MCQ on Science: ध्वनि
हम यहां विज्ञान के विषय ” ध्वनि ” से संबंधित कुछ प्रश्न देखेंगे। ये सवाल NCERT की किताब से लिए गए हैं।
Q&A: ध्वनि (Question and Answer on Sound)
प्रश्न-1: ध्वनि (Sound) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
- कथन-1: ध्वनि तरंगें अनुप्रस्थ तरंगें हैं।
- कथन-2: किसी माध्यम में ध्वनि का संचरण (Propagation) माध्यम के कणों (Particles) के संचरण के कारण होता है।
- कथन-3: ध्वनि तरंगें निर्वात में भी संचरित हो सकती हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही नहीं है/हैं?
- केवल 1 और 2
- केवल 2 और 3
- केवल 3
- 1, 2 और 3
व्याख्याः (Option: 4) उपर्युक्त तीनों कथन गलत हैं। ध्वनि तरंगें अनुदैर्ध्य तरंगें (Longitudinal waves) हैं। ध्वनि तरंगें यांत्रिक तरंगें (Mechanical waves) हैं। ये निर्वात में संचरित नहीं हो सकतीं। इन्हें संचरण के लिये माध्यम की आवश्यकता होती है।
ध्वनि संचरण में, माध्यम के कण आगे नहीं बढ़ते, केवल विक्षोभ (Disturbance) ही संचरित होता है। अतः ध्वनि वस्तुओं के कंपन (Vibration) के कारण उत्पन्न होती है, परन्तु किसी माध्यम में ध्वनि का संचरण माध्यम के कणों के विक्षोभ के संचरण के कारण होता है।
प्रश्न-2: प्रकाश-विद्युत प्रभाव (photoelectric effect) की खोज निम्नलिखित में से किसने की थी?
- हैनरिच रुडोल्फ हर्ट्ज
- अल्बर्ट आइन्सटाइन
- जे.सी. मैक्सवेल
- इनमें से किसी ने नहीं।
व्याख्याः (Option: 1) हैनरिच रुडोल्फ हर्ट्ज ने प्रकाश-विद्युत प्रभाव की भी खोज की, जिसकी बाद में अल्बर्ट आइन्सटाइन ने व्याख्या की। आवृत्ति के S.I. मात्रक का नाम इन्हीं के सम्मान में ‘हर्ट्ज’ रखा गया है। इन्होंने ही जे.सी. मैक्सवेल के विद्युत चुंबकीय सिद्धांत (Electromagnetic theory) की प्रयोगों द्वारा पुष्टि की।
प्रश्न-3: ध्वनि की तीव्रता और प्रबलता (Sound intensity and loudness) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
- कथन-1: तीव्रता ध्वनि का वह लक्षण है, जिसके अनुसार उसका मोटा या पतला होना निर्धारित होता है।
- कथन-2: प्रबलता ध्वनि के लिये कानों की संवेदनशीलता की माप है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
- केवल 1
- केवल 2
- 1 और 2 दोनों
- न तो 1 और न ही 2
व्याख्याः (Option: 2) कथन 1 गलत है, क्योंकि ध्वनि का वह लक्षण, जिससे उसके मोटे या पतले होने का निर्धारण होता है, तारत्व (Pitch of voice) कहलाता है। दूसरे शब्दों में किसी उत्सर्जित ध्वनि की आवृत्ति को मस्तिष्क जिस प्रकार अनुभव करता है उसे तारत्व कहते हैं। यदि आवृत्ति उच्च है तो तारत्व भी उच्च होता है तथा आवृत्ति निम्न है तो तारत्व निम्न होता है।
किसी एकांक क्षेत्रफल से एक सेकेण्ड में गुज़रने वाली ध्वनि ऊर्जा को ध्वनि की तीव्रता कहते हैं जबकि प्रबलता ध्वनि की तीव्रता के लिये कानों की शारीरिक अनुक्रिया अथवा संवेदनशीलता है। यद्यपि दो ध्वनियाँ समान तीव्रता की हो सकती हैं, फिर भी हम एक को दूसरे की अपेक्षा अधिक प्रबल ध्वनि के रूप में सुन सकते हैं, क्योंकि हमारे कान इसके लिये अधिक संवेदनशील हैं।
