायुदाब बना रहता है। इससे समुद्र से स्थल की ओर दाब प्रवणता उत्पन्न होती है और पवनें समुद्र से स्थल की तरफ समुद्र समीर के रूप में प्रवाहित होती हैं। रात्रि के समय एकदम विपरीत प्रक्रिया होती है। स्थल समुद्र की अपेक्षा जल्दी ठंडा होता है। दाब प्रवणता स्थल से समुद्र की तरफ होने पर स्थल समीर प्रवाहित होती है।
- दिन के समय पर्वतीय प्रदेशों में ढाल गर्म हो जाते हैं और वायु ढाल के साथ-साथ ऊपर उठती है और इस स्थान को भरने के लिए वायु घाटी से बहती है। इन पवनों को घाटी समीर कहते हैं। रात्रि के समय पर्वतीय ढाल ठंडे हो जाते है और सघन वायु घाटी में नीचे उतरती है जिसे पर्वतीय पवनें कहते हैं। उच्च पठारों व हिम क्षेत्रों से घाटी में बहने वाली ठंडी वायु को अवरोही (Katabatic) पवनें कहते हैं।
प्रश्न-12 : निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
- कथन-1: दो भिन्न प्रकार की वायुराशियाँ के मध्य सीमा क्षेत्र को वाताग्र कहते हैं।
- कथन-2: वाताग्र केवल मध्य अक्षांशों में ही निर्मित होते हैं।
विकल्प:-
- केवल 1
- केवल 2
- 1 और 2 दोनों
- न तो 1 और न ही 2
व्याख्याः उपरोक्त दोनों कथन सत्य हैं।
- वायु का वृहत् भाग जिसमें तापमान व आर्द्रता संबंधी क्षैतिज भिन्नताएँ बहुत कम होती हैं, वायुराशि कहलाती है। जब दो भिन्न प्रकार की वायुराशियाँ मिलती हैं तो उनके मध्य सीमा क्षेत्र को वाताग्र कहते हैं। वाताग्रों के बनने की प्रक्रिया को वाताग्र-जनन (Frontogenesis) कहते हैं।
- वाताग्र मध्य अक्षांशों में ही निर्मित होते हैं और तीव्र वायुदाब व तापमान प्रवणता इनकी विशेषता है। ये तापमान में अचानक बदलाव लाते हैं तथा इस कारण वायु ऊपर उठती है, बादल बनते हैं और वर्षा होती है।
प्रश्न-13 : बहिरूष्ण कटिबंधीय चक्रवात या शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
- कथन-1: ये चक्रवातीय वायु प्रणालियाँ उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में विकसित होती हैं।
- कथन-2: इन चक्रवातों की उत्पत्ति स्थल व जल दोनों जगहों पर होती है।
- कथन-3: ये चक्रवात पश्चिम से पूर्व दिशा में चलते हैं।
विकल्प:-
- केवल 1
- केवल 2 और 3
- केवल 1 और 3
- केवल 3
व्याख्याः केवल पहला कथन असत्य है।
- बहिरूष्ण या शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात उष्ण कटिबंधों से दूर, मध्य व उच्च अक्षांशों में विकसित होते हैं।
- शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवातों में स्पष्ट वाताग्र प्रणालियाँ होती हैं, जो उष्णकटिबंधीय चक्रवातों में नहीं होती। ये विस्तृत क्षेत्रफल में फैले होते हैं तथा इनकी उत्पत्ति जल व स्थल दोनों में होती है। ये चक्रवात पश्चिम से पूर्व दिशा में चलते हैं।
प्रश्न-14 : उष्णकटिबंधीय चक्रवात के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
- कथन-1: ये चक्रवात केवल समुद्रों में उत्पन्न होते हैं।
- कथन-2: ये चक्रवात शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात की अपेक्षा अधिक विनाशकारी होते हैं।
- कथन-3: ये चक्रवात पूर्व से पश्चिम की ओर चलते हैं।
विकल्प:-
- केवल 1 और 2
- केवल 2
- केवल 1 और 3
- उपरोक्त सभी।
व्याख्याः उपरोक्त सभी कथन सत्य हैं।
- उष्णकटिबंधीय चक्रवात आक्रामक तूफान हैं, जिनकी उत्पत्ति उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के महासागरों पर होती है और ये तटीय क्षेत्रों की तरफ गतिमान होते हैं।
- उष्णकटिबंधीय चक्रवातों में पवनों का वेग अधिक होता है तथा ये शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवातों की अपेक्षा अधिक विनाशकारी होते हैं। ये चक्रवात विध्वंसक प्राकृतिक आपदाओं में से एक हैं।
- उष्णकटिबंधीय चक्रवात सामान्यतः पूर्व से पश्चिम की ओर चलते हैं। किंतु वे चक्रवात जो प्रायः 20º उत्तरी अक्षांश से गुज़रते हैं, उनकी दिशा अनिश्चित होती है और ये अधिक विध्वंसक होते हैं।
प्रश्न-15 : उष्णकटिबंधीय चक्रवात के संबंध में चक्रवात का लैंडफाल कहलाता है-
- चक्रवात का धीरे-धीरे क्षीण होकर खत्म होना।
- चक्रवात का समुद्री तट को पार करके ज़मीन पर पहुँचना।
- चक्रवात का कपासी मेघों से संघनन प्रक्रिया द्वारा ऊर्जा प्राप्त करना।
- चक्रवात को स्थल पर आर्द्रता की आपूर्ति का बाधित होना।
व्याख्याः (Option-2) वह स्थान जहाँ से उष्णकटिबंधीय चक्रवात समुद्री तट को पार करके ज़मीन पर पहुँचते हैं, चक्रवात का लैंडफाल कहलाता है।
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Thanks
I think, correct answer of 6the question is option 2nd not the 1st.
प्रिय Ravi Ranjan, हमने संशोधन कर दिया है। आपका धन्यवाद।
Plz sare chapters pr esi quiz bnae
Nice explanation and mcq 🇮🇳🇮🇳🇮🇳❤️❤️🇮🇳🇮🇳♥️♥️♥️💗💓👑🌎🌎🌎🌎🌍🌏🌏🌏💞💞🎯💖💖