प्रश्न-4: ध्वनि की चाल (speed of sound) के संदर्भ में निम्नलिखित कंथनों पर विचार कीजियेः
- कथन-1: ध्वनि की चाल प्रकाश की चाल से कम होती है।
- कथन-2: ठोस से गैसीय अवस्था की ओर जाने पर ध्वनि की चाल बढ़ती जाती है।
- कथन-3: माध्यम का ताप बढ़ने पर ध्वनि की चाल भी बढ़ जाती है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
- केवल 1 और 2
- केवल 2
- केवल 1 और 3
- 1, 2 और 3
व्याख्याः (Option: 3) कथन 1 सही है। ध्वनि की चाल प्रकाश की चाल से बहुत कम है। कथन 2 गलत है, क्योंकि ठोस से गैसीय अवस्था की ओर जाने पर ध्वनि की चाल घटती जाती है।
किसी माध्यम में ध्वनि की चाल मुख्यतः संचरित होने वाले माध्यम की प्रकृति तथा ताप पर निर्भर होती है, उदाहरण के लिये वायु में ध्वनि की चाल 0°C पर 331 ms-1 तथा 22°C पर 344 ms-1 है। कुछ उदाहरणों को इस प्रकार देख सकते हैं: (25ºC पर ध्वनि की चाल)
अवस्था | पदार्थ | चाल m/s में |
ठोस | ऐलुमिनियम | 6420 |
“ | निकेल | 6040 |
“ | स्टील | 5960 |
“ | लोहा | 5950 |
“ | पीतल | 4700 |
“ | काँच (फ्लिंट) | 3980 |
द्रव्य | जल (समुद्री) | 1531 |
, | जल (आसुत) | 1498 |
, | इथेनॉल | 1207 |
, | मीथेनॉल | 1103 |
गैस | हाइड्रोजन | 1284 |
, | हीलियम | 965 |
, | वायु | 346 |
, | ऑक्सीजन | 321 |
, | सल्फर डाइऑक्साइड | 213 |
प्रश्न-5: ध्वनि के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
- कथन-1: ध्वनि बूम (Sonic boom) पराध्वनिक गति के कारण उत्पन्न प्रघाती तरंगों (shock waves) से संबद्ध वायुदाब में परिवर्तन (variation) से उत्पन्न बहुत तेज़ और प्रबल ध्वनि है।
- कथन-2: किसी ध्वनि की स्पष्ट प्रतिध्वनि (Echo) सुनने के लिये मूल ध्वनि तथा परावर्तित ध्वनि के बीच कम-से-कम 0.1 सेकेंड का समयांतराल आवश्यक है।
- कथन-3: अनुरणन (Reverberation) बारम्बार परावर्तन से ध्वनि में स्थायित्व की एक स्थिति है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
- केवल 1 और 2
- केवल 2
- केवल 1 और 3
- 1, 2 और 3
व्याख्याः (Option: 4) उपर्युक्त सभी कथन सही हैं। किसी वस्तु की पराध्वनि गति के कारण वायु में प्रघाती तरंगें उत्पन्न होती हैं। इन तरंगों में बहुत अधिक ऊर्जा होती है। इन्हीं तरंगों से संबद्ध वायुदाब में परिवर्तन से एक बहुत तेज़ और प्रबल ध्वनि उत्पन्न होती है, जिसे ध्वनि बूम कहते हैं। पराध्वनिक वायुयान से उत्पन्न ध्वनि बूम में इतनी मात्रा में ऊर्जा होती है कि यह खिड़कियों के शीशों को तोड़ सकती है और भवनों को भी क्षति पहुँचा सकती है।
हमारे मस्तिष्क में ध्वनि की संवेदना लगभग 0.1 सेकेंड तक बनी रहती है। इसी कारण किसी ध्वनि की स्पष्ट प्रतिध्वनि सुनने के लिये मूल ध्वनि तथा परावर्तित ध्वनि के बीच कम-से-कम 0.1 सेकेंड का समयांतराल आवश्यक है।
बारम्बार परावर्तन के कारण ध्वनि में स्थायित्व का होना अनुरणन (Reverberation) कहलाता है। इस स्थिति में ध्वनि बारम्बार परावर्तन के कारण तब तक बनी रहती है, जब तक कि यह इतनी कम न हो जाए कि सुनाई ही न पड़े।
प्रश्न-6: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
- कथन-1: स्टेथोस्कोप से चिकित्सक रोगी के हृदय की धड़कन सुन सकता है।
- कथन-2: सिनेमा हाल की छत वक्राकार बनाई जाती है, जिससे ध्वनि का बारम्बार परावर्तन न हो और ध्वनि स्पष्ट सुनी जा सके।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
- केवल 1
- केवल 2
- 1 और 2 दोनों
- न तो 1 और न ही 2
व्याख्याः (Option: 1) स्टेथोस्कोप (stethoscope) एक चिकित्सा यंत्र है, जो शरीर के अंदर मुख्यतः हृदय तथा फेफड़ों में उत्पन्न होने वाली ध्वनि सुनने में काम आता है। स्टेथोस्कोप में रोगी के हृदय की धड़कन की ध्वनि बार-बार परावर्तन के कारण चिकित्सक के कानों तक पहुँचती है। अत कथनः (1) सही है।
कथन 2 गलत है, क्योंकि सिनेमा हाल, कसर्ट हाल तथा सम्मेलन कक्षों की छतें वक्राकार बनाई जाती हैं, जिससे कि परावर्तन के पश्चात् ध्वनि हाल के सभी भागों में पहुँच जाए। लाउडस्पीकर के आकार भी इसी सिद्धांत पर आधारित होते हैं।
प्रश्न-7: ध्वनि की श्रव्यता के परिसर (Range of Hearing) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
- कथन-1: पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चे पराश्रव्य ध्वनियों को सुन सकते हैं।
- कथन-2: ह्वेल तथा हाथी अवश्रव्य जबकि डॉलफिन और चमगादड़ पराश्रव्य ध्वनियाँ उत्पन्न करने में सक्षम हैं।
- कथन-3: सामान्य मनुष्य के लिये ध्वनि की श्रव्यता का परिसर (Range) लगभग 20Hz से 20,000 Hz तक होता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
- केवल 1 और 2
- केवल 2 और 3
- केवल 3
- 1, 2 और 3
व्याख्याः (Option: 4) उपर्युक्त सभी कथन सही हैं।
- सामान्य मनुष्य में ध्वनि की श्रव्यता का परिसर लगभग 20 Hz से 20,000 Hz तक होता है।
- 20 Hz से कम आवृत्ति की ध्वनियों को अवश्रव्य (Infrasonic) तथा 20 kHz से अधिक की ध्वनियों को पराश्रव्य (Ultrasonic) ध्वनि या पराध्वनि कहते हैं।
- पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चे तथा कुछ जंतु जैसे कुत्ते 25 KHz तक की ध्वनि सुन सकते हैं परन्तु जैसे-जैसे व्यक्तियों की आयु बढ़ती है, उनके कान उच्च आवृत्तियों के लिये कम सुग्राही होते जाते हैं।
- राइनोसिरस (गैंडा) 5 Hz तक की आवृत्ति की अवश्रव्य ध्वनि का उपयोग करके संपर्क स्थापित कर सकता है। ह्वेल तथा हाथी अवश्रव्य ध्वनि परिसर की ध्वनियाँ उत्पन्न करते हैं।
- भूकंप आने से पूर्व कुछ जंतु परेशान हो जाते हैं। भूकंप मुख्य प्रघाती तरंगों से पहले निम्न आवृत्ति की अवश्रव्य ध्वनि उत्पन्न करते हैं, जो सम्भवतः इन जंतुओं को सावधान कर देती हैं।
- डॉलफिन, चमगादड़, पॉरपॉइज तथा चूहे पराध्वनि उत्पन्न करने में सक्षम हैं।
प्रश्न-8: ध्वनि के अनुप्रयोग (Sounds applications) के संदर्भ में निम्नलिखित पर विचार कीजियेः
- कथन-1: ऐसे भागों की सफाई, जहाँ तक पहुँचना कठिन है।
- कथन-2: धातु के ब्लॉक पिंडों में दोषों की जाँच।
- कथन-3: गुर्दे की पथरी को बारीक कणों में तोड़ना।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से पराश्रव्य ध्वनियों या पराध्वनियों का/के अनुप्रयोग है/हैं?
- केवल 1 और 2
- केवल 2
- केवल 2 और 3
- 1, 2 और 3
व्याख्याः (Option: 4) पराश्रव्य ध्वनियाँ अवरोधी की उपस्थिति में भी एक निश्चित पथ पर गमन कर सकती हैं। अतः उद्योग व चिकित्सा में इनके बहुत से अनुप्रयोग हैं।
वस्तु के ऐसे भाग, जहाँ पहुँचना कठिन है, जैसे- सर्पिलाकार नली, विषम आकार के पुर्ज़े, इलेक्ट्रॉनिक अवयव आदि को साफ करने वाले मार्जन विलयन में रखकर इसमें पराध्वनि तरंगें भेजते हैं। उच्च आवृत्ति के कारण धूल, चिकनाई तथा गंदगी के कण अलग होकर नीचे गिर जाते हैं और वस्तु पूर्णतया साफ हो जाती है।
धातु के ब्लॉकों में दोषों का पता लगाने के लिये इनसे पराध्वनिक तरंगों को गुज़ारा जाता है। यदि थोड़ा-सा भी दोष (दरार, आदि) होता है तो पराध्वनि तरंगें परावर्तित हो जाती हैं, जो दोष की उपस्थिति को दर्शाती हैं। वहीं साधारण ध्वनि की तरंगदैर्ध्य अधिक होने के कारण वे दोषयुक्त स्थान के कोणों से मुड़कर पार निकल जाती हैं (परावर्तित होकर लौटती नहीं हैं।) इसलिये इस कार्य में इनका उपयोग नहीं किया जा सकता।
पराध्वनि का उपयोग गुर्दे की छोटी पथरी (Small kidney stones) को बारीक कणों में तोड़ने के लिये भी किया जा सकता है। ये कण बाद में मूत्र के साथ बाहर निकल जाते हैं।
प्रश्न-9: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
- कथन-1: सोनार एक ऐसी युक्ति है, जिसमें वायु में स्थित पिंडों की दूरी, दिशा तथा चाल मापने के लिये पराध्वनि तरंगों का उपयोग किया जाता है।
- कथन-2: चमगादड़ गहन अंधकार में भोजन की खोज के लिये पराध्वनि तरंगें उत्सर्जित करता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं
- केवल 1
- केवल 2
- 1 और 2 दोनों
- न तो 1 और न ही 2
व्याख्याः (Option: 2) कथन 1 गलत है, क्योंकि सोनार (Sound Navigation And Ranging- SONAR) में जल में स्थित पिंडों की दूरी, दिशा तथा चाल मापने के लिये पराध्वनि तरंगों का उपयोग किया जाता है। ये प्रेषित पराध्वनि तरंगों का अवरोध से टकराकर लौटना तथा लौटने पर उनका संसूचन (Detection) के सिद्धांत पर कार्य करती हैं।
चमगादड़ गहन अंधकार में भोजन खोजने के लिये उड़ते समय पराध्वनि तरंगें उत्सर्जित करता है तथा अवरोध (कीट) से टकराकर परावर्तन के पश्चात् इनका संसूचन (Detection) करता है। इससे चमगादड़ को पता चलता है कि कीट कहाँ पर है और यह किस प्रकार का है। अतः कथन 2 सही है।
पॉइपॉइज मछलियाँ भी अंधेरे में संचालन व भोजन की खोज में पराध्वनि तरंगों का उपयोग करती हैं।
प्रश्न-10: पराध्वनि तरंगों (Ultrasound waves) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये।
- कथन-1: पराध्वनि तरंगों से मानव शरीर के आंतरिक अंगों का प्रतिबिंब बनाया जा सकता है।
- कथन-2: इलेक्ट्रोकार्डियोग्राफी तथा अल्ट्रासोनोग्राफी में पराध्वनि तरंगों का उपयोग किया जाता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
- केवल 1
- केवल 2
- 1 और 2 दोनों
- न तो 1 और न ही 2
व्याख्याः (Option: 3) उपर्युक्त दोनों कथन सही हैं। पराध्वनि संसूचक (Ultrasound Scanner) यंत्र का प्रयोग करके मानव शरीर के आंतरिक अंगों का प्रतिबिम्ब प्राप्त किया जा सकता है। इस तकनीक में पराध्वनि तरंगें शरीर के ऊतकों में गमन करती हैं तथा उस स्थान से परावर्तित हो जाती हैं, जहाँ ऊतक के घनत्व में परिवर्तन होता है। इन परावर्तित तंरगों को विद्युत संकेतों में परिवर्तित करके अंग का प्रतिबिंब बना लिया जाता है। यह संसूचक (Scanner) शरीर की असमानताएँ जैसे-पित्ताशय तथा गुर्दे की पथरी और विभिन्न अंगों में अर्बुद (ट्यूमर) का पता लगाने में सहायता करता है।
इस तकनीक को अल्ट्रासोनोग्राफी (Ultra-sonography) कहते हैं। अल्ट्रासोनोग्राफी का उपयोग गर्भकाल में भ्रूण की जाँच एवं जन्मजात दोषों तथा उसकी वृद्धि की अनियमितताओं का पता लगाने में किया जाता है।
- श्रवणीय आवृत्तियों द्वारा वायु में होने वाले दाब परिवर्तनों को विद्युत संकेतों में बदलता है।
- अश्रवणीय आवृत्तियों द्वारा वायु में होने वाले दाब परिवर्तनों को विद्युत संकेतकों में बदलता है।
- वायु में होने वाले विद्युत चुम्बकीय परिवर्तनों को श्रवणीय आवृत्तियों में बदलता है।
- वायु में होने वाले विद्युत चुम्बकीय परिवर्तनों को अश्रवणीय आवृत्तियों में बदलता है।
व्याख्याः (Option: 1) मानव कर्ण श्रवणीय आवृत्तियों द्वारा वायु में होने वाले दाब परिवर्तनों को विद्युत संकेतकों में बदलता है जो श्रवण तंत्रिका से होते हुए मस्तिष्क तक पहुँचते हैं। बाहरी कान (कर्ण पल्लव) परिवेश से ध्वनि को एकत्रित करते हैं। इस ध्वनि से श्रवण नलिका के सिरे पर उपस्थित कर्ण पटह झिल्ली कंपन करती है। मध्य कर्ण में विद्यमान तीन हड्डियाँ (मुग्दरक, निहाई तथा वलयक) इन कंपनों (दाब परिवर्तनों) को कई गुना बढ़ाकर आंतरिक कर्ण संचारित कर देती है। आंतरिक कर्ण में कर्णावर्त (cochlea) द्वारा दाब परिवर्तनों को विद्युत संकेतों में परिवर्तित कर दिया जाता है। ये विद्युत संकेत श्रवण तंत्रिका द्वारा मस्तिष्क तक पहुँचा दिये जाते हैं और अंत में मस्तिष्क इनकी ध्वनि के रूप में व्याख्या करता है।
